आध्यात्म
आज से पितृपक्ष आरंभ, अगले 16 दिन भूलकर भी न करें ये कार्य
नई दिल्ली। पितृपक्ष का आरंभ शुक्रवार 29 सितंबर से हो चुका है और 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान पूर्वजों और पितरों के नाम से श्राद्ध आदि के कार्य किए जाते हैं। पितृपक्ष में कुछ कार्य करने के लिए मना किया गया है पितृ पक्ष में ये पांच कार्य करना प्रतिबंधित है। आइए जानते हैं पितृपक्ष में क्या करें क्या न करें।
पितृ पक्ष का आरंभ 29 सितंबर शुक्रवार से हो चुका है। पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलने वाला है। पितृ पक्ष में कई कार्यों को करने के लिए मना किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में यदि आपको कोई पूर्वज है या अशांत पितृ है तो वह आपसे नाराज हो सकते हैं। पितरों और पूर्वजों के नाराज होने से आपके जीवन में कई तरह की समस्या आ सकती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में कौनसे कार्य करना वर्जित माना जाता है।
पितृपक्ष मे भूलकर भी न करें ये काम
पितृ पक्ष में शराब, मांसाहार, पान, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, आदि वर्जित माना गया है। श्राद्ध में कोई इनक चीजों का सेवन करना है या इन चीजों का उपयोग करता है। उससे पितर नाराज हो जाते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। जैसे विवाह, गृह प्रवेश, दुकान का मुहूर्त आदि तरह के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। साथ ही इस समय में कोई नया सामान भी नहीं खरीदना चाहिए।
पितृ पक्ष में किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। इसके अलावा किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। सट्टा खेलना किसे के साथ छल कपट करना इस तरह के कार्य नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं। साथ ही श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पितृपक्ष में आपके दरवाजे पर यदि कोई भी जानवर, साधु आदि आता है तो उनका अपमान न करें। इन लोगों का अपमान करने से आपके पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं।
साथ ही घर की चौखट पर यदि कोई गाय, कुत्ता, भिखारी आता है तो उनका अपमान भी न करें। साथ ही श्राद्ध करने वाले को बाल नाखून और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।
श्राद्ध के दौरान तर्पण के लिए काले तिल का प्रयोग किया जाता है। इस दौरान भूलकर भी लाल या सफेद तिल के इस्तेमाल न करें। साथ ही श्राद्ध करने के लिए लोहे के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। न ही स्टील के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए।
इस दौरान आप पीतल के बर्तन में भोजन कर सकते हैं और तांबे के बर्तन में पानी पीना चाहिए। श्राद्ध के लिए आप जो भोजन बना रहे हैं उसको न तो चखना चाहिए न ही पहले खुद खाना चाहिए।
आध्यात्म
मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज
महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।
मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक
प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।
शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स
सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।
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