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अन्तर्राष्ट्रीय

इस्राइल-हमास संघर्ष और हिंसा रोकने की भारत ने की अपील, बंधकों की रिहाई का किया आह्वान

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What upset India so much that it abstained from voting on Gaza in the UN?

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न्यूयॉर्क। इस्राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और नागरिकों की जान की क्षति पर चिंतित भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में युद्ध पर अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और आश्चर्यजनक नुकसान पर गहराई से चिंतित है। जारी संघर्ष में नागरिकों की जान जा रही है। क्षेत्र में शत्रुता बढ़ने से मानवीय संकट और बढ़ेगा। सभी पक्षों के लिए अत्यधिक जिम्मेदारी प्रदर्शित करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा इस्राइल-फलस्तीन के लिए बातचीत के जरिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है। जिससे इजरायल के साथ शांति से सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले फलस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राज्य की स्थापना हो सके।

सुश्री पटेल ने कहा कि भारत विभिन्न पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने और सीधी शांति वार्ता की जल्द बहाली के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह करता है। इसके लिए, हम आग्रह करते हैं पार्टियों को तनाव कम करना होगा, हिंसा से बचना होगा और सीधी शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करना होगा।

योजना पटेल ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट को संबोधित करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा।’

पटेल ने 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमलों को “चौंकाने वाला” बताया और जोर देकर कहा कि वे निंदा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि भारत बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में 4 लोगों को अजीबोगरीब सजा, मौत का फरमान सुनाने के साथ ही 80 साल कैद की सजा

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लाहौर। पाकिस्तान ने 4 लोगों को एक जुर्म में अजीबोगरीब सजा सुनाई है। पाकिस्तान की एक अदालत ने चार लोगों को मौत का फरमान सुनाने के साथ ही 80 साल कैद की सजा भी दी है। यह सुनकर हर कोई हैरान हो रहा है। सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि उन्हें मौत की सजा देने के बाद फिर 80 साल की कैद देना कैसे संभव है, इस बारे में हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन आइये सबसे पहले बताते हैं कि कैसे फेसबुक इन चारों लोगों की मौत की वजह बन गया।

इन चारों लोगों को ही फेसबुक पर टिप्पणी करने के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। पाकिस्तान की एक अदालत ने फेसबुक पर ईशनिंदा वाली सामग्री साझा करने के जुर्म में इन सभी को मौत की सजा सुनाई है। साथ ही 80 साल के कैद की सजा सुनाई है। दरअसल यह सजा अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज होने और अलग-अलग जुर्म साबित होने पर सुनाई गई है, जिसमें एक मामले में मौत और दूसरे मामले में 80 साल कैद की सजा दी गई है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

कौन हैं चारों दोषी

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोहम्मद तारिक अयूब ने शुक्रवार को चार संदिग्धों – वाजिद अली, अहफाक अली साकिब, राणा उस्मान और सुलेमान साजिद को पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) और उनके सहयोगियों तथा उनकी पत्नियों का अपमान करने के लिए दोषी ठहराया। अदालत के अधिकारी ने कहा कि दोषियों ने चार अलग-अलग पहचानपत्र (आईडी) से फेसबुक पर ईशनिंदा संबंधी सामग्री अपलोड की। अधिकारी ने कहा, ‘‘न्यायाधीश ने अभियोजन एवं बचाव पक्ष, दोनों की दलीलें और गवाहों के बयान सुनने के बाद उनमें से प्रत्येक को अलग-अलग मामलों में मौत की सजा के साथ सही 80 साल कैद की सजा सुनाई।’’

अधिकारी ने बताया कि दोषियों के खिलाफ 52 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों का इस्तेमाल अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों और झूठे आरोपों का निशाना बनने वाले अन्य लोगों के खिलाफ किया जाता है, यह कानून आरोपियों को धमकाने या मारने के लिए तैयार निगरानीकर्ताओं का हौसला बढ़ाता है।

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