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मिलिए भारत के मून मिशन की इन महिला वैज्ञानिकों से, गर्व से भर देंगी ये असली नारी शक्ति
नई दिल्ली। मनुस्मृति के तृतीय अध्याय में कहा गया है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है, उसका सम्मान किया जाता है वहां देवताओं का वास होता है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही नारी का स्थान सर्वोच्च रहा है। हमारे देश में हर उस नारी का आदर सम्मान है जिन्होंने भारत की यश व कीर्ति को बढाया है। आज हम ऐसे ही कुछ महिलाओं के बारे में बताएँगे जो वास्तव में नारी शक्ति की प्रतीक हैं।
भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ ने चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया। ये भारत का तीसरा मून मिशन था, जोकि चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है। इसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था और 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग चाँद पर हो गई, जिसे पूरी दुनिया ने देखा और भारत की प्रतिभा का लोहा माना।
चंद्रयान-3 समेत इसरो के हर बड़े कीर्तिमान के पीछे कई भारतीय महिलाओं का भी योगदान रहा। उनकी सूझ-बूझ और सकारात्मक कदमों की सराहना पूरी दुनिया ने की मगर अफसोस हममें से बहुत कम लोग होंगे, जो उनके बारे में कुछ जानते होगे। तो आइए जानते हैं कि वो महिलाएं कौन हैं और उन्होंने कैसे भारत को गर्व की अनुभूति कराई।
- अनुराधा टी.के.
अनुराधा टी. के. को 2011 में जीसैट-12 का डॉयरेक्टर बनाया गया था। उन्होंने एक ऐसे 20 सदस्यों वाले समूह का नेतृत्व किया, जो तकनीकी रुप से कई सफलताएं अपने नाम कर चुका है। अनुराधा अपने तार्किक दिमाग के चलते इसरो की दूसरी महिला वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। उन्हें सुमन शर्मा अवॉर्ड जैसे कई बड़े सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
- एन. वलारमथी
वलारमथी ने भारत के पहले देशज राडार इमेजिन उपग्रह, रिसेट वन की लांचिंग का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख होने का कीर्तिमान भी उनके नाम दर्ज है।
- मंगला मणि
56 वर्षीया मंगला मणि 23 सदस्यों वाले एक जांच दल के साथ साल 2016 में अंटार्कटिका में मौजूद भारतीय रिसर्च स्टेशन भारती के लिए रवाना हुई थीं। वह इस दल में अकेली महिला थीं। वह वहां पहुंचीं, तो परिस्थतियां बिल्कुल विपरीत थी। बावजूद इसके उन्होंने वहां 403 से ज्यादा दिन बिताए। वो अंटार्कटिका में भारतीय रिसर्च स्टेशन पर ध्रुवीय कक्षा में घूम रहे सैटलाइट्स के लिए डेटा को एकत्र करने के लिए गई थीं।
- ऋतु करिधाल
ऋतु करिधाल के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही उन्हें आकाश में टिमटिमाते हुए तारों और चंद्रमा में दिलचस्पी थी। घंटों वह उन्हें निहारती और सोचती कि ये कभी आकार में छोटे तो कभी बड़े कैसे दिखाई देते हैं। बड़ी होकर उन्होंने इस सभी सवालों के जवाब के लिए अपने कदम बढ़ाएं, जो उन्हें इसरो की तरफ ले गए। ऋतु करिधाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली हैं।
इसरो की महिला साइंटिस्ट ऋतु चंद्रयान 3 मिशन की डायरेक्टर हैं। इससे पहले वह मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। उन्हें रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। निजी जिंदगी में वो दो बच्चों की मां हैं। ऐसे में जिस तरह से वह घर और इसरो दोनों को संभालती हैं, वो काबिले तारीफ है। ऋतु स्पेस साइंटिस्ट होने के साथ ही कई रिसर्च पेपर भी लिख चुकी हैं।
- मौमिता दत्ता
कोलकाता विश्वविद्यालय से प्रायोगिक भौतिक विज्ञान में एम.टेक मौमिता मंगलयान मिशन के लिए बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर चुकी हैं। पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ में भी उनकी खासी सक्रियता रही।
- नंदिनी हरिनाथ
नंदिनी ने बहुत कम उम्र में वैज्ञानिक बनने का सपना देखा। जिसे बड़े होकर उन्होंने पूरा भी किया। दिलचस्प बात तो यह है कि उन्होंने अपने करियर की पहली नौकरी भी इसरो के साथ शुरू की। ‘इसरो’ में डिप्टी डॉयरेक्टर के पद पर रहते हुए नंदिनी ‘मंगलयान मिशन’ पर सक्रिय रहीं। वे कितनी परिश्रमी हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बार काम के चक्कर में घर तक नहीं जाती।
- मीनल संपथ
‘इसरो’ की सिस्टम इंजीनियर के तौर पर काम करने वाली मीनव संपथ करीब 500 वैज्ञानिकों को लीड कर चुकी हैं। मंगल मिशन की सफलता के बाद उनका नाम उभरकर सामने आया था।
- कीर्ति फौजदार
कीर्ति फौजदार इसरो के एक ऐसे कम्प्यूटर वैज्ञानिक के रूप में जानी जाती हैं, जिनके लिए किसी उपग्रह को उसकी सही कक्षा में स्थापित करने में महारथ हासिल है। मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी पर तो उनका हाथ कुछ इस तरह फिट है कि गलती की गुंजाईश होती ही नहीं। वो उस टीम का हिस्सा बनीं, जो उपग्रहों, एवं अन्य मिशन पर लगातार अपनी नजर बनाए रखती है।
- टेसी थॉमस
अग्नि4 और अग्नि 5 के बारे में तो आप जानते होंगे। किन्तु, शायद ही आपको पता होता कि इनकी सफलता के पीछे टेसी थॉमस थीं। गौर करने वाली बात यह कि वो इसरो के लिए नहीं, बल्कि डीआरडीओ के लिए कार्य करती हैं। आज अगर भारत को आईसीबीएमएस के साथ अन्य देशों के खास समूह में जगह मिली तो उसके लिए किसी न किसी रूप से टेली थॉमस ने भी काम किया। टेसी को कुछ लोग अग्निपुत्री भी कहते हैं।
उपरोक्त महिलाएं आपके आसपास मौजूद दूसरी आम महिलाओं की तरह ही हैं, लेकिन उनकी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और कुछ कर गुजरने की चाह ने उन्हें आकाश तक पहुंचा दिया।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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