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उत्तर प्रदेश

सुपर डीलक्स होटल जैसी सुविधाओं से लैस होगी महाकुम्भ की टेंट सिटी, मिलेंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं

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प्रयागराज। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में आने वाले करोड़ों भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर योगी सरकार महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-20 (अरैल) में 2000 से ज्यादा स्विस कॉटेज बेस्ड टेंट्स की स्थापना कर रही है। इन टेंटों की स्थापना उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसटीडीसी) द्वारा किया किया जा रहा है और 6 पार्टनर्स के साथ मिलकर विभिन्न टेंट ब्लॉक्स की स्थापना कर रहे हैं। इनमें आगमन, कुम्भ कैम्प इंडिया, ऋषिकुल कुम्भ कॉटेज, कुम्भ विलेज, कुम्भ कैनवस व एरा प्रमुख हैं। खास बात यह है कि वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड्स के अनुसार इन टेंट्स की स्थापना व संचालन की जाएगी जो फाइव स्टार होटल क्षेणी की सुविधाओं से लैस होंगी। यह सुपर डीलक्स टेंट विला, महाराजा, स्विस कॉटेज व डॉर्मेटरी फॉर्मैट में उपलब्ध रहेंगी जिनका प्राइसिंग 1500 से 35 हजार के बीच प्रतिदिन के हिसाब से तय रहेंगी। वहीं, डॉर्मेटरी के अलावा 4000 से 8000 का शुल्क अतिरिक्त व्यक्ति के ठहरने पर देना होगा।

75 देशों के 45 करोड़ विजिटर्स को ध्यान में रखकर स्थापित हो रही टेंट सिटी

यूपीएसटीडीसी द्वारा जो टेंट सिटी स्थापित की जा रही है वह सीएम योगी के विजन के अनुरूप तैयार की जा रही है। अनुमान है कि महाकुम्भ 2025 में 75 देशों के 45 करोड़ से अधिक विजिटर्स आ सकते हैं, ऐसे में उन्हें वर्ल्ड क्लास अकॉमोडेशन फैसिलिटी उपलब्ध कराने के लिए 1 जनवरी से 5 मार्च की समयावधि के बीच इन टेंट्स का संचालन किया जाएगा। इन टेंट्स को यूपीएसटीडीसी की वेबसाइट और महाकुम्भ ऐप के जरिए भी बुक किया जा सकता है।

योग समेत विभिन्न गतिविधियों में सम्मिलित होने का मिलेगा मौका

इन टेंट्स में ठहरने वाले लोगों की सुविधा के लिए विला टेंट्स को 900 स्क्वेयर फीट, सुपर डीलक्स टेंट्स को 480 से 580 स्क्वेयर फीट तथा डीलक्स ब्लॉक्स की स्थापना 250 से 400 स्क्वेयर फीट के क्षेत्र में होगी। इन टेंट्स में एसी, डबल बेड, मैट्रेस, सोफा सेट, कस्टमाइज्ड इंटीरियर्स, राइटिंग डेस्क, इलेक्ट्रिक गीजर, फायर एक्सटिंगुइशर्स, रजाई, ब्लैंकेट, मॉस्किटो नेट, वाईफाई, डाइनिंग एरिया व कॉमन सिटिंग एरिया जैसी सुविधाएं उपलब्ध होगी जो नदी किनारे सुखद पर्यावरणीय दृष्यों के अवलोकन का अनुभव प्रदान करेंगे। वहीं, इनके पैकेज में योग, कल्चरल इवेंट्स व प्रयागराज से जुड़ी अन्य प्रमुख स्थलों व धार्मिक महत्व के क्षेत्रों की जानकारी उपलब्ध कराना भी सम्मिलित होगा।

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उत्तर प्रदेश

शैव अखाड़ों के महाकुम्भ नगर में छावनी प्रवेश के बाद वैष्णव अखाड़ों का कुम्भ क्षेत्र में हुआ भव्य प्रवेश

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महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर 13 जनवरी से आयोजित होने जा रहे आस्था के जन समागम महाकुम्भ में सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों की दुनिया विस्तार लेने लगी है। शैव उपासक संन्यासी अखाड़ों के छावनी क्षेत्र में प्रवेश के बाद बुधवार को विष्णु उपासक वैष्णव अखाड़ों का भी भव्य छावनी प्रवेश हुआ। शहर में जगह जगह वैष्णव अखाड़ों के संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।

वैष्णव अखाड़ों की छावनी प्रवेश यात्रा में दिखा राम भक्ति का अद्भुत रंग

संगम की रेती में बसी अखाड़ों की दुनिया में शिव उपासक अखाड़ों के छावनी प्रवेश के समापन के बाद अब वैष्णव अखाड़ों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। शहर के केपी ग्राउंड परिसर से तीनों वैष्णव अखाड़ों की भव्य छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत हुई। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम भद्राचार्य की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकाली गई जिसमें दस हजार से अधिक वैष्णव उपासक संतो ने हिस्सा लिया। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास का कहना है कि प्रवेश यात्रा में तीनों वैष्णव अखाड़ों के सौ से अधिक महा मंडलेश्वर और द्वाराचार्य ने हिस्सा लिया।

प्रवेश यात्रा में वैष्णव संतो के युद्ध कला प्रदर्शन पर जमकर हुई पुष्प वर्षा

तीनों वैष्णव अखाड़ों ने संयुक्त रूप से अपनी छावनी प्रवेश यात्रा निकाली जिसे देखने के लिए शहर के मार्गों में दोनों तरफ हज़ारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। यात्रा में सबसे आगे तीनों अखाड़ों के इष्ट भगवान हनुमान की धर्म ध्वजा और मूर्ति के बाद अखाड़ों के खालसों की रंग बिरंगी धर्म ध्वजा लहरा रही थी। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम भद्राचार्य के रथ के बाद गाजे बाजे और बैंड बाजे के साथ हाथी, घोड़े और ऊंट की सवारी में सिंहासन में विराजमान संत चल रहे थे। इन सबके बीच वैष्णव अखाड़ों के संतों के युद्ध कला कौशल का प्रदर्शन सबके लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला के संकल्प को दर्शाती इस युद्ध कला का प्रदर्शन कर रहे संतो पर जगह जगह पुष्प वर्षा की गई। मेला प्रशासन की तरफ से भी वैष्णव अखाड़ों का महा कुम्भ क्षेत्र पहुंचने पर विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया गया।

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