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उत्तर प्रदेश

यूपी बोर्ड: डेढ़ लाख परीक्षक जांचेंगे तीन करोड़ उत्तरपुस्तिकाएं

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लखनऊ/प्रयागराज। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप नकलविहीन परीक्षाएं संपन्न कराने में जुटे यूपी बोर्ड ने सोमवार को हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्यक्रम भी घोषित कर दिया। 16 मार्च से 31 मार्च तक कापियों का मूल्यांकन प्रदेश के 260 केंद्रों पर होगा। बोर्ड ने मूल्यांकन केंद्रों का निर्धारण कर दिया है। इन सभी केंद्रों पर करीब डेढ़ लाख परीक्षक तीन करोड़ कापियों का मूल्यांकन करेंगे। परीक्षक 55 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के शैक्षणिक भविष्य का मूल्यांकन 13 दिन के भीतर करेंगे। बीच में तीन दिन 24 से 26 मार्च तक होली का अवकाश रहेगा।

कुल 260 मूल्याकंन केंद्र

यूपी बोर्ड ने परीक्षा के साथ ही उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन की तैयारी भी शुरू कर दी है। बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटर की परीक्षा 9 मार्च को समाप्त हो रही हैं। बोर्ड ने इसी बीच मूल्यांकन का कार्यक्रम भी तय कर दिया है। जिलेवार मूल्यांकन केंद्रों का निर्धारण कर दिया गया है। हाईस्कूल के लिए 131 एवं इंटर की उत्तरपुस्तिकाओं के लिए 116 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। 13 मूल्यांकन केंद्र मिश्रित बनाए गए हैं। यहां हाईस्कूल एवं इंटर दोनों की कापियां जांची जाएंगी। बोर्ड ने कुल 260 मूल्याकंन केंद्र बनाए हैं। इनमें 83 राजकीय तथा 177 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इस वर्ष हाईस्कूल परीक्षा में 29,47,311 एवं इंटर में 25,77,997 समेत कुल 55,25,308 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। हाईस्कूल परीक्षा की 1.76 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 94,802 एवं इंटर परीक्षा की 1.25 कापियों के मूल्यांकन के लिए 52,295 परीक्षकों की नियुक्ति की गई है। इस प्रकार कुल 3.01 कराेड़ उत्तर पुस्तिकाओं के लिए 1,47,097 परीक्षकों को तैनात किया गया है।

परीक्षा समाप्त होने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम

बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया कि कापियों के मूल्यांकन में पूरी तरह शुचिता बरती जाए इसके लिए परीक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित होगी। परीक्षा समाप्त होने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होगा।

उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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