करियर
जेईई मेन 2024 रिजल्ट जारी, अभ्यर्थियों ने परसेंटाइल कैलकुलेशन में लगाया त्रुटि का आरोप
नई दिल्ली। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मेन 2024 के परिणाम आधिकारिक वेबसाइट – jeemain.nta.ac.in पर घोषित कर दिए है। इस बार कुल 23 अभ्यर्थियों को 100 परसेटाइल अंक मिले हैं। सबसे बड़ी बात इस बार कोई भी महिला कैंडिडेट्स 100 परसेंटाइल नहीं पा सकी है। हालांकि परसेंटाइल कैलकुलेशन को लेकर भी विवाद भी खड़ा हो गया है। कुछ छात्रों ने परसेंटाइल कैलकुलेशन में त्रुटि का आरोप लगाया है। लेकिन एनटीए ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
दक्षिणी दिल्ली के रहने वाले छात्र आर्यन अग्रवाल ने 27 जनवरी को जेईई मेन 2024 सत्र 1 की परीक्षा थी। आर्यन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 238/300 स्कोर किया है। लेकिन उन्हें 99.088 दिया गया है। जबकि “अन्य तारीखों पर एग्जाम देने वाले जिन छात्रों को मेरे बराबर अंक मिला है, उन्हें मुझसे ज्यादा परसेंटाइल दिया गया है। क्या यह मेरी गलती है कि मुझे 27 जनवरी को सुबह की पाली दी गई? एनटीए इस बात पर ध्यान नहीं दे रहा है।
वहीं, 27 जनवरी को ही शिफ्ट-1 में परीक्षा देने वाले लखनऊ के एक अन्य छात्र ने आरोप लगाया है कि उन्हें 163 अंक प्राप्त किए, जिससे उन्हें 93 परसेंटाइल अंक मिले हैं। जबकि वह 96 से 98 प्रतिशत तक उम्मीद कर रहे थे। “80 अंकों का अंतर बहुत बड़ा है। मैं मानता हूं कि 27 जनवरी की परीक्षा 31 जनवरी की परीक्षा की तुलना में आसान थी, लेकिन कठिनाई स्तर में अंतर उतना बड़ा नहीं था जितना स्कोर और प्रतिशत में अंतर था। एनटीए को इस मुद्दे की दोबारा जांच करने की जरूरत है।
एक अन्य छात्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि 27 जनवरी की परीक्षा के छात्रों को 130-140 अंक हासिल करने के बाद 89 परसेंटाइल अंक मिले हैं लेकिन 31 जनवरी की पाली के छात्रों को 70-75 अंक हासिल करने के बाद 89 परसेंटाइल अंक दिए गए हैं।
एक अभ्यर्थी ने आरोप लगाते हुए कहा कि है उसे 142 अंक और 92 परसेंटाइल अंक मिले हैं, जबकि 31 जनवरी (शिफ्ट 2) के छात्रों को 75-80 अंक प्राप्त करने के बाद 92 परसेंटाइल अंक मिले हैं। हालांकि, एनटीए ने इन अभ्यर्थियों के आरोपों को खारिज कर दिया है और दावा किया है कि छात्रों को उनके प्रदर्शन के अनुसार परसेंटाइल दिया गया है।
साथ ही परसेंटाइल कैलकुलेशन में किसी प्रकार की गलती भी नहीं है। परसेंटाइल स्कोर परीक्षा में बैठने वाले सभी लोगों के सापेक्ष प्रदर्शन पर आधारित स्कोर होते हैं। प्रत्येक सत्र के परीक्षार्थियों के लिए प्राप्त अंकों को 100 से 0 तक के पैमाने में बदल दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश
अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- नौकरी भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में जमकर प्रदर्शन किया। लोकसेवा आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्कामुक्की भी हुई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हो चुका है। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर यही है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश ने कहा कि उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा। नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार। भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए।
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवार वाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बांटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकारकर ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।
अखिलेश ने कहा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।
उन्होंने कहा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं। आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’ क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं। जिस समय छात्रों की आवाज में आवाज मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता की मलाई। सपा प्रमुख ने कहा कि नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है। जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।
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