उत्तर प्रदेश
अखिलेश संभल भेजेंगे 12 नेताओं का डेलिगेशन, पुलिस बोली- किसी को घुसने नहीं देंगे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा में 4 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, पुलिसकर्मियों समेत बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। इस हिंसा को लेकर विपक्षी दल पुलिस प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं। अब इस मामले में समाजवादी पार्टी के ओर से प्रतिनिधिमंडल भेजने का ऐलान कर दिया गया है। यह प्रतिनिधिमंडल संभल जाएगा और फिर उसकी रिपोर्ट अखिलेश यादव को सौंपेगा।
सपा ने सोशल मीडिया के जरिए इस प्रतिनिधिमंडल की जानकारी देते हुए लिखा, ‘माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी के निर्देशानुसार समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल संभल जाकर वहां हुई हिंसा की जानकारी लेगा एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को रिपोर्ट सौंपेगा.’ सपा के इस प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे समेत 12 नेता शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, सांसद जावेद अली, सांसद हरिंदर मलिक, सांसद रुचि वीरा, सांसद जिया उर रहमान बर्क, सांसद नीरज मौर्य, विधायक नवाब इकबाल, विधायक पिंकी यादव, विधायक कमाल अख़्तर, मुरादाबाद जिलाध्यक्ष जयवीर यादव और बरेली जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप शामिल हैं।
हालांकि, जानकारी ये भी सामने आई है कि समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन को पुलिस की इजाजत नहीं मिली है। नेताओं को संभल की सीमा में रोक दिया जायेगा। यूपी पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के जिन लोगों ने संभल आने की घोषणा की है उनको उन्हीं की जगह पर डिटेन किया जा रहा है। पुलिस सूत्रों ने कहा है कि संभल में किसी को नहीं आने दिया जाएगा, किसी ने कोशिश की तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला 150 साल पुराना ब्रिटिश कालीन पुल ढहा, किसी तरह की जनहानि नहीं
उन्नाव। उन्नाव-कानपूर को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना ब्रिटिश शासनकाल का ऐतिहासिक पुल मंगलवार को ढह गया। गनीमत रही कि पुल तीन साल पहले ही जर्जर स्थिति के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जिसके कारण किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाला यह पुल कभी लोगों की लाइफ लाइन था और हजारों लोग इसी पुल के जरिए हर रोज आवागमन करते थे।2021 में पुल जर्जर होने के कारण इस पर चलने वाले आवागमन बंद कर दिया गया था। यह पुल को ब्रिटिश काल में 1874 में अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी ने बनवाया गया था। रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई. वेडगार्ड की देखरेख में 800 मीटर लंबा यह पुल तैयार हुआ था। पुल की आयु 100 वर्ष बताई गई थी, लेकिन यह 150 साल तक खड़ा रहा। इसके बाद पुल की संरचना में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।
पुल की संरचना में बड़ी दरारें आने के बाद 5 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि में इसे बंद कर दिया गया। दरारें खासतौर पर पुल की कानपुर तरफ की कोठियों 2, 10, 17 और 22 नंबर की कोठियों में आई थीं। पुल को फिर से चालू करने के लिए इंजीनियरों ने जांच की थी और इस पर आवागमन को चालू रखने लायक नहीं बताया था। पुल पर आवागमन बंद करने के लिए उन्नाव और कानपुर की तरफ पुल पर दीवार खड़ी कर दी गई थी।
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