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बिजनेस

शार्क अमन गुप्ता व पीयूष बंसल ने उस स्टार्टअप को किया रिजेक्ट, जिसकी PM मोदी ने की थी तारीफ

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Shark Aman Gupta and Peyush Bansal rejected the startup which was praised by PM Modi.

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नई दिल्ली। टीवी का सबसे पॉप्युलर शो ‘शार्क टैंक सीजन 3’ पहले की ही तरह, इस बार भी सुर्खियों में छाया हुआ है। बीते एपिसोड में अमन गुप्ता ने उस स्टार्टअप को रिजेक्ट कर दिया, जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। ‘डाक रूम’ नाम के स्टार्टअप के फाउंडर्स ने अपनी कंपनी के लिए 4 प्रतिशत की हिस्सेदारी के बदले में 36 लाख रुपये की इक्विटी मांगी थी।

पिच के दौरान, डाक रूम के फाउंडर्स ने बताया कि उनकी कंपनी प्रोडक्ट्स और कैम्पेन के जरिए फिजिकल राइटिंग को बढ़ावा देता है। उनके स्टार्टअप को प्रधानमंत्री मोदी ने भी तारीफ की थी। उन्हें एक लेटर भी भेजा था और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए उनके बिजनेस की सराहना की थी।

अमन गुप्ता ने भी किया मना

सभी शार्क्स ने उनकी बातें सुनी लेकिन अमन गुप्ता ने इनकी पिच को खारिज कर दिया और कहा कि ये कोई बिजनेस नहीं है। ऐसा बहुत पहले होता था। यह कोई बिजनेस नहीं है। मैं इससे बाहर हूं क्योंकि मुझमें आप लोगों जैसा लिखने का कोई जुनून नहीं है। मैं इसमें इनवेस्ट नहीं कर पाऊंगा।

पीयूष बंसल ने भी किया रिजेक्ट

इनके अलावा पीयूष बंसल ने भी डाक रूम में निवेश न करने का फैसला किया। उन्होंने फाउंडर्स को सुझाव दिया कि वह अपने बिजनेस को स्टेशनरी ब्रांड में बदलें। उन्होंने कहा, ‘मैं ये नहीं समझ आ पा रहा हूं कि आपकी और से दी जाने वाली सर्विस आखिर है क्या, और आपका रेवेन्यू मॉडल भी क्या है।’ हालांकि डाक रूम शो से खाली हाथ नहीं गए। उन्हें शार्क रितेश से 6 पर्सेंट के शेयर्स के बदले 36 लाख रुपये की डील मिली।

नेशनल

गणतंत्र दिवस स्पेशलः तीन भारतीय बिजनेसमैन जिन्होंने अपने अंदाज में लिया अंग्रेजों से बदला

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नई दिल्ली। देश आज यानि 26 जनवरी को 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर आज हम आपको उन तीन भारतीय बिजनेसमैन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने सही मायनों में अंग्रेजों से गुलामी का बदला लिया है। आईए जानते हैं कौन हैं वो 3 भारतीय बिजनेसमैन…

रतन टाटा

बात 1999 की है, जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा और उनकी टीम को विदेश में ‘अपमान’ का सहना पड़ा था। यह घटना तब की है जब रतन अपने ऑटो बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड के पास गए थे तब वहां टाटा की बहुत बेइज्जती की गई। लेकिन 9 साल बाद वक्त ने ऐसी करवट बदली की टाटा ने अमेरिका की मशहूर कंपनियों में से एक जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया।  टाटा के JLR को खरीदने के बाद उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद दिया और कहा कि जेएलआर को खरीदकर आपने हम पर बड़ा अहसान किया है। काडले के मुताबिक, उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी थी।

रूबेन सिंह

लंदन में एक सि‍ख अरबपति‍ ने अंग्रेजों जिस अंदाज में बदला लिया वह बहुत ही अनोखा है। दरअसल, AlldayPA के सीईओ रूबेन सिंह की पगड़ी को एक अंग्रेज ने बैंडेज बता दिया जिसके बाद रूबने ने अपने अंदाज में उस अंग्रेज से बदला लिया।

 

रूबेन ने ट्वि‍टर पर लि‍खा, ‘हाल ही में कि‍सी ने मेरी टर्बन को ‘बैंडेज’ कहा। टर्बन मेरा ताज है और मेरा गर्व। उन्‍होंने अंग्रेज को चैलेंज कि‍या कि‍ वह अपनी टर्बन को अपनी रॉल्‍स रॉयस कारों के साथ मैच करेंगे और वो ही पूरे हफ्ते। अंग्रेज ने शर्त लगाई थी कि‍ रूबेन सिंह अपनी टर्बन को अपनी कार के रंग के समान सात दि‍नों तक नहीं रखते। लेकि‍न रूबेन ने अंग्रेज को अपने अंदाज में करार जवाब दि‍या।

अलवर के राजा जय सिंह

अलवर के राजा ने रॉल्स राय कंपनी की ओर से बेज्जती का बदला एक दिलचस्प तरीके से लिया था। उन्होंने कंपनी की महंगी गाड़ियों से नगरपालिका को सौंप कर उससे कचरा उठवाया था।

जब यह बात पूरे विश्व में फैली की विश्व की नं. 1 कार रोल्स रॉयस की साख मिट्टी में मिल गई। इसके चलते कंपनी ने भारत में राजा को टेलीग्राम में माफी लिखकर भेजी और विनती की कि रोयस रॉयल कार से कचरा न उठवाएं यही नहीं,  कंपनी ने राजा को 6 कारें भेंट स्वरूप फ्री में भेजीं।

जब राजा जयसिंह को यह पता लगा कि रोल्स रॉयस वालों को उनकी गलती का सबक मिल चुका है तब जाकर राजा ने उन कारों से कचरा साफ करना बंद करवाया।

दरअसल, लंदन भ्रमण के दौरान अलवर के राजा जयसिंह साधारण कपड़ों में लंदन की बांड स्ट्रीट की घूम रहे थे। इसी बीच उनकी नजर रोल्स रॉयस कार के शोरूम पर पड़ी।

कार उन्हें देखने में आकर्षक लगी जिसके चलते कार की कीमत को पूछने के लिए वे शोरूम में घुस गए। राजा को अन्य भारतीयों की तरह मानते हुए शोरूम के सेल्समैन ने उन्हें बुरी तरह झिड़का और बेइज्जती करके उनको वहां से भगा दिया। जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने का फैसला किया।

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