बिजनेस
रिलायंस फाउंडेशन ने 5 हजार अंडरग्रेजुएट स्कॉलरशिप की लिस्ट जारी की
लखनऊ| 28 दिसंबर, 2024: रिलायंस फाउंडेशन ने अंडरग्रेजुएट स्कॉलरशिप के लिए पूरे भारत से 5 हजार स्नातक छात्रो का चयन किया है। चयनित छात्रों की लिस्ट धीरूभाई अंबानी की 92वीं जयंती पर जारी की गई। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश दूसरा शीर्ष राज्य है जिसके सर्वाधिक छात्र स्कॉलरशिप के लिए चयनित हुए हैं। उत्तर प्रदेश के कुल 628 विद्यार्थी स्कॉलरशिप पाने में सफल रहे हैं।
2024-25 की अंडरग्रेजुएट स्कॉलरशिप के तहत प्रत्येक छात्र को 2 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा। छात्रवृत्ति के लिए 1 लाख से अधिक स्नात्क छात्रों ने आवेदन दिया था। जिन छात्रों को चुना गया है उनमें से करीब 70 फीसदी की पारिवारिक आय 2.50 लाख रुपये से कम है।स्कॉलरशिप का दायरा बड़ा ही व्यापक है, 29 राज्यों के 540 जिलों में से स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों को चुना गया है। यह 5 हजार छात्र करीब 1300 शिक्षण संस्थानों से जुड़े हैं। सबसे अधिक जिन राज्यों के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप दी जाएगी, उनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र अव्वल हैं।
रिलायंस फाउंडेशन के प्रवक्ता ने 1 लाख से अधिक आवेदन आने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “चयनित विद्यार्थी देश के सबसे मेधावी छात्रों में से एक हैं। शिक्षा भविष्य की कुंजी है, और हमें इन छात्रों की शैक्षणिक यात्रा का हिस्सा बनने पर गर्व है। प्रतिष्ठित रिलायंस फाउंडेशन अंडरग्रेजुएट स्कॉलरशिप के माध्यम से हमारा लक्ष्य, छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने में मदद करना है। ताकी भारत के विकास में वे अपना योगदान दे सकें। ”
स्कॉरशिप की पूरी लिस्ट www.reliancefoundation.org पर देखी जा सकती है। 17-अंकीय आवेदन संख्या या पंजीकृत ईमेल आईडी दर्ज करके परिणाम जाना जा सकता है। बताते चलें कि दिसंबर 2022 में रिलायंस के फाउंडर- चेयरमैन धीरूभाई अंबानी की 90वीं जयंती पर, रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने अगले 10 वर्षों में 50,000 छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी। तब से, हर साल 5,100 छात्रों को छात्रवृत्तियां दी जा रही है। भारत की सबसे बड़ी निजी छात्रवृत्ति का रिकॉर्ड भी रिलायंस फाउंडेशन की स्कॉलरशिप के नाम है।
नेशनल
गणतंत्र दिवस स्पेशलः तीन भारतीय बिजनेसमैन जिन्होंने अपने अंदाज में लिया अंग्रेजों से बदला
नई दिल्ली। देश आज यानि 26 जनवरी को 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर आज हम आपको उन तीन भारतीय बिजनेसमैन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने सही मायनों में अंग्रेजों से गुलामी का बदला लिया है। आईए जानते हैं कौन हैं वो 3 भारतीय बिजनेसमैन…
रतन टाटा
बात 1999 की है, जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा और उनकी टीम को विदेश में ‘अपमान’ का सहना पड़ा था। यह घटना तब की है जब रतन अपने ऑटो बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड के पास गए थे तब वहां टाटा की बहुत बेइज्जती की गई। लेकिन 9 साल बाद वक्त ने ऐसी करवट बदली की टाटा ने अमेरिका की मशहूर कंपनियों में से एक जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। टाटा के JLR को खरीदने के बाद उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद दिया और कहा कि जेएलआर को खरीदकर आपने हम पर बड़ा अहसान किया है। काडले के मुताबिक, उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी थी।
रूबेन सिंह
लंदन में एक सिख अरबपति ने अंग्रेजों जिस अंदाज में बदला लिया वह बहुत ही अनोखा है। दरअसल, AlldayPA के सीईओ रूबेन सिंह की पगड़ी को एक अंग्रेज ने बैंडेज बता दिया जिसके बाद रूबने ने अपने अंदाज में उस अंग्रेज से बदला लिया।
रूबेन ने ट्विटर पर लिखा, ‘हाल ही में किसी ने मेरी टर्बन को ‘बैंडेज’ कहा। टर्बन मेरा ताज है और मेरा गर्व। उन्होंने अंग्रेज को चैलेंज किया कि वह अपनी टर्बन को अपनी रॉल्स रॉयस कारों के साथ मैच करेंगे और वो ही पूरे हफ्ते। अंग्रेज ने शर्त लगाई थी कि रूबेन सिंह अपनी टर्बन को अपनी कार के रंग के समान सात दिनों तक नहीं रखते। लेकिन रूबेन ने अंग्रेज को अपने अंदाज में करार जवाब दिया।
अलवर के राजा जय सिंह
अलवर के राजा ने रॉल्स राय कंपनी की ओर से बेज्जती का बदला एक दिलचस्प तरीके से लिया था। उन्होंने कंपनी की महंगी गाड़ियों से नगरपालिका को सौंप कर उससे कचरा उठवाया था।
जब यह बात पूरे विश्व में फैली की विश्व की नं. 1 कार रोल्स रॉयस की साख मिट्टी में मिल गई। इसके चलते कंपनी ने भारत में राजा को टेलीग्राम में माफी लिखकर भेजी और विनती की कि रोयस रॉयल कार से कचरा न उठवाएं यही नहीं, कंपनी ने राजा को 6 कारें भेंट स्वरूप फ्री में भेजीं।
जब राजा जयसिंह को यह पता लगा कि रोल्स रॉयस वालों को उनकी गलती का सबक मिल चुका है तब जाकर राजा ने उन कारों से कचरा साफ करना बंद करवाया।
दरअसल, लंदन भ्रमण के दौरान अलवर के राजा जयसिंह साधारण कपड़ों में लंदन की बांड स्ट्रीट की घूम रहे थे। इसी बीच उनकी नजर रोल्स रॉयस कार के शोरूम पर पड़ी।
कार उन्हें देखने में आकर्षक लगी जिसके चलते कार की कीमत को पूछने के लिए वे शोरूम में घुस गए। राजा को अन्य भारतीयों की तरह मानते हुए शोरूम के सेल्समैन ने उन्हें बुरी तरह झिड़का और बेइज्जती करके उनको वहां से भगा दिया। जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने का फैसला किया।
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