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उत्तर प्रदेश

आठ तकनीकों से खोजा गया ज्ञानवापी का सच, विशेषज्ञ डॉ. इजहार व अफताब ने पूरा किया सर्वे

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Gyanvapi Case

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वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सच खोजने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने आठ तरह की आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। सर्वे विशेषज्ञों में प्रो. आलोक त्रिपाठी के साथ डॉ. इजहार आलम हाशमी और डॉ. आफताब हुसैन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डीजीपीएस (डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार, हैंडहेल्ड एक्सआरएफ, टोटल सर्वे स्टेशन, थर्मो-हाइग्रोमीटर, जीपीएस मैप और नौ तरह के डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल हुआ है।

वैज्ञानिक डेटिंग विधि ने आसान किया काम

वैज्ञानिक डेटिंग विधियों ने भी काम आसान कर दिया। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार ने रिपोर्ट तैयार करने में व्यापक रूप से भूभौतिकीय विधि के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसके जरिए अनुकूल सतह मिट्टी और चट्टान की स्थिति की उपस्थिति के साथ, जीपीआर भूभौतिकीय तकनीकों के बीच उच्चतम रिज्यूल्यशन का फायदा मिला। इससे सटीक सतह के मानचित्रण की सुविधा मिली।

प्राचीन खंडहरों के भीतर दबी हुई नींव की दीवारों की पहचान और कार्टोग्राफिक प्रतिनिधित्व में आसानी हुई, इससे प्राचीन दफन संरचनाओं में अनजाने में गड़बड़ी का खतरा कम हो गया। डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम उन्नत और अत्यधिक सटीक उपग्रह-आधारित नेविगेशन तकनीक है, इसका उपयोग पृथ्वी की सतह पर सटीक स्थिति निर्धारित करने के लिए हुआ।

सटीक मानचित्रण और दस्तावेजीकरण में टीम को सहूलियत मिली। पुरातत्वविदों को उत्खनन, कलाकृतियों के स्थानों और स्थलाकृतिक विशेषताओं के विस्तृत मानचित्र बनाने में मदद मिली। टोटल स्टेशन सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग दस्तावेजीकरण और विश्लेषण में हुआ। इलेक्ट्रानिक थियोडोलाइट और इलेक्ट्रानिक दूरी मापने में मदद मिली।

सटीक मानचित्र और योजना तैयार की गई योजना

पुरातत्वविदों को कोणों और दूरियों की सटीक माप करने में सुविधा हुई, इससे सटीक मानचित्र और योजना तैयार की गई। तीन आयामों को रिकार्ड करने की क्षमता रही। हैंडहेल्ड एक्सरे फ्लोरेसेंस स्पेक्ट्रोमीटर से वस्तु की खनिज संरचना मिली। थर्मो-हाइग्रोमीटर का उपयोग काम के दौरान आर्द्रता और तापमान की रिकार्डिंग हुई। इसके अलावा विज्ञानी डेटिंग विधियों से वस्तु की उत्पत्ति की विशिष्ट तिथि का पता चला।

आयु की गई गणना

भौतिक गुणों को मापा गया और आयु की गणना हुई। रेडियोकार्बन डेटिंग का सिद्धांत सांस्कृतिक भंडार से पाए जाने वाले किसी भी कार्बनिक पदार्थ में कार्बन के रेडियोधर्मी आइसोटोप के क्षय को मापना है। एएमएस या एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री के उपयोग से रेडियोमेट्रिक डेटिंग क्षेत्र में और सुधार लाया गया है।

वहीं ल्यूमिनसेंस डेटिंग विधि ऐसे अकार्बनिक पदार्थों जैसे मिट्टी के बर्तन, ईंटें आदि जिनमें क्रिस्टलीय खनिज होते हैं, की आयु निर्धारित करने में सहूलियत मिली। टीएल डेटिंग में कुल प्रकाश ऊर्जा की गणना निर्धारित होती है। इसी तरह टाइपोलाजिकल डेटिंग में कलाकृतियों के लिए व्यापक समय-सीमा शैलीगत विशिष्टताओं के आधार पर तय की जाती है। वस्तुओं को टाइपोलॉजिकल वर्गीकरण बनाने के लिए एक समूह में एक साथ जोड़ा जाता है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम

प्रो आलोक त्रिपाठी के साथ डा. गौतमी भट्टाचार्य, डा. शुभा मजूमदार, डा. राज कुमार पटेल, डा. अविनाश मोहंती, डा. इज़हार आलम हाशमी, डा. आफताब हुसैन, डा. नीरज कुमार मिश्रा व डा. विनय कुमार राय।

उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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