Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

बेहद शुभ संयोग में है इस बार शनि प्रदोष व्रत, जानें तारीख व शुभ मुहूर्त

Published

on

Shani Pradosh fast is very auspicious this time

Loading

नई दिल्ली। हर हिंदी मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इसी क्रम में सावन मास की त्रयोदशी तिथि 15 जुलाई को है। इसलिए 15 जुलाई को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस बार प्रदोष व्रत पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। इस बार प्रदोष व्रत के साथ साथ सावन शिवरात्रि का योग है साथ ही इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा।

शनि प्रदोष तारीख और मुहूर्त

बता दें कि जिस तरह से सावन में प्रत्येक सोमवार का महत्व है उसी तरह से प्रदोष व्रत का भी अधिक महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन सुबह से ही वृद्धि योग भी बन रहा है। शुक्रवार 14 जुलाई को शाम 7 बजकर 18 मिनट से त्रयोदशी तिथि लगेगी और शनिवार को शाम 8 बजकर 33 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। साथ ही इस दिन चंद्रमा वृष राशि में उच्च के रहेंगे और मृगशिरा नक्षत्र का शुभ प्रभाव रहेगा। ऐसे में 15 जुलाई को यह व्रत करना उत्तम रहेगा।

प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय

  1. सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक अक्षत, चंदन, भांग धतूरा, और बेलपत्र से अभिषेक करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव अपने भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं।
  2. सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक शहद से करें ऐसा करने से जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
  3. शनि प्रदोष के दिन एक कटोरे में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखकर किसी शनि मंदिर में जाकर दान कर दें। इसमें 1 रुपए का सिक्का भी डाल दें।
  4. सावन प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें और प्रदोष काल में रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें।
  5. शनि प्रदोष व्रत के दिन महादेव की उपासना करना तो उत्तम रहता है। साथ ही इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  6. शनि प्रदोष के दिन काले कुत्ते को एक रोटी बनाकर उसपर सरसों का तेल और थोड़ा गुड़ लगाकर खिलाने से व्यक्ति की किस्मत चमक जाती है।

डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी की पूर्ण सत्य होने का हमारा दावा नहीं है. अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

Continue Reading

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

Continue Reading

Trending