आध्यात्म
सावन के आखिरी शुक्रवार को रखा जाता है वरलक्ष्मी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
नई दिल्ली। वैसे तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित होता है, लेकिन सावन के आखिरी शुक्रवार का व्रत वरलक्ष्मी व्रत कहा जाता है। इस बार यह वरलक्ष्मी व्रत 25 अगस्त को है। वरलक्ष्मी व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है और कन्याओं को दान-पुण्य किया जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
वरलक्ष्मी व्रत सभी मान्यताओं को पूरा करने वाला माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वरलक्ष्मी माता भगवान विष्णु की पत्नी मानी जाती हैं और उन्हें महालक्ष्मी का अवतार बताया जाता है। वरलक्ष्मी माता की पूजा करने पर वह घर को धन-धान्य से भर देती हैं।
विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत सबसे खास होता है। आपके घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और परिवार के सदस्यों में एकता बढ़ती है। इस व्रत को करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
25 अगस्त यानी कि सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखा जाएगा। यह व्रत उप्र के कुछ हिस्सों के अलावा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उड़ीसा के लोग रखते हैं। इस दिन सिंह लग्न की पूजा सुबह 5 बजकर 55 मिनट से सुबह 7 बजकर 42 मिनट तक होगी।
उसके बाद वृश्चिक लग्न की पूजा दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक होगी। कुंभ लग्न की पूजा शाम को 6 बजकर 22 मिनट से लेकर रात को 7 बजकर 50 मिनट तक होगी। उसके बाद वृषभ लग्न की पूजा रात को 10 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक की जाती है।
वरलक्ष्मी व्रत का पूजा मंत्र
वरलक्ष्मीर्महादेवि सर्वकाम-प्रदायिनी
यन्मया च कृतं देवि परिपूर्णं कुरुष्व तत्
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इस दिन घर की भी अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए। पूरे घर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाना चाहिए।
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाएं और उसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा दीपावली के जैसे की जाती है। भगवान गणेश की भी पूजा करें। उसके बाद भोग और आरती करके पूजा संपन्न करें।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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