Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

गलत फैसलों के चलते सरकारी खजाने को हुए नुकसान की करें भरपाई: सुप्रीम कोर्ट की अधिकारियों को फटकार

Published

on

Muslim side also got a blow from SC in Shri Krishna Janmabhoomi dispute

Loading

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे अफसरों को कड़ी फटकार लगाई, जिनके अवैध फैसलों की वजह से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है। साथ ही आदेश दिया है कि दोषी अधिकारियों के साथ-साथ अनुचित लाभ पाने वाले अफसरों को इस नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी। दरअसल, अदालत ने यह निर्देश एक ऐसे मामले में सुनाया, जिसमें गैर तरीके से एक अधिकारी को उच्च वेतन पर रखा गया था, जो पिछले 24 सालों से इसका लाभ उठा रहा है।

यह कोई भूल नहीं

दोषी अधिकारियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि यह कोई भूल नहीं है, बल्कि जानबूझकर नियमों के साथ छेड़छाड़ किया गया। इसलिए भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की सरकारी खजाने में वापसी होनी चाहिए।

सहयोगियों ने उठाया मामला

दरअसल, एक अधिकारी को सन् 1999 में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग में अनुसंधान सहायक (चिकित्सा) के रूप में अन्य लोगों के साथ नियुक्त किया गया था, जिनका वेतन साढ़े छह हजार से साढ़े 10 हजार के बीच में था। हालांकि 2006 में एक आदेश जारी कर उसका वेतन आठ से साढ़ 13 हजार रुपये कर दिया गया। इस आदेश से साथ वाले लोग भड़क गए और उन्होंने सभी अदालतों का रुख किया, जहां से निराशा हाथ लगी। आखिरकार, वकील सोमेश झा और अमर्त्य शरण की सहायता से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

अधिकारी के प्रति दिखाए गए व्यवहार से पक्षपात साफ

पीठ ने कहा कि एक अधिकारी के प्रति दिखाए गए व्यवहार से पक्षपात साफ दिख रहा है। उन्हें 2006 से पहले उच्च वेतनमान पर अन्य संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर जाने की कई बार अनुमति दी गई थी और वेतनमान बढ़ाए जाने के बाद ही उन्होंने कार्यभार संभाला था। पीठ ने आगे कहा कि उनकी राय में, अधिकारियों ने प्रतिवादी नंबर चार (अधिकारी) के साथ हाथ मिलाया ताकि किसी तरह उन्हें उच्च वेतन दिया जा सके और उस दिशा में बार-बार कार्रवाई की गई।

नियमों को ताक पर रखा गया

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर यदि नियमों के एक ही सेट द्वारा शासित किया जाता है, तो उसी कैडर के एक भी पद को अलग नहीं किया जा सकता था और पद के लिए निर्धारित योग्यता पर विचार करके उच्च वेतन दिया जा सकता था। इससे साफ है कि नियमों को जानबूझकर ताक पर रखा गया था। इसलिए प्रतिवादी नंबर चार को भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की वसूली का निर्देश देते हैं।

नुकसान की भरपाई करें

पीठ ने आगे कहा कि अधिकारी को अनुचित लाभ दिलवाने में शामिल अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं। इसलिए इन सभी लोगों को मामले में समान रूप से उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। इसलिए सरकारी खजाने में हुए नुकसान की भरपाई दोनों में से किसी को भी करनी होगी।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

Published

on

Loading

संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

Continue Reading

Trending