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जुर्म

कश्मीर में दोहराया जा रहा 1990 का इतिहास, कश्मीरी पंडित पलायन करने पर मजबूर

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पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में अल्पसंख्यकों पर हो‌ रहे हमलों ने कश्मीरी पंडितों के पलायन को जन्म दिया और एक सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों की हत्या के एक दिन बाद शुक्रवार को कई परिवारों ने घाटी छोड़ दी। मारे गए शिक्षकों मे से एक कश्मीरी पंडित और दूसरी एक कश्मीरी सिख थी। आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों को‌ निशाना बनाए जाने से लोग परेशान हैं।

बंदा दें कि तीन दिनों में चार हत्याएं हो चुकी हैं। कई अन्य परिवार अगले कुछ दिनों में घाटी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक दर्जनों कश्मीरी पंडित परिवारों को शेखपुरा छोड़ते हुए देखा गया। इस इलाके को विशेष रूप से 2003 में बडगाम जिले में स्थापित किया गया था ताकि पंडितों को वापस लाया जा सके और उनका पुनर्वास किया जा सके।

कश्मीरी पंडितों ने किया प्रदर्शन, लगाए पाकिस्तान विरोधी नारे

कश्मीर में तीन लोगों की हत्या का विरोध कर रहे कश्मीरी हिंदुओं ने जम्मू (एपी) में नारे लगाए। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम (जेकेपीएफ) के बैनर तले शुक्रवार को हजारों लोगों ने एक रैली में हिस्सा लिया और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना और जागरण मंच ने भी घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किया, जबकि कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों ने पुरखू, बूटानगर और मुठी में विरोध प्रदर्शन किया। मारे गए स्कूल शिक्षक दीपक चंद की मां, कांता देवी ने कहा कि ‘सरकार उनके बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकी, जो कश्मीर में जीविकोपार्जन के लिए आया था और उसने अपने जीवन का भुगतान किया।’ कांता देवी 1990 के दशक में घाटी से बाहर चली गई थीं। जानकारी के मुताबिक इस बीच प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को 10 दिन की छुट्टी दे दी है।

प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को दी 10 दिन की छुट्टी

2015 में प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किए गए एक विशेष पैकेज के तहत अपने बेटे को नौकरी मिलने के बाद क्लस्टर में अपने बेटे और बहू के साथ रहने वाली शारदा देवी ने कहा कि ‘मैंने शनिवार की सुबह के लिए एक कैब बुक की थी, जब मैंने योजना बनाई थी चुपचाप अपना घर छोड़ दूं।’
एक अन्य कश्मीरी पंडित ने कहा कि ‘हालिया हत्याओं के बाद हमारे पास इलाके से बाहर कदम रखने की हिम्मत नहीं है। हम इस कॉलोनी के अंदर सुरक्षित हैं क्योंकि इसमें उचित सुरक्षा है, लेकिन हम काम के लिए बाहर नहीं जा सकते। हम में से कुछ को कार्यालयों में जाना पड़ता है और इस तरह हर समय घर के अंदर नहीं रह सकते हैं।’

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उत्तर प्रदेश

मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट

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कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।

इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।

मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।

संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।

संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को

अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।

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