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प्रादेशिक

बिहार में जल्द होगा कैबिनेट विस्तार; ये विधायक बन सकते हैं मंत्री; स्पीकर के लिए ये दो नाम

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Nitish Kumar Cabinet Expansion

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पटना। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजग के साथ गठबंधन में सरकार बनाने के एक दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष के पद और अन्य विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल करने के लिए जोरदार पैरवी शुरू हो गई है। नीतीश कुमार ने सोमवार को विभागों के बंटवारे के लिए अपने नए मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। कैबिनेट बैठक के बाद एनडीए घटक दलों के नेता विभागों के बंटवारे को लेकर चुप्पी साधे रहे।

सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट सचिवालय सोमवार शाम तक पोर्टफोलियो वितरण से संबंधित अधिसूचना जारी कर सकता है। कैबिनेट बैठक में रविवार को शपथ लेने वाले सभी आठ मंत्री शामिल हुए। नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा, भाजपा के प्रेम कुमार, जदयू नेता श्रवण कुमार, विजेंद्र यादव और विजय कुमार चौधरी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संतोष कुमार सुमन और निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली।

‘अब एनडीए छोड़ने का सवाल नहीं’

रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि अब एनडीए छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा,”मैं पहले भी उनके (एनडीए) साथ था। हम अलग-अलग रास्तों पर चले गए, लेकिन अब हम साथ हैं और रहेंगे। मैं जहां (एनडीए) था, वहां वापस आ गया और अब कहीं और जाने का सवाल ही नहीं उठता।”

इस बीच, भाजपा ने राजद का प्रतिनिधित्व करने वाले अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ विधानसभा सचिव को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा है। नोटिस में भाजपा नेताओं ने वर्तमान स्पीकर में विश्वास की कमी व्यक्त की है, क्योंकि नई सरकार सत्ता में आ गई है। प्रस्ताव पर भाजपा के साथ-साथ जदयू के विधायकों ने भी हस्ताक्षर किए।

विधानसभा स्पीकर के लिए ये दो नाम आगे

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद बीजेपी के पास रहने की उम्मीद है। स्पीकर पद के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही है उनमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव और अमरेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी शामिल है।

नीतीश कैबिनेट में इन्हें मिल सकती है जगह

भाजपा नेताओं ने सोमवार को संकेत दिया कि अन्य जातियों, अल्पसंख्यक समूहों और महिलाओं से संबंधित विधायकों को जगह देने के लिए एक या दो दिन में कैबिनेट का और विस्तार किया जाएगा। नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन, नितिन नबीन, रामप्रीत पासवान, जनक राम, श्रेयशी सिंह और जदयू नेता सुनील कुमार सिंह, मदन सहनी, लेसी सिंह, शीला मंडल, जयंत राज, अशोक चौझरी और संजय झा को जगह मिल सकती है।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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