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गलत फैसलों के चलते सरकारी खजाने को हुए नुकसान की करें भरपाई: सुप्रीम कोर्ट की अधिकारियों को फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे अफसरों को कड़ी फटकार लगाई, जिनके अवैध फैसलों की वजह से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है। साथ ही आदेश दिया है कि दोषी अधिकारियों के साथ-साथ अनुचित लाभ पाने वाले अफसरों को इस नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी। दरअसल, अदालत ने यह निर्देश एक ऐसे मामले में सुनाया, जिसमें गैर तरीके से एक अधिकारी को उच्च वेतन पर रखा गया था, जो पिछले 24 सालों से इसका लाभ उठा रहा है।
यह कोई भूल नहीं
दोषी अधिकारियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि यह कोई भूल नहीं है, बल्कि जानबूझकर नियमों के साथ छेड़छाड़ किया गया। इसलिए भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की सरकारी खजाने में वापसी होनी चाहिए।
सहयोगियों ने उठाया मामला
दरअसल, एक अधिकारी को सन् 1999 में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग में अनुसंधान सहायक (चिकित्सा) के रूप में अन्य लोगों के साथ नियुक्त किया गया था, जिनका वेतन साढ़े छह हजार से साढ़े 10 हजार के बीच में था। हालांकि 2006 में एक आदेश जारी कर उसका वेतन आठ से साढ़ 13 हजार रुपये कर दिया गया। इस आदेश से साथ वाले लोग भड़क गए और उन्होंने सभी अदालतों का रुख किया, जहां से निराशा हाथ लगी। आखिरकार, वकील सोमेश झा और अमर्त्य शरण की सहायता से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अधिकारी के प्रति दिखाए गए व्यवहार से पक्षपात साफ
पीठ ने कहा कि एक अधिकारी के प्रति दिखाए गए व्यवहार से पक्षपात साफ दिख रहा है। उन्हें 2006 से पहले उच्च वेतनमान पर अन्य संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर जाने की कई बार अनुमति दी गई थी और वेतनमान बढ़ाए जाने के बाद ही उन्होंने कार्यभार संभाला था। पीठ ने आगे कहा कि उनकी राय में, अधिकारियों ने प्रतिवादी नंबर चार (अधिकारी) के साथ हाथ मिलाया ताकि किसी तरह उन्हें उच्च वेतन दिया जा सके और उस दिशा में बार-बार कार्रवाई की गई।
नियमों को ताक पर रखा गया
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर यदि नियमों के एक ही सेट द्वारा शासित किया जाता है, तो उसी कैडर के एक भी पद को अलग नहीं किया जा सकता था और पद के लिए निर्धारित योग्यता पर विचार करके उच्च वेतन दिया जा सकता था। इससे साफ है कि नियमों को जानबूझकर ताक पर रखा गया था। इसलिए प्रतिवादी नंबर चार को भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की वसूली का निर्देश देते हैं।
नुकसान की भरपाई करें
पीठ ने आगे कहा कि अधिकारी को अनुचित लाभ दिलवाने में शामिल अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं। इसलिए इन सभी लोगों को मामले में समान रूप से उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। इसलिए सरकारी खजाने में हुए नुकसान की भरपाई दोनों में से किसी को भी करनी होगी।
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पीएम मोदी का केजरीवाल पर तीखा हमला, कहा- मैं खुद यमुना का पानी पीता हूं, ऐसी ओछी बातें करने वालों को जनता सबक सिखाएगी
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच यमुना को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि हरियाणा की भाजपा सरकार यमुना के पानी में जहर मिला रही है। इस पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल पर तीखा हमला बोला है।
पीएम मोदी ने दिल्ली के मतदाताओं कहा कि हरियाणा का भेजा हुआ यही पानी दिल्ली में रहने वाला हर कोई पीता है, पिछले 11 साल से ये प्रधानमंत्री भी पीते हैं। सभी न्यायमूर्ति और बाकी सभी सम्मानित लोग भी पीते हैं। पीएम मोदी ने कहा, “आप-दा वाले कह रहे हैं कि हरियाणा वाले दिल्ली के पानी में जहर मिलाते हैं। ये सिर्फ हरियाणा का नहीं बल्कि भारतीयों का अपमान है, हमारे संस्कारों का अपमान, हमारे चरित्र का अपमान है। ये वो देश है, जहां पानी पिलाना धर्म माना जाता है। ऐसी ओछी बातें करने वालों को दिल्ली इस बार सबक सिखाएगी। इन आप-दा वालों की लुटिया यमुना में ही डूबेगी।”
पीएम मोदी ने आगे कहा कि क्या कोई यह सोच सकता है कि मोदी को जहर देने के लिए हरियाणा बीजेपी की सरकार ने पानी में जहर डाल दिया। क्या बोल रहे हो? मेरे दिल्लीवासियों गलती माफ करना भारत के लोगों का उदार चरित्र है लेकिन जानबूझकर पाप करने वालों को न दिल्ली और न ही देश माफ करता है।
उन्होंने कहा कि अगर BJP दुर्गम गांवों में नल से जल पहुंचा सकती है, तो दिल्ली के हर घर को भी नल से साफ जल दे सकती है। आपदा वालों ने दिल्ली वालों को पानी माफिया के भरोसे छोड़ दिया। इन लोगों ने तीन चुनाव में यमुना जी की सफाई के नाम पर वोट मांगे हैं। अब इनकी बेशर्मी देखिये, इनकी ये कहने की हिम्मत है कि यमुना जी से वोट कहां मिलता है, ये चौंकाने वाला चरित्र है। उन्होंने कहा कि ये दिल्ली वालों को पानी के लिए तरसाना चाहते हैं। ये चाहते हैं, हमारे पूर्वांचली साथी साल गंदगी में छठी मैया की पूजा करें।
पीएम मोदी ने कहा कि पूरी दिल्ली आज कह रही है – 5 फरवरी आएगी, AAP-दा जाएगी, भाजपा आएगी। दिल्ली के करोड़ों नागरिक सुबह शाम अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं। ये 21वीं सदी है, इसके 25 साल बीत चुके हैं। उसमें कांग्रेस का कार्यकाल भी देखा है, फिर 11 साल AAP-दा सरकार को दिए। लेकिन दिल्ली की समस्या तो वहीं की वहीं है। 25 साल में इन दोनों ने आपकी दो-दो पीढ़ी को बर्बाद कर दिया है।
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