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मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को धरातल पर उतारने की हुई तैयारी
लखनऊ। कोविड काल (मार्च 2020 से) में अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के जीवन को संवारने के लिए तैयार मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही उसे धरातल पर उतारने में महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी मुस्तैदी से जुट गया है। इसके तहत चिन्हित बच्चों की लिस्टिंग समेत पात्रता की शर्तों और जिलों में योजना को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी गयी है। इस योजना का उद्देश्य परेशान बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाना और उनको गलत हाथों में जाने से बचाना है। इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के भरण,पोषण, शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा गया है ।
पोस्ट कोविड में अभिभावक की मृत्यु होने पर भी मिलेगी सहायता
मनोज कुमार राय ने बताया कि कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटीपीसीआर की पाजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इन्फेक्शन होना माना जा सकता है । इसके अलावा कोविड मरीज की विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के चलते मृत्यु हो सकती है। यह मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जायेगी।
एक परिवार के सभी बच्चों को मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी होने पर ही इस योजना का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही एक परिवार के सभी (जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा।
टास्क फोर्स करेगी वैध संरक्षक का चिन्हांकन
पात्र बच्चे के वैध संरक्षक का चिन्हांकन जनपद स्तरीय टास्क फ़ोर्स करेगी और जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति भी इन बच्चों के समुचित विकास पर नजर रखेगी।
पात्रता की शर्तें
महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है, उनकी श्रेणी विभाग की ओर से तय कर दी गई है। इस योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किए जाएंगे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो या माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी अथवा दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी । इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रूपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो को भी योजना में शामिल किया गया है।
ऐसे करें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लिए आवेदन
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में आवेदन करने के लिए
जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति द्वारा चिन्हांकन के 15 दिन के भीतर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कराई जायेगी। निर्धारित प्रारूप पूर्ण रूप से भरकर ऑफ़लाइन तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम विकास/पंचायत अधिकारी या विकास खंड या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय पर जमा करना होगा। शहरी क्षेत्रों में लेखपाल या तहसील या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जमा किये जा सकते हैं । माता-पिता/माता या पिता की मृत्यु से दो वर्ष के भीतर आवेदन तथा अनुमोदन की तिथि से लाभ अनुमन्य होगा।
जरूरी दस्तावेज
बच्चे एवं अभिभावक की नवीनतम फोटो सहित पूर्ण आवेदन
माता/पिता/दोनों जैसी भी स्थिति हो का मृत्यु प्रमाण पत्र
कोविड-19 से मृत्यु का साक्ष्य
आय प्रमाण पत्र (माता-पिता दोनों की मृत्यु की स्थिति में जरूरी नहीं)
बच्चे का आयु प्रमाण पत्र
-शिक्षण संस्थान में पंजीयन का प्रमाण पत्र
– उत्तर प्रदेश का निवासी होने का घोषणा पत्र
नेशनल
कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।
कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?
वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।
वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।
14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ
ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।
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