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वाराणसी सीरियल ब्लास्ट:आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा, ठुकराई रहम की गुहार
गाजियाबाद। 2006 में हुए वाराणसी सीरियल ब्लास्ट केस में दोषी करार दिए गए आतंकी मोहम्मद वलीउल्लाह को आज सोमवार को गाजियाबाद कोर्ट द्वारा एक मामले में फांसी और दूसरे में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 16 साल पुराने इस सीरियल ब्लास्ट केस में गाजियाबाद की जिला एवं सत्र अदालत ने शनिवार 4 जून को वल्लीउल्लाह को दोषी ठहराया था।
सिलसिलेवार हुए ब्लास्ट केस के दो मामलों में जिला जज ने आतंकी वल्लीउल्लाह को दोषी माना था, जबकि एक में बरी कर दिया था। वाराणसी बम कांड के दोषी आतंकी वलीउल्लाह को हत्या के एक मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है
वाराणसी के संकट मोचन मंदिर परिसर में हुए बम विस्फोट के मामले में यह सजा सुनाई गई है। इस बम कांड में 7 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 26 लोग घायल और अपंग हो गए थे। वहीं, दशाश्वमेध घाट पर कुकर बम से बम कांड की साजिश रचने के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
गाजियाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने हत्या, आतंक फैलाने और विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल करने व हत्या के प्रयास के मामले में वाराणसी बम कांड में दोषी वालीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई है।
जज ने ठुकराई रहम की गुहार
वलीउल्लाह पिछले 16 साल से डासना जेल में बंद है। सजा सुनाए जाने के बाद उसने बुजुर्ग मां और परिवार की हालत खराब होने की बात कहकर रहम की गुहार लगाई, लेकिन जज ने इससे इनकार कर दिया।
वलीउल्लाह को सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला जज की अदालत में पेश किया गया। इससे पहले जिला जज के आदेश पर पूरे कोर्ट परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और बम एवं डॉग स्क्वायड दस्ते द्वारा कोर्ट परिसर की गहन तलाशी ली गई।
पुलिस चौकी के पास के मुख्य द्वार को भी बंद कर दिया गया। इस दौरान लोगों के आने-जाने के लिए मात्र एक गेट खुला रखा गया और उस पर भी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। मीडियाकर्मियों को भी कोर्ट की ऊपरी मंजिल पर पूछताछ के बाद ही जाने दिया गया। वहीं जिला जज एवं सत्र न्यायालय के अंदर मीडिया को भी नहीं जाने की इजाजत नहीं दी गई।
क्या है मामला
सात मार्च, 2006 को वाराणसी में संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर बम धमाके हुए थे। इसके अलावा दशाश्वमेध घाट पर कुकर बम मिला था। बम धमाके में कई लोग मारे गए थे, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए थे।
हाईकोर्ट के आदेश पर मामला सुनवाई के लिए गाजियाबाद स्थानांतरित किया गया था। अभियोजन की तरफ से जीआरपी कैंट धमाके में 53, संकट मोचन धमाके में 52 और दशाश्वमेध घाट मामले में 42 गवाह पेश किए गए।
प्रयागराज जिले के फूलपुर गांव रहने वाला है वलीउल्लाह
सीरियल ब्लास्ट के सिलसिले में यूपी पुलिस ने 5 अप्रैल 2006 को प्रयागराज जिले के फूलपुर गांव निवासी वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था। पुख्ता सबूतों के साथ पुलिस ने दावा किया कि संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन वाराणसी पर धमाके की साजिश रचने में वलीउल्ला का ही हाथ था। पुलिस ने वलीउल्लाह के संबंध आतंकी संगठन से भी बताए थे।
नेशनल
कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।
कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?
वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।
वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।
14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ
ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।
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