प्रादेशिक
उत्तर प्रदेश के 77.71 प्रतिशत लोगों को लग चुकी है कोरोना वैक्सीन की पहली डोज
लखनऊ। प्रदेशवासियों को जल्द से जल्द टीकाकवर देने के उद्देश्य से प्रदेश में क्लस्टर 2.0 अप्रोच को लागू किया गया है। ग्रामों में क्लस्टर 2.0 अप्रोच से टीकाकरण की दूसरी डोज की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। क्लस्टर मॉडल के जरिए जिन ग्रामों, मोहल्लों में प्रथम डोज लगाने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया था उन ग्रामों में क्लस्टर मॉडल के तहत दूसरी डोज को लगाने का काम किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक 16 करोड़ 83 लाख से अधिक पात्र लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। जिसमें 11 करोड़ 47 लाख से अधिक पात्र लोगों को पहली डोज और 05 करोड़ 35 लाख से अधिक पात्र लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी है।
कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्तर प्रदेश दूसरे प्रदेशों से कहीं आगे हैं। प्रदेश ने सर्वाधिक टेस्ट और टीकाकरण कर दूसरे प्रदेशों के समक्ष एक नजीर पेश की है। 24 करोड़ की आबादी वाले यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार एक सधी रणनीति के तहत तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक प्रभावी रणनीति के अनुसार टीकाकरण किया जा रहा है। कम समय में तेजी से टीकारकण करने वाले यूपी मे अब तक 77.71 प्रतिशत पात्र लोगों ने पहली और 36.12 प्रतिशत पात्र लोगों ने दूसरी डोज का टीका कवर प्राप्त कर लिया है।
8 करोड़ 85 लाख से अधिक हुई यूपी में जांच
सधी रणनीति के कारण आज यूपी में कम समय में कोरोना संक्रमण पर तेजी से लगाम लगाई है। प्रदेश में बीते 24 घंटों में 1,46,242 टेस्ट किए गए जिसमें 10 नए संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई। अब तक यूपी में 8 करोड़ 85 लाख से अधिक जांच की जा चुकी है। प्रदेश में कुल एक्टिव कोविड केस की संख्या 137 पहुंच गई है। बीते 24 घंटों में 07 संक्रमितों ने कोरोना को मात दी। इसके साथ ही प्रदेश का रिकवरी रेट अब 98.7 प्रतिशत पहुंच गया है।
उत्तर प्रदेश
न मंदिर, न मूर्ति, रामनाम ही है अवतार, रामनाम ही ले जाएगा भवसागर पार
महाकुम्भ नगर। सनातन संस्कृति के महापर्व महाकुम्भ में सम्मिलित होने तरह-तरह के साधु, संन्यासी, जाति, पंथ, संप्रदाय के लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। इस क्रम में महाकुम्भ में सम्मिलित होने छत्तीसगढ़ के रहने वाले रामनामी संप्रदाय के अनुयायी पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने आये हैं। अपने पूरे शरीर में राम नाम गुदवाये हुए, सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख का मुकुट धारण किये हुए रामनामी संप्रदाय के अनुयायी संगम की रेती पर राम भजन करते हुए महाकुम्भ में पवित्र स्नान को बेताब हैं।
रामनामी संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम
पौराणिक मान्यता और परंपरा के अनुसार महाकुम्भ में पवित्र संगम में स्नान करने सनातन आस्था से जुड़े सभी जाति, पंथ और संप्रदाय के लोग जरूर आते हैं। इसी में से एक हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर, भिलाई, दुर्ग, बालोदाबजार, सांरगगढ़ से आये हुए रामनामी संप्रदाय के लोग। 19वीं शताब्दी में जब सनातन संस्कृति के तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों ने छत्तीगढ़ में कुछ जनजाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने और मूर्ति पूजा से वंचित किया तो जनजाति के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर ही राम नाम अंकित कर अपनी देह को राम का मंदिर बना लिया। रामनामी संप्रदाय की शुरूआत जांजगीर चंपा के परशुराम जी से मानी जाती है। इस पंथ के अनुयायी अपने पूरे शरीर पर रामनाम का टैटू या गोदना गोदवाते हैं। राम नाम लिखा हुआ सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख से बना मुकुट धारण करते हैं। राम नाम का जाप और मानस की चौपाईयों का भजन करते हैं। रामनामी संप्रदाय के लोग मंदिर और मूर्ति पूजा नहीं करते वो निर्गुण राम के उपासक हैं। वर्तमान में रामनामी संप्रदाय के लगभग 10 लाख से अधिक अनुयायी मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के जिलों में रहते हैं।
राम नाम ही अवतार, राम नाम ही भवसागर की पतवार
रामनामी संप्रदाय के कौशल रामनामी का कहना है कि महाकुम्भ में पवित्र स्नान करने उनके पंथ के लोग जरूर आते हैं। मौनी अमावस्या की तिथि पर राम नाम का जाप करते हुए हम सब संगम में अमृत स्नान करेंगे। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ से आये कौशल रामनामी का कहना है पिछली पांच पीढ़ी से उनके पुरखे महाकुम्भ में सम्मिलित होने आते रहे हैं। आने वाले समय में हमारे बच्चे भी परंपरा जारी रखेंगे। उन्होंने बताया कि सारंगढ़, भिलाई, बालोद बाजार और जांजगीर से लगभग 200 रामनामी हमारे साथ आये हैं। अभी और भी लोग मौनी अमावस्या से पहले प्रयागराज आ रहे हैं। हम लोग परंपरा के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन राम नाम का जाप करते हुए त्रिवेणी संगम में स्नान करेंगे। राम भजन करते हुए महाकुम्भ से अपने क्षेत्रों में लौट जाएंगे। उन्होंने बताया कि वो रामनाम को ही अवतार और भवसागर की पतवार मानते हैं। वो मंदिर नहीं जाते और मूर्ति पूजा नहीं करते। केवल राम नाम का जाप ही उनका भजन है और रामनाम लिखी देह ही मंदिर।
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