उत्तर प्रदेश
नाथपंथ के इतिहास से लेकर वर्तमान तक का सारगर्भित और सरल प्रस्फुटन है डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक ‘नाथपंथ का इतिहास’
गोरखपुर, । योग को लोक कल्याण का ध्येय बनाने वाले नाथपंथ पर साहित्य सम्यक ज्ञानकोष के साथ ही अब इतिहास सम्यक, तथ्यपरक शब्द-ज्ञान संसार भी समृद्ध हो रहा है। नाथपंथ की इतिहासपरक जानकारी उपलब्ध कराने वाले नाथपंथ के विशिष्ट अध्येता डॉ. प्रदीप कुमार राव के ग्रंथ ‘नाथपंथ की वर्तमान उपादेयता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य’ के महत्वपूर्ण अवदान के बाद अब नाथपंथ के विशेषज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित डॉ. पद्मजा सिंह ‘नाथपंथ का इतिहास’ शीर्षक से एक पुस्तकीय कृति का सृजन किया है।
डॉ. पद्मजा सिंह की यह पुस्तक न केवल नाथपंथ के आभिर्भाव और पुनर्गठन का ऐतिहासिक विवेचन करती है बल्कि यह इस पंथ की विशिष्टता और लोक कल्याण की इसकी स्वतः स्फूर्त प्रकृति और तत्संबंधी गतिविधियों को भी आमजन के समक्ष सरलता से प्रस्फुटित करती है। यह पुस्तक ऐतिहासिक आख्यान और तथ्यों के साथ यह विश्लेषण करती है कि महात्मा बुद्ध के बाद भारत में सामाजिक पुनर्जागरण का शंखनाद महायोगी गोरखनाथ जी ने किया। महायोगी गोरखनाथ जी ऐतिहासिक युग में भारतीय इतिहास के ऐसे पहले तपस्वी हैं जिन्होंने विशुद्ध योगी होते हुए भी सामाजिक राष्ट्रीय चेतना का नेतृत्व किया। वास्तव में उन्होंने नाथपंथ का पुनर्गठन ही सामाजिक पुनर्जागरण के लिए किया। पारलौकिक जीवन के साथ भौतिक जीवन का सामंजस्य बिठाने वाले महायोगी ने भारतीय समाज में सदाचार, नैतिकता, समानता और स्वतंत्रता की वह लौ प्रज्ज्वलित की जिसकी लपटें जाति-पांति, छुआछूत, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, पुरुष-स्त्री, विषमताओं और क्षेत्रीयतावाद जैसी प्रवृत्तियों को निरंतर जलाती रहीं।
डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक यह बताती है कि नाथपंथ के विचार-दर्शन ने एक ऐसी योगी परंपरा को जन्म दिया जिसने भारतीय संस्कृति की एकाकार सामाजिक चिंतन की प्रतिष्ठा को ही अपना उद्देश्य बना लिया। वास्तव में ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले मध्ययुगीन भक्ति आंदोलन की राह नाथपंथी योगियों ने गढ़ी। समस्त मध्यकालीन भक्ति साहित्य महायोगी गोरखनाथ एवं नाथपंथ की साहित्यिक चेतना से प्रतिबिंबित है।
वर्तमान दौर में गोरखपुर स्थित श्रीगोरक्षपीठ को ही नाथपंथ का निर्विवाद मुख्यालय क्यों माना जाता है, यह पुस्तक इस तथ्य को भी अत्यंत तर्कपूर्ण तरीके से स्पष्ट करती है। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार गोरखपुर में स्थित श्रीगोरखनाथ मंदिर उसी स्थान पर है जहां त्रेतायुग में गुरु गोरखनाथ जी ने तपस्या की थी और गहन समाधि लगाई थी। इसलिए यह नाथसिद्धों की सर्वोच्च पीठ है। श्रीगोरखनाथ मंदिर के महंत नाथयोगियों के आध्यात्मिक नेता माने जाते हैं क्योंकि नाथपंथ की परंपरा में इस मंदिर एवं पीठ के महंत एवं पीठाधीश्वर महायोगी गोरखनाथ जी के प्रतिनिधि माने जाते हैं। नाथपंथी योगियों की यह भी मानता है कि महायोगी गोरखनाथ जी की अदृश्य उपस्थित आज भी इस मंदिर में रहती है और वे समय-समय पर इस मंदिर के महंत का मार्गदर्शन करते हैं। यही कारण है कि यहां के महंत का स्थान नाथपंथ में सर्वोच्च माना गया है। महायोगी गोरखनाथ द्वारा प्रतिष्ठित महान आध्यात्मिक आदर्श की सुरक्षा का दायित्व इस मंदिर के महंत पर ही होता है। श्रीगोरखनाथ मंदिर की यह विशेषता भी है कि इसके कपाट सभी के लिए खुले रहते हैं। इस मंदिर के सभी महंत बिना भेदभाव समाज में सभी के यहां, सभी के साथ पानी पीते हैं, भोजन करते हैं और अपने भंडारे में सभी के साथ भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।
‘नाथपंथ का इतिहास’ पुस्तक मुख्यतः नौ खंडों में विभक्त है। भूमिका के पहले खंड के बाद दूसरे खंड में नाथपंथ का परिचय, तीसरे खंड में नाथपंथ के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ के बारे में विस्तार से वर्णन है। चौथे खंड में नवनाथ और चौरासी सिद्धों का सविस्तार उल्लेख है तो पांचवें खंड में नाथपंथ की महंत परंपरा, छठवें खंड में नाथयोग के दर्शन एवं स्वरूप, सातवें खंड में नाथयोग का समाज पर प्रभाव वर्णित है। जबकि आठवें खंड में नाथपंथ की सामाजिक भूमिका और नौवें खंड में नेपाल में नाथपंथ की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
मूल रूप से देवरिया जिले के नगवा खास गांव की निवासी डॉ. पद्मजा सिंह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग से स्नातकोत्तर में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। वर्तमान समय में इसी विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में सहायक आचार्य के पद पर सेवारत डॉ. पद्मजा ने अपना शोध भी ‘नाथपंथ का उद्भव एवं विकास:एक ऐतिहासिक विवेचन’ विषय पर पूरा किया है। अपनी नवीनतम कृति ‘नाथपंथ का इतिहास’ के संदर्भ में उनका कहना है कि यह पुस्तक ऐतिहासिक स्रोतो के प्रमाणों पर आधारित लिखी गई है। नाथपंथ के इतिहास पर शोधपूर्ण विवेचन के साथ यह पुस्तक महायोगी गोरखनाथ से लेकर वर्तमान तक के नाथपंथ के इतिहास का विहंगम रेखांकन है। नाथपंथ और उससे संबंधित विषयों पर शोध करने वाले अध्येताओं के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी होगी।
नाथपंथ पर ऐतिहासिक प्रमाण के समन्वय और समीक्षा का संगम है यह पुस्तक
डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक ‘नाथपंथ का इतिहास’ को एक महत्वपूर्ण कृति बताते हुए नाथपंथ के लब्ध प्रतिष्ठित अध्येता डॉ. प्रदीप कुमार राव ने मुक्तकंठ से इसकी सराहना की है। डॉ. राव कहते हैं कि नाथपंथ के इतिहास को यह पुस्तक समग्रता में प्रस्तुत करती है। ऐतिहासिक विश्लेषण के साथ नाथपंथ की परंपरा और ऐतिहासिक प्रमाण का समन्वय और समीक्षा इस पुस्तक की विशिष्टता है। डॉ. पद्मजा सिंह ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि आस्था को बिना कोई चोट पहुंचाए, तथ्यों के आलोक में नाथपंथ का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत किया जाय। नाथपंथ के जिज्ञासुओं एवं शोधार्थियों के अनेक अनुत्तरित प्रश्नों को यह पुस्तक समाधान का मार्ग देगी।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
-
मनोरंजन2 days ago
क्या श्वेता तिवारी ने कर ली है तीसरी शादी, जानें इस खबर की सच्चाई
-
नेशनल2 days ago
धीरेन्द्र शास्त्री की एकता यात्रा आज से शुरू, सीएम मोहन यादव और भोजपुरी सिंगर खेसारी लाल यादव ने भेजी शुभकामनाएं
-
नेशनल2 days ago
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
-
ऑफ़बीट2 days ago
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
-
ऑफ़बीट1 day ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
खेल-कूद2 days ago
IND VS AUS: पर्थ में भारतीय गेंदबाजों का कहर, बैकफुट पर ऑस्ट्रेलिया, 67 रनों पर गंवाए 7 विकेट
-
छत्तीसगढ़2 days ago
सीएम विष्णुदेव साय ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, पत्नी भी थीं साथ
-
Success Story2 days ago
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत