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प्रादेशिक

हरियाणा के किसानों के लिए खुशखबरी, प्रति एकड़ बोनस के रूप में मिलेंगे 2,000 रु

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चंडीगढ़। हरियाणा के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार ने कम बारिश के कारण हो रही कठिनाइयों को देखते हुए, खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ ₹2,000 का बोनस देने का ऐलान किया है।

हरियाणा में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।विधानसभा चुनाव के लिए एक अक्टूबर को वोटिंग होगी। वहीं नतीजे चार अक्टूबर को आएंगे।हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी रविवार को भिवानी की अनाज मंडी की जन आशीर्वाद रैली में शामिल हुए। जिसमें सीएम नायब सैनी का मंच पर स्वागत किया गया और गदा भेंट की गई। मुख्यमंत्री ने यह पहल इसलिए की है क्योंकि पिछले दिनों बारिश कम हुई है, उसके कारण किसानों का खर्चा बढ़ गया। जिसके चलते कैबिनेट ने फैसला लिया था कि किसानों को 2000 रुपये प्रति एकड़ बोनस के रूप में दिया जाएगा।

इसके अलावा इस मौके पर सैनी ने कहा, “कांग्रेस झूठ फैला रही है कि बीजेपी इस योजना को लागू नहीं करेगी। हुडा साहब इस योजना से हरियाणा के लोगों को फायदा हो रहा है। राज्य में कम बारिश की वजह से किसानों को उनकी फसल के लिए प्रति एकड़ 2,000 रुपये बोनस के रूप में दिए जाएंगे।”

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उत्तर प्रदेश

न मंदिर, न मूर्ति, रामनाम ही है अवतार, रामनाम ही ले जाएगा भवसागर पार

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महाकुम्भ नगर। सनातन संस्कृति के महापर्व महाकुम्भ में सम्मिलित होने तरह-तरह के साधु, संन्यासी, जाति, पंथ, संप्रदाय के लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। इस क्रम में महाकुम्भ में सम्मिलित होने छत्तीसगढ़ के रहने वाले रामनामी संप्रदाय के अनुयायी पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने आये हैं। अपने पूरे शरीर में राम नाम गुदवाये हुए, सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख का मुकुट धारण किये हुए रामनामी संप्रदाय के अनुयायी संगम की रेती पर राम भजन करते हुए महाकुम्भ में पवित्र स्नान को बेताब हैं।

रामनामी संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम

पौराणिक मान्यता और परंपरा के अनुसार महाकुम्भ में पवित्र संगम में स्नान करने सनातन आस्था से जुड़े सभी जाति, पंथ और संप्रदाय के लोग जरूर आते हैं। इसी में से एक हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर, भिलाई, दुर्ग, बालोदाबजार, सांरगगढ़ से आये हुए रामनामी संप्रदाय के लोग। 19वीं शताब्दी में जब सनातन संस्कृति के तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों ने छत्तीगढ़ में कुछ जनजाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने और मूर्ति पूजा से वंचित किया तो जनजाति के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर ही राम नाम अंकित कर अपनी देह को राम का मंदिर बना लिया। रामनामी संप्रदाय की शुरूआत जांजगीर चंपा के परशुराम जी से मानी जाती है। इस पंथ के अनुयायी अपने पूरे शरीर पर रामनाम का टैटू या गोदना गोदवाते हैं। राम नाम लिखा हुआ सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख से बना मुकुट धारण करते हैं। राम नाम का जाप और मानस की चौपाईयों का भजन करते हैं। रामनामी संप्रदाय के लोग मंदिर और मूर्ति पूजा नहीं करते वो निर्गुण राम के उपासक हैं। वर्तमान में रामनामी संप्रदाय के लगभग 10 लाख से अधिक अनुयायी मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के जिलों में रहते हैं।

राम नाम ही अवतार, राम नाम ही भवसागर की पतवार

रामनामी संप्रदाय के कौशल रामनामी का कहना है कि महाकुम्भ में पवित्र स्नान करने उनके पंथ के लोग जरूर आते हैं। मौनी अमावस्या की तिथि पर राम नाम का जाप करते हुए हम सब संगम में अमृत स्नान करेंगे। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ से आये कौशल रामनामी का कहना है पिछली पांच पीढ़ी से उनके पुरखे महाकुम्भ में सम्मिलित होने आते रहे हैं। आने वाले समय में हमारे बच्चे भी परंपरा जारी रखेंगे। उन्होंने बताया कि सारंगढ़, भिलाई, बालोद बाजार और जांजगीर से लगभग 200 रामनामी हमारे साथ आये हैं। अभी और भी लोग मौनी अमावस्या से पहले प्रयागराज आ रहे हैं। हम लोग परंपरा के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन राम नाम का जाप करते हुए त्रिवेणी संगम में स्नान करेंगे। राम भजन करते हुए महाकुम्भ से अपने क्षेत्रों में लौट जाएंगे। उन्होंने बताया कि वो रामनाम को ही अवतार और भवसागर की पतवार मानते हैं। वो मंदिर नहीं जाते और मूर्ति पूजा नहीं करते। केवल राम नाम का जाप ही उनका भजन है और रामनाम लिखी देह ही मंदिर।

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