आध्यात्म
इस साल कब है मौनी अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त व महत्व
नई दिल्ली। हिंदी महीने माघ में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते है। इसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन उप्र के प्रयागराज में बड़ा मेला भी लगता है। आइए जानते हैं इस साल कब है मौनी अमावस्या और इस दिन क्या है महत्व।
मौनी अमावस्या का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 9 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि की समाप्ति अगले दिन, 10 फरवरी को सूर्योदय की समाप्त के बाद ही होगी। मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर आरंभ होगा और रात में 11 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसलिए इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य बहुत ही उत्तम फल देंगे। इसलिए सर्वार्थ सिद्धि योग में पुण्य कार्य करने चाहिए।
मौनी अमावस्या का महत्व
इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इसलिए इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पुण्य नदियों में स्नान करने से तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप मुक्त हो जाते हैं। वह व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज
महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।
मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक
प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।
शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स
सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।
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