आध्यात्म
इस दिन है कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली, कृतिका व रोहिणी नक्षत्र होने से और मिलेगा पुण्य फल
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा बहुत पवित्र तिथि है। इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। इस वर्ष 27 नवंबर दिन सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस वर्ष कृतिका नक्षत्र होने से यह महाकार्तिकी बन गई है। रोहिणी नक्षत्र होने से रात्रि में इसका पुण्य फल और भी अधिक बढ़ जाएगा।
इस दिन किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनंत फल होता है। इस दिन गंगा स्नान और सायंकाल में दीपदान का विशेष महत्व है। इसी पूर्णिमा के दिन सायंकाल भगवान का मत्स्यावतार हुआ था। इस कारण इसमें किए गए दान, जपादि दस यज्ञों के समान फल होता है।
माता लक्ष्मी और चंद्र देव की करें पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था इसलिए इस दिन से महादेव त्रिपुरारी के नाम से भी जाना जाता है और इस तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ शाम के समय चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए, ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है और जीवन की भागदौड़ में मानसिक शांति भी मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली
जो व्यक्ति पूरे कार्तिक मास स्नान करते हैं उनका नियम कार्तिक पूर्णिमा को पूरा हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को सुबह श्री सत्यनारायण व्रत की कथा सुनी जाती है। सायंकाल देव-मन्दिरों, चौराहों, गलियों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाए जाते हैं और गंगा जी को भी दीपदान किया जाता है। काशी में यह तिथि देव दीपावली महोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर मेला
चान्द्रायण व्रत की समाप्ति भी आज के दिन होती है। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा आदि पवित्र नदियों के समीप स्नान के लिए सहस्त्रों नर-नारी एकत्र होते हैं, जो बड़े भारी मेले का रूप बन जाता है। सिख धर्मावलंबी इस दिन गुरु नानकदेवजी की जयंती का उत्सव मनाते हैं।
कार्तिक की पूर्णिमा को राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में प्रसिद्ध मेला लगता है। इस दिन लोग दूर-दूर से आकर पुष्कर-सरोवर में स्नान करते हैं और ब्रह्माजी के दर्शन और पूजन करते हैं। पुष्कर तीर्थ में ब्रह्माजी का पुराना मंदिर है। इसके अतिरिक्त पंजाब के अमृतसर में भी स्वामी रामतीर्थ का विशाल मेला लगता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर नानकदेवजी का जन्मदिन
कार्तिक पूर्णिमा पर सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानकदेवजी का जन्मदिन भी है। इस पर्व पर सभी गुरुद्वारों में विशेष पूजा प्रार्थना (अरदास) होती है। प्रभात फेरियों, नगर कीर्तनों के अतिरिक्त दिल्ली में विशाल जुलूस निकलता है, जो गुरुद्वारा सीसगंज साहिब से आरंभ होकर गुरुद्वारा नानक प्याऊ पर जाकर पूर्ण होता है। मार्ग में जगह-जगह जुलूस का भव्य स्वागत, जल-फल एवं विशाल लंगरों से होता है।
आध्यात्म
मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज
महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।
मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक
प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।
शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स
सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।
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