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प्रादेशिक

यूपी के समग्र विकास के लिए सरकार अपनी नीति बनाने के लिए अपनाएगी बाटम टू टाप का फार्मूला

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास के लिए सरकार अपनी नीति बनाने के लिए बाटम टू टाप का फार्मूला अपनाएगी। प्रदेश सरकार ने तय किया है कि निचले स्तर पर समस्याओं का पहले अध्ययन किया जाएगा और इसी आधार पर राज्य के लिए नीति बनाई जाएगी। इसके तहत हर जिले के लिए एक ‘मॉडल डिस्ट्रिक्ट प्लान’ भी तैयार किया जाएगा। मॉडल डिस्ट्रिक्ट प्लान के लिए बाकायदा मंथन होगा और हर जिले की समस्याओं का अध्ययन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्रियों को फील्ड में जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि आगामी विधानसभा सत्र से पूर्व मंत्रिपरिषद के प्रदेश भ्रमण का कार्य पूरा कर लेना होगा। इस संबंध में 18 मंत्री समूह गठित किए गए हैं। उपमुख्यमंत्री गणों की टीम में एक-एक राज्य मंत्री सम्मिलित हैं, शेष तीन सदस्यीय मंत्री समूह गठित किए गए हैं। यह 18 समूह 18 मंडलों का भ्रमण करेगी। भ्रमण का यह कार्यक्रम शुक्रवार से रविवार तक होगा। पहले चरण में प्रदेश भ्रमण करने के बाद मंत्री समूहों का रोटेशन प्रणाली के तहत दूसरे मंडलों की जिम्मेदारी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि तीन दिवसीय मंडलीय भ्रमण के दौरान हर टीम को एक जनपद में कम से कम 24 घंटे रहना होगा। टीम का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ मंत्री कम से कम दो जिलों का भ्रमण करें। शेष मंत्री गणों को सुविधानुसार एक-एक जिले की जिम्मेदारी दी जाए।
भ्रमण के बाद मंत्रियों रिपोर्ट के आधार पर राज्य की नीति का निर्धारण किया जाएगा। इसी के आधार पर हर जिले के लिए अलग-अलग मॉडल डिस्ट्रिक्ट प्लान भी बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि हर जिले की अपनी-अपनी समस्या है, जिसके लिए यह जरूरी है कि उन समस्याओं का निराकरण स्थानीय आधार पर बनाए गए प्लान के तहत हो। इससे प्रदेश के समग्र विकास की नई इबारत लिखी जा सकेगी।

प्रदेश भ्रमण के लिए गठित मंत्री समूहों के अध्यक्ष

1- उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या- आगरा मंडल
2- उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक – वाराणसी मंडल
3- सूर्य प्रताप शाही – मेरठ मंडल
4- सुरेश खन्ना – लखनऊ मंडल
5- स्वतंत्र देव सिंह -मुरादाबाद मंडल
6- बेबी रानी मौर्या – झांसी मंडल
7- चौधरी लक्ष्मी नारायण – अलीगढ़ मंडल
8- जयवीर सिंह- चित्रकूट धाम मंडल
9- धर्मपाल सिंह – गोरखपुर मंडल
10- नंदगोपाल गुप्ता ‘नंदी’- बरेली
11- भूपेंद्र सिंह- मिर्जापुर मंडल
12- अनिल राजभर – प्रयागराज मंडल
13- जितिन प्रसाद- कानपुर मंडल
14- राकेश सचान – देवीपाटन मंडल
15- अरविंद शर्मा- अयोध्या मंडल
16- योगेंद्र उपाध्याय- सहारनपुर मंडल
17- आशीष पटेल- बस्ती मंडल
18- संजय निषाद – आजमगढ़ मंडल

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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