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उत्तर प्रदेश

स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधा का मानक होगा महाकुंभ 2025: मुख्यमंत्री योगी

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● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी प्रयागराज महाकुंभ को स्वच्छता, सुविधा और सुरक्षा का मानक आयोजन बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है महाकुंभ-2025 पूरे विश्व को सनातन भारतीय संस्कृति से साक्षात्कार कराने का सुअवसर है। यह न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि भारत के ग्लोबल ब्रांडिंग का माध्यम बनेगा। हमें इसके सफल आयोजन के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना होगा। महाकुंभ के प्रबंधन से जुड़े विभिन्न विभागों के साथ मुख्यमंत्री ने सोमवार को बैठक कर अब तक हुई तैयारियों की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव नगर विकास तथा कुंभ मेलाधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों ने अब तक की तैयारियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:-

● 12 वर्षों के अंतराल पर आगामी वर्ष 2025 में प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर महाकुंभ का पावन अवसर आने वाला है। मानवता की इस अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने को पूरी दुनिया उत्सुक है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हम सबने वर्ष 2019 में कुंभ का सफल आयोजन कर एक मानक स्थापित किया है। इस बार लोगों की अपेक्षाएं हमसे और अधिक हैं। आम जन की आस्था, अपेक्षा और आकांक्षा का ध्यान रखते हुए महाकुंभ की गरिमा और महत्ता के अनुरूप आयोजन होना चाहिए। एक बार पुनः हमें बेहतर टीमवर्क के साथ कार्य करके दिखाना होगा।

● 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ मेला प्रस्तावित है। संतगणों, स्नानार्थियों, कल्पवासियों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों आदि की सुविधा के दृष्टिगत वर्ष 2019 के सापेक्ष महाकुंभ 2025 विशाल परिसर में आयोजित होगा। पिछली बार जहां 3200 हेक्टेयर में मेला फैला था, इस बार 4000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में इसका विस्तार किया जा रहा है। ऐसे में पार्किंग, पांटून पुल की संख्या, घाटों की संख्या, स्ट्रीट लाइट, शौचालय आदि की संख्या को आवश्यकतानुसार और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए।

● 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक के 45 दिवसों के भीतर पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि प्रमुख स्नान तिथियां होंगी। महाकुंभ में दैनिक श्रद्धालुओं/पर्यटकों के अतिरिक्त कल्पवासियों की उपस्थिति भी होगी। उनकी सुरक्षा, सुविधा और आवश्यकताओं के अनुरूप यथोचित व्यवस्था की जाए।

● कुशल प्रबंधन में ट्रैफिक और पार्किंग महत्वपूर्ण विषय है। मेलाक्षेत्र और प्रयागराज नगर में इन दोनों पर बेहतर कार्ययोजना बनाएं। प्रयास हो कि मेलाक्षेत्र में कोई भी पार्किंग संगम से 05 किमी से अधिक दूर न हो।

● प्रयागराज में 07 रिवर फ्रंट रोड, 14 आरओबी और 07 पुराने घाटों के सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। 06 लेन सेतु का निर्माण भी जारी है। यह सभी कार्य प्रत्येक दशा में अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाए। जिन विभागों द्वारा कार्य किया जा रहा है, वह इसकी लगातार मॉनीटरिंग करें, गुणवत्ता की परख करें और समय-सीमा के भीतर कार्य पूरा कराएं।

● प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान सतत जारी रखें। सड़कों का चौड़ीकरण, सौंदर्यीकरण का कार्य समय से पूरा कराया जाए। रोड साइड फ़साड डेवलपमेंट का कार्य सितम्बर तक पूरा करा लिया जाए।

● महाकुंभ का पुण्यलाभ प्राप्त करने आ रहे श्रद्धालुओं और देश-दुनिया के पर्यटकों की सुविधा के लिए मेलाक्षेत्र तक सुगमतापूर्वक आवागमन के लिए रोड, रेल और एयर की बेहतरीन कनेक्टिविटी होनी आवश्यक है। परिवहन विभाग द्वारा 7000 से अधिक बसों की व्यवस्था कराई जाए। नगर विकास विभाग द्वारा अधिकाधिक ईवी शटल बसों की उपलब्धता कराई जाए। एयरपोर्ट के नवीन टर्मिनल का निर्माण कार्य अक्टूबर तक पूरा करा लें। व्यवस्था ऐसी हो जिससे एयरपोर्ट से मेलाक्षेत्र तक पहुंचने में 30 से 40 मिनट से अधिक समय न लगे।

● महाकुंभ भारत की प्राचीन संस्कृति का परिचायक है। इसकी गरिमा के अनुरूप पूरे नगर को सजाया जाना चाहिए। कुंभ से जुड़े कथानक, सनातन संस्कृति के प्रतीकों आदि को चित्रित किया जाए। चौराहों पर कुंभ के लोगो लगाए जाने चाहिए। थीम आधारित द्वार, स्तम्भ, लाइटिंग के प्रयास होने चाहिए।

● प्रयागराज कुंभ 2019 की स्वच्छता ने हर आगंतुक को प्रभावित किया था। इस बार हमें ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है। महाकुंभ 2025 प्रतिबंधित पॉलिथीन मुक्त हो, इसके लिए संकल्पित होकर जनसहयोग के साथ कार्य करना होगा। प्रयागराज का हर एक वार्ड-हर एक मोहल्ला स्वच्छ हो, इसके लिए मोहल्ला स्वच्छता समिति गठित करायें। अभी से प्रयास प्रारंभ कर दें। जनजागृति बढ़ाएं। मेला क्षेत्र सहित पूरा प्रयागराज स्वच्छता का मॉडल बनकर प्रतिष्ठित हो, इसके लिए हर किसी को योगदान करना होगा। प्रयागराज नगर को जोड़ने वाली मुख्य सड़कों पर ट्री गार्ड सहित पौधे लगाए जाएं। ग्रीन प्रयागराज-ग्रीन महाकुंभ का लक्ष्य लेकर कार्य किया जाना चाहिए।

● महाकुंभ में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के संभावित आगमन के दृष्टिगत मेला क्षेत्र में 1,50,000 शौचालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इनकी नियमित सफाई हो, इसके लिए 10 हजार से अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। कर्मचारियों के मानदेय का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित होना चाहिए। मेला क्षेत्र की स्वच्छता के लिए पर्याप्त कर्मचारी तैनात होने चाहिए।

● प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि बिजनौर से बलिया तक के पूरे प्रवाह क्षेत्र में गंगा जी में कहीं भी गंदगी न हो। एक भी नाला/सीवेज गंगा जी में न गिरे। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ-साथ सभी संबंधित जिले में गंगा स्वच्छ समिति एक्टिव करें। गांवों से कूड़ा नदी में न डाला जाए। ड्रेनेज गंगा जी में न गिरें। मृत जानवरों का जल प्रवाह न किया जाए।

● अक्षयवट, सरस्वती कूप, पातालपुरी कॉरीडोर का कार्य तेजी से पूरा कराया जाए। सेना से अपेक्षित सहयोग प्राप्त हो रहा है। उनसे सतत समन्वय बनाये रखें। नागवासुकि मंदिर, श्रृंगवेरपुर धाम, मनकामेश्वर मंदिर, द्वादशमाधव मंदिर और अलोपशंकरी मन्दिर में पर्यटन विभाग द्वारा जारी कार्य समय से पूरे कर लिए जाएं।

● श्रद्धालुओं और पर्यटकों की।सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उनके प्रवास के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अच्छे पंडाल तैयार करायें। विशिष्ट और अतिविशिष्ट अतिथियों के प्रवास के लिए भी शिविर तैयार किये जाने चाहिए।

● महाकुंभ में आने वाले हर श्रद्धालु/पर्यटक के साथ पुलिसकर्मियों के व्यवहार मधुर और मर्यादित हो। लोगों का सहयोग करें। फोर्स की तैनाती से पहले उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिये। पुलिस को 24×7 एक्टिव रहना होगा। मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है। इसकी बेहतर कार्ययोजना तैयार करें। AI आधारित भीड़ की निगरानी, भीड़ घनत्व का विश्लेषण, घटना की रिपोर्टिंग, कॉल सेंटर, खोया पाया केंद्र, फ़ायरसेफ्टी, सीसीटीवी कैमरे, जल पुलिस की तैनाती आदि की समुचित व्यवस्था की जाए। जहां अतिरिक मैनपॉवर की आवश्यकता हो, प्रबंधन करें। सुरक्षा के सभी मानकों पर पुख्ता प्रबंध होने चाहिए।

● महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए रेलवे सबसे सहज साधन होगा। सबसे ज्यादा लोग इसी माध्यम से आएंगे। ऐसे में रेलवे के साथ समन्वय बनाएँ। राज्यवार ट्रेनों के लिए स्टेशन/प्लेटफार्म पहले से नियत होंगे तो सुविधा होगी। इसका प्रचार-प्रसार भी किया जाना चाहिए। महाकुंभ आयोजन में किसी भी विभाग को कोई असुविधा आ रही हो तो तत्काल मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

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उत्तर प्रदेश

अपने कार्यों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें, जो औरों के लिए प्रेरणादायी बनेः सीएम योगी

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कानपुर |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कार्य ही विधायिका में आपकी यात्रा को शानदार व स्मरणीय बनाएगा। कार्यकाल इस मायने में महत्व नहीं रखता कि कितना लंबा कार्य कर रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि कितने प्रभावी तरीके से आपने छाप छोड़ी है। यूपी की दृष्टि से आप छह से सात लाख और उत्तराखंड में साढ़े तीन से चार लाख लोगों की आबादी का नेतृत्व कर रही हैं। यह सौभाग्य लाखों में किसी एक को प्राप्त हो रहा है, इसलिए विधायिका के मंच से हमें भी अपने कार्यों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है, जो औरों के लिए प्रेरणादायी बन सके। विधायिका में आपकी उपस्थिति तभी प्रभावी हो पाएगी, जब आप आमजन व धरातल से जुड़े मुद्दों को रख पाएंगे। विधायिका के मंच पर कही गई आपकी बात आने वाले समय के लिए धरोहर बनती है।

मुख्यमंत्री ने बुधवार को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड विधान मंडल की महिला सदस्यों के सम्मेलन में शिरकत की। उन्होंने दोनों अध्यक्षों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह पल मेरे लिए आह्लादित करने वाला है। मेरा दोनों प्रदेशों से जुड़ाव है, क्योंकि उत्तर प्रदेश मेरी कर्मभूमि और उत्तराखंड जन्मभूमि है। उन्होंने कहा कि ऋतु खंडूरी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राष्ट्र के लिए समर्पण की है। उनके परिवार से अनुभव व विरासत की अद्भुत परंपराएं जुड़ी हैं।

इनोवेशन व नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही उत्तर प्रदेश विधानसभा

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी विधानसभा है। यह पिछले ढाई-तीन वर्ष के अंदर इनोवेशन और नए-नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही है। उप्र विधानसभा ने ई-विधान को सफलतापूर्वक लागू कर इसे पेपरलेस किया है। पॉर्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में इन बातों को हम केवल बोल ही नहीं सकते, बल्कि उसका अनुभव भी कर सकते हैं। उप्र विधानसभा ने अनेक फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को मंच दिया। सामान्यतः विधानसभा में लोग दलीय प्रतिबद्धता से जुड़े होते हैं, इसलिए कॉमन सहमति नहीं बन पाती है, लेकिन अधिवक्ताओं, अभियांत्रिकी, चिकित्सकों, विज्ञान बैकग्राउंड या अलग-अलग पक्षों के प्रतिनिधि के साथ ग्रुप में बैठते हैं तो दलीय प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर समाज व देश के बारे में सोचते हैं।

प्रगतिशील देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी भी नहीं, यूपी में 14 से 15 फीसदी

सीएम योगी ने कहा कि प्रगतिशील देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व विधायिका में 10 फीसदी भी नहीं है। उत्तराखंड में 10 फीसदी से थोड़ा ऊपर है। उप्र विधानसभा में यह प्रतिशत 14 से 15 फीसदी है। अब नारीशक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया है, उत्तराखंड में भी इसमें वृद्धि होगी।

आधुनिक व अन्य देशों में महिलाओं को मताधिकार की ताकत भारत से बहुत बाद में मिली

सीएम योगी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है। यह हमारे रग-रग में बसा हुआ है। भारतीय लोकतंत्र ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सबको स्वतंत्रता दी है। आधुनिक लोकतंत्र दुनिया में बाद में आया होगा, लेकिन भारत में लोकतंत्र व गणतंत्र की शुरुआत ईस्वी से 600 वर्ष पूर्व वैशाली से प्राप्त होती है। भारत में 1952 में पहला चुनाव हुआ तो पुरुष के साथ महिलाओं को भी मत देने का अधिकार प्राप्त हुआ था। इंग्लैड में हमसे बाद में मिला। आधुनिक व अन्य देशों में महिलाओं को मताधिकार की ताकत भारत से बहुत बाद में मिली। इस मामले में भारत दुनिया से बहुत आगे है। उन्होंने कहा कि नर-नारी मिलकर समाज की व्यवस्था का संचालन करते हैं और इसकी शुरुआत परिवार से होती है।

समाज को भी सहभागी बनना पड़ेगा

सीएम ने कहा कि केवल सरकार के बहाने कोई स्कीम बहुत सफल हो जाए, यह कठिन है। इसके लिए समाज को भी सहभागी बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष के अंदर पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए कार्य अद्भुत हैं। हर घऱ में नारी गरिमा के प्रतीक शौचालय बने। 4 करोड़ परिवारों को आवास मिला, उसमें भागीदारी महिलाओं को मिली। 10 करोड़ से अधिक रसोई गैस के कनेक्शन से महिलाओं को काफी राहत मिली। देश के अंदर नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पारित हो चुका है। 2029 के बाद हर चुनाव (विधानसभा व संसद) में भी एक तिहाई से अधिक प्रतिनिधित्व महिलाओं का होने जा रहा है यानी 14-15 फीसदी से बढ़कर यह 33 से 50 फीसदी पहुंच सकता है।

56 फीसदी ब्लाक प्रमुख, 70 फीसदी महिलाएं जिला पंचायत अध्यक्ष

सीएम ने कहा कि हमारे यहां 56 फीसदी महिलाएं ब्लाक प्रमुख, 70 फीसदी जिला पंचायत अध्यक्ष जीती हैं। स्थानीय निकाय चुनाव, ग्राम प्रधानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत अच्छा है। वे बहुत अच्छा कार्य भी कर रही हैं। विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तब प्रभावी होगा, जब वे अपने विवेक से निर्णय लेकर समाज से जुड़ी योजनाओं में संवेदना का परिचय देंगी। आज महिलाएं हर फील्ड में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। विधायिका में जाने के लिए समाज जीवन के बारे में भी नजदीक से देखें। कोई पक्ष कमजोर या खराब नहीं होता, उसके बारे में देखने का नजरिया अत्यंत मायने रखता है।

देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश की थीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र पहले से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है। देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश (तब यूपी व उत्तराखंड एक) के थे। इसमें चार सदस्य कमला चौधरी, सुचेता कृपलानी, बेगम एजाज रसूल, पूर्णिमा बनर्जी थीं। इन लोगों ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बनकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। महिला जैसे घर को व्यवस्थित रूप से संचालित करती हैं, वैसे ही ग्राम पंचायत, स्थानीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा में जाकर भी महिलाएं विकास के जरिए उदाहरण प्रस्तुत करें।

एक ग्राम पंचायत को स्वावलंबी बनाएंगे तो अलग-बगल वाले भी सीखेंगे

सीएम ने यूपी के अंदर ग्राम पंचायत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए गए कार्यों को गिनाया और बताया कि इससे भी रोजगार का सृजन किया गया। एक गांव कम से कम पांच से सात लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है। महिला स्वयंसेवी समूह को जागरूक कर ड्रोन दीदी, बीसी सखी आदि के माध्यम से ग्राम पंचायत को स्वाबलंबी बनाएंगे तो अगल-बगल के गांव भी सीखेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में एक या दो क्षेत्र को उदाहरण बनाइए। शुरुआत एक से होगी, लेकिन उदाहरण सबके लिए होगा। सरकार व समाज जुड़ेगा तो आदर्श मॉडल बनाने में सफल हो पाएंगे।

कार्यक्रम में उप्र विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूरी, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्या, गुलाब देवी, मंत्री रजनी तिवारी, प्रतिभा शुक्ला आदि मौजूद रहीं।

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