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बिजनेस

पेरिस में इंडिया हाउस के उद्घाटन पर नीता अंबानी ने ओलंपिक भारत लाने की वकालत की

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मुंबई/पेरिस। पेरिस ओलंपिक की शानदार शुरूआत के एक दिन बाद, पेरिस में भारत के पहले कंट्री हाउस यानी इंडिया हाउस का उद्घाटन हुआ। रिलायंस फाउंडेशन की फाउंडर और चेयरपर्सन नीता एम अंबानी ने पारंपरिक भारतीय तरीके से दीप प्रज्वलित करके इंडिया हाउस को शुरूआत की।

उद्घाटन समारोह में देश विदेश के मेहमान, आईओसी अधिकारी और भारत की मशहूर हस्तियां शामिल थी। उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में आईओसी समिति के सदस्य सेर मियांग एनजी, भारतीय ओलंपिक संघ की प्रेसिडेंट पी.टी. उषा, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ, बीसीसीआई के जय शाह, और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा शामिल रहे।

इस मौके पर आईओसी सदस्या नीता अंबानी ने ओलंपिक को भारत लाने की खुलकर वकालत की, “ओलंपिक के इतिहास में पहली बार बने इंडिया-हाउस में आपका स्वागत है। आज हम 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में हम एक नया सपना देख रहे हैं, एक ऐसा सपना जो 1.4 अरब भारतीयों का है। भारत को ओलंपिक में लाने का और ओलंपिक को भारत में लाने का, एक साझा सपना। अब समय आ गया है कि एथेंस में पहली बार जलाई गई ओलंपिक ज्योति हमारी प्राचीन भूमि भारत में भी प्रज्वलित हो। वह दिन दूर नहीं जब भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी करेगा। इंडिया हाउस के उद्घाटन पर यह हमारा सामूहिक संकल्प है।”

इंडिया हाउस के महत्व पर श्रीमती अंबानी ने कहा, “इंडिया हाउस को भारत की ओलंपिक आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। हम आशा करते हैं कि हमारे एथलीटों के लिए यह घर से दूर एक घर बन जाए, एक ऐसी जगह जहाँ हम उनका सम्मान करें, उनके जज्बे को सलाम करें और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाएं। इंडिया हाउस आखिरी मंजिल नहीं है, यह भारत के लिए एक नई शुरुआत है। इंडिया हाउस में हम दुनिया का स्वागत करते हैं, ताकि वे पेरिस के हृदय में भारत की सुंदरता, विविधता और समृद्ध विरासत का अनुभव कर सकें।”

इंडिया हाउस के उद्घाटन समारोह में बॉलीवुड गायक शान ने अपनी गायकी से समां बांध दिया। उनके बॉलीवुड गानों पर दर्शक खुल कर झूमे। आगंतुकों का स्वागत ढोल की थाप के साथ किया गया। इसके बाद मुंबई के दृष्टिहीन बच्चों ने पारंपरिक भारतीय खेल मल्लखंभ का शानदार प्रदर्शन किया। इंडिया हाउस पार्क ऑफ नेशंस में पार्क डे ला विलेट में स्थित है और 27 जुलाई से 11 अगस्त तक ओलंपिक खेलों के दौरान स्थानीय समयानुसार सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक आगंतुकों के लिए खुला रहेगा।

नेशनल

गणतंत्र दिवस स्पेशलः तीन भारतीय बिजनेसमैन जिन्होंने अपने अंदाज में लिया अंग्रेजों से बदला

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नई दिल्ली। देश आज यानि 26 जनवरी को 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर आज हम आपको उन तीन भारतीय बिजनेसमैन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने सही मायनों में अंग्रेजों से गुलामी का बदला लिया है। आईए जानते हैं कौन हैं वो 3 भारतीय बिजनेसमैन…

रतन टाटा

बात 1999 की है, जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा और उनकी टीम को विदेश में ‘अपमान’ का सहना पड़ा था। यह घटना तब की है जब रतन अपने ऑटो बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड के पास गए थे तब वहां टाटा की बहुत बेइज्जती की गई। लेकिन 9 साल बाद वक्त ने ऐसी करवट बदली की टाटा ने अमेरिका की मशहूर कंपनियों में से एक जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया।  टाटा के JLR को खरीदने के बाद उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद दिया और कहा कि जेएलआर को खरीदकर आपने हम पर बड़ा अहसान किया है। काडले के मुताबिक, उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी थी।

रूबेन सिंह

लंदन में एक सि‍ख अरबपति‍ ने अंग्रेजों जिस अंदाज में बदला लिया वह बहुत ही अनोखा है। दरअसल, AlldayPA के सीईओ रूबेन सिंह की पगड़ी को एक अंग्रेज ने बैंडेज बता दिया जिसके बाद रूबने ने अपने अंदाज में उस अंग्रेज से बदला लिया।

 

रूबेन ने ट्वि‍टर पर लि‍खा, ‘हाल ही में कि‍सी ने मेरी टर्बन को ‘बैंडेज’ कहा। टर्बन मेरा ताज है और मेरा गर्व। उन्‍होंने अंग्रेज को चैलेंज कि‍या कि‍ वह अपनी टर्बन को अपनी रॉल्‍स रॉयस कारों के साथ मैच करेंगे और वो ही पूरे हफ्ते। अंग्रेज ने शर्त लगाई थी कि‍ रूबेन सिंह अपनी टर्बन को अपनी कार के रंग के समान सात दि‍नों तक नहीं रखते। लेकि‍न रूबेन ने अंग्रेज को अपने अंदाज में करार जवाब दि‍या।

अलवर के राजा जय सिंह

अलवर के राजा ने रॉल्स राय कंपनी की ओर से बेज्जती का बदला एक दिलचस्प तरीके से लिया था। उन्होंने कंपनी की महंगी गाड़ियों से नगरपालिका को सौंप कर उससे कचरा उठवाया था।

जब यह बात पूरे विश्व में फैली की विश्व की नं. 1 कार रोल्स रॉयस की साख मिट्टी में मिल गई। इसके चलते कंपनी ने भारत में राजा को टेलीग्राम में माफी लिखकर भेजी और विनती की कि रोयस रॉयल कार से कचरा न उठवाएं यही नहीं,  कंपनी ने राजा को 6 कारें भेंट स्वरूप फ्री में भेजीं।

जब राजा जयसिंह को यह पता लगा कि रोल्स रॉयस वालों को उनकी गलती का सबक मिल चुका है तब जाकर राजा ने उन कारों से कचरा साफ करना बंद करवाया।

दरअसल, लंदन भ्रमण के दौरान अलवर के राजा जयसिंह साधारण कपड़ों में लंदन की बांड स्ट्रीट की घूम रहे थे। इसी बीच उनकी नजर रोल्स रॉयस कार के शोरूम पर पड़ी।

कार उन्हें देखने में आकर्षक लगी जिसके चलते कार की कीमत को पूछने के लिए वे शोरूम में घुस गए। राजा को अन्य भारतीयों की तरह मानते हुए शोरूम के सेल्समैन ने उन्हें बुरी तरह झिड़का और बेइज्जती करके उनको वहां से भगा दिया। जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने का फैसला किया।

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