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आध्यात्म

छोटी दिवाली को अयोध्‍या में होंगे प्रधानमंत्री मोदी, दीपोत्‍सव कार्यक्रम में होंगे शामिल

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Deepotsav program

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नई दिल्ली/लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 23 अक्‍टूबर छोटी दिवाली को अयोध्‍या में होंगे। वह वहां रामलला के दर्शन और पूजा अर्चना के साथ ही सरयू घाट पर आरती और राम की पैड़ी पर होने वाले भव्‍य दीपोत्‍सव कार्यक्रम (Deepotsav Program) में शामिल होंगे। पीएम मोदी का कार्यक्रम जारी हो गया है।

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इसके मुताबिक पीएम 23 अक्‍टूबर को शाम 4:55 बजे भगवान रामलला विराजमान का दर्शन और पूजन करेंगे। शाम 5:05 बजे पीएम रामजन्‍भूमि तीर्थक्षेत्र साइट का दौरा करेंगे। शाम 5:40 बजे भगवान राम का राज्‍याभिषेक करेंगे। शाम 6:25 बजे पवित्र सरयू नदी के घाट पर आरती करेंगे। इसके बाद शाम 6:40 बजे दीपोत्‍सव कार्यक्रम में शामिल होंगे। शाम 7:25 बजे पीएम ग्रीन और डिजिटल आतिशबाजी का नजारा भी देखेंगे।

अयोध्‍या में दीपोत्‍सव का बनेगा नया विश्‍व रिकार्ड

अयोध्‍या में छठे दीपोत्‍सव की तैयारी जोरशोर से चल रही है। इस दीपोत्‍सव साढ़े 14 लाख दीप जलाकर 23 अक्‍टूबर को नया वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया जाएगा। यह रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्‍ड रिकार्ड के तौर पर दर्ज किया जाएगा। बता दें कि पिछले साल अयोध्‍या राम की पैड़ी में 9,41,551 दीप जलाकर विश्‍व रिकॉर्ड बनाया गया था।

इस रिकॉर्ड को महाशिवरात्रि पर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे 11 लाख 71 हजार 78 दीप जलाकर तोड़ा गया। अब 23 अक्‍टूबर को रामनगरी अयोध्‍या में एक बार फिर नया वर्ल्‍ड रिकॉर्ड 14.50 लाख दीपों का बनेगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं।

2017 में हुई थी दीपोत्‍सव की शुरुआत

2017 में यूपी में पूर्ण बहुमत से बीजेपी की सरकार बनने और योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद अयोध्‍या में दीपोत्‍सव की शुरुआत की गई थी। पहले साल 51 हजार दीये जलाए गए थे। तबसे हर साल दीयों की संख्‍या बढ़ती जा रही है।

2018 में 3,01152 दीये जलाए गए। 2019 में इस दीपोत्सव कार्यक्रम (Deepotsav Program) को प्रांतीय स्तर का मेला घोषित किया गया। 2019 में 5,50,000 दीप जलाए गए। 2020 में 6,06,569 दीप जलाए गए और 2021 में 9,41,551 दीये जलाए। अब 2022 में 10.50 लाख दीये जलाकर नया विश्‍व रिकॉर्ड बनाया जाएगा।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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