नेशनल
वृंदावन के प्रसिद्ध संत बाबा प्रेमानंद दास महाराज जी की तबीयत बिगड़ी, भक्तों में भारी मायूसी
मथुरा। वृंदावन के प्रसिद्ध संत बाबा प्रेमानंद दास महाराज जी की शनिवार को तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिससे उनके भक्तों में भारी मायूसी फैल गई है। महाराज जी को गोवर्धन परिक्रमा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हुई, जिसके कारण उन्होंने परिक्रमा छोड़कर आश्रम लौटने का फैसला किया। अब उनके भक्त भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना कर रहे हैं कि महाराज जी जल्दी से स्वस्थ हो जाएं।
बाबा प्रेमानंद की तबीयत बिगड़ी
शनिवार को प्रेमानंद जी महाराज अपनी बड़ी संख्या में भक्तों के साथ गोवर्धन परिक्रमा के लिए गए थे। परिक्रमा के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने पर वह तुरंत आश्रम लौट आए। परिक्रमा के बीच में ही उन्होंने रुकने का निर्णय लिया, क्योंकि उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई थी। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद से भक्तों में चिंता और निराशा का माहौल है। वे भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना कर रहे हैं कि महाराज जी जल्द ठीक हो जाएं और फिर से उनका दर्शन कर सकें।
उत्तराखंड
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड, इस मौके पर क्या बोले सीएम धामी
देहरादून: उत्तराखंड से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। यहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया है। इसी के साथ उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। UCC के लागू होने से विशेष तौर पर सभी धर्मों की महिलाओं को एक समान अधिकार मिलेंगे।
UCC पोर्टल और नियम लॉन्च के मौके पर क्या बोले सीएम?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC पोर्टल और नियम लॉन्च पर कहा, ‘आज उत्तराखंड में UCC लागू करके हम संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज इसी क्षण से उत्तराखंड में UCC पूर्ण रूप से लागू हो गया है। आज से सभी धर्म की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे। इस अवसर पर मैं समस्त उत्तराखंड वासियों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करता हूं क्योंकि उन्हीं के मार्गदर्शन में आज हम यह कानून राज्य में लागू करने में सफल हुए हैं।
उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या-क्या बदल जाएगा?
यूसीसी लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा।
किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के लिए तलाक का एक समान कानून होगा।
हर धर्म और जाति की लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
सभी धर्मों में बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा, दूसरे धर्म का बच्चा गोद नहीं ले सकते।
उत्तराखंड में हलाला और इद्दत जैसी प्रथा बंद हो जाएगी।
एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
जायदाद में लड़के और लड़कियों की बराबरी की हिस्सेदारी होगी।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।
लिव-इन रिलेशनशिप वालों की उम्र 18 और 21 साल से कम है तो माता-पिता की सहमति लेनी होगी।
लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को शादी शुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड से शेड्यूल ट्राइब को बाहर रखा गया है।
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