उत्तर प्रदेश
हमने रिस्क लिया, रिफॉर्म किया, पॉलिसी बनाई और मजबूती से लागू किया : सीएम योगी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किया गया निवेश पूर्णतः सुरक्षित और व्यवसाय के लिए लाभकारी है। निवेशकों के पूंजी की सुरक्षा की गारंटी प्रदेश सरकार की है। उन्होंने कहा कि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नहीं बल्कि दुर्व्यवस्था थी। हर तीसरे दिन दंगा होता था। व्यापारियों को धमकियां दी जाती थी। बिजनेसमैन को प्रताड़ित किया जाता था। एक-एक फाइल के लिए उन्हें कई-कई बार चक्कर लगाने पड़ते थे। हमने रिस्क लिया और रिफॉर्म किया। पॉलिसी बनाई और उसे मजबूती के साथ लागू किया। यही वजह है आज उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में अचीवर स्टेट बनकर उभरा है।
प्रदेश छोड़ने को मजबूर हो गया था जेके सिमेंट
सीएम योगी ने बुधवार को प्रयागराज में 20 लाख टन उत्पादन क्षमता के सीमेंट प्लांट का वर्चुअल माध्यम से लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जेके सीमेंट उत्तर प्रदेश का औद्योगिक समूह है। कतिपय कारणों से उत्तर प्रदेश पर से इनका विश्वास कम हो गया था और यह समूह प्रदेश छोड़ने को मजबूर हो गया। धीरे-धीरे इस समूह ने उत्तर प्रदेश से अपने निवेश को समेट कर अन्य राज्यों में करना शुरु कर दिया था। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के अभियान के क्रम में संगम नगरी में जेके सीमेंट के द्वारा यह संयत्र स्थापित किया जा रहा है।
यूपी में रेलवे, एक्सप्रेसवे और हाइवे का बेहतरीन नेटवर्क
सीएम योगी ने कहा कि 2017 में प्रदेश में डबल इंजन सरकार बनने के बाद इस समूह को पहले तीन वर्ष यह समझने में लग गए कि सरकार की कथनी और करनी में कोई सच्चाई है कि नहीं? उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की कथनी और करनी के जब परिणाम सामने आए तो देखते ही देखते जेके समूह ने 1200 करोड़ के निवेश के साथ प्रदेश में तीन प्लांट 2020 में अलीगढ़, 2022 में हमीरपुर और 2024 में प्रयागराज में स्थापित कर दिया है, या करने जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि आज यूपी में रेलवे, एक्सप्रेसवे और हाइवे का बेहतरीन नेटवर्क है। इससे यहां के उत्पाद दूसरे राज्यों में आसानी से भेजे जा सकते हैं।
यह निवेश यूपी के सपने को पंख देगा
सीएम योगी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश निवेश के मामले में देश में ड्रीम डेस्टिनेशन बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि जेके सीमेंट का यह निवेश यूपी के सपने को पंख देगा। यह निवेश हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आज उत्तर प्रदेश के किसी औद्योगिक समूह को अपने प्रदेश से पलायन करने को मजबूर नहीं होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्ष के में उत्तर प्रदेश में निवेश अनुकूल माहौल बना है। यही वजह है कि 2016 में जो उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में 14वें स्थान पर हुआ करता था आज देश में दूसरे स्थान पर है।
लाखों नौजवानों के लिए नौकरी की संभावना बनी
सीएम योगी ने कहा कि निवेश के लिए इन्वेस्टर समिट कैसे होता है यह भी उत्तर प्रदेश ने जीआईएस-2023 के माध्यम से देश को दिखा दिया। उस समिट के माध्यम से 40 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्रदेश को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष फरवरी में 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रस्ताव का ग्राउंड ब्रेकिंग किया। यही नहीं वर्तमान समय में बहुत सारी इकाइयों ने उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया है। इससे लाखों नौजवानों के लिए नौकरी की संभावना बनी है।
कार्यक्रम में औद्योगिक विकास मंत्री नंद कुमार गुप्ता ‘नंदी’, औद्योगिक विकास के राज्य मंत्री जसवंत सिंह सैनी, प्रदेश के मुख्य सचिव एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह, औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनिल सागर, जेके सीमेंट के वाइस प्रेसीडेंट निधिपति सिंघानिया, मैनेजिंग डायरेक्टर रघवपति सिंघानिया, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ माधव कृष्ण सिंघानिया, असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट अरुण शर्मा, प्रयागराज से विधायक वाचस्पति, विनोद प्रजापति और अनुज खंडेवाल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
प्रयागराज में चार सौ करोड़ का निवेश कर रहा है जेके समूह
जेके सीमेंट लिमिटेड संगम नगरी प्रयागराज में लगभग 400 करोड़ रुपये के निवेश के माध्यम से 20 लाख टन प्रति वर्ष की कुल क्षमता वाली प्रदेश में अपनी तीसरी सीमेंट निर्माण इकाई स्थापित कर रहा है। इस इकाई से कम से कम 350 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा। इससे पहले यह समूह अलीगढ़ और हमीरपुर में अपना प्लांट स्थापित कर चुका है। उत्तर प्रदेश राज्य में तीनों इकाइयों का कुल निवेश लगभग 1200 करोड़ रुपये है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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