Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और इंटरनेशनल फिल्म सिटी के करीब ‘अपने घर’ का सपना पूरा कर रही योगी सरकार

Published

on

Loading

लखनऊ/ग्रेटर नोएडा। दिल्ली एनसीआर में रहना हर किसी का सपना होता है और अगर वो घर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी और टॉय पार्क जैसे बड़े डेस्टिनेशंस के पास हो तो कहना ही क्या। योगी सरकार प्रदेश के ऐसे ही लोगों का सपना पूरा कर रही है। लोगों को इन डेस्टिनेशंस के पास न सिर्फ अपना फ्लैट खरीदने का अवसर मिलेगा, बल्कि यहां मिल रही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का लाभ उठाने का मौका मिल रहा है और वो भी अपेक्षाकृत कम पैसों में। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यीडा) यमुना एक्सप्रेसवे के सेक्टर 22डी में बिल्ट अप हाउसिंग स्कीम लांच की है, जिसमें पहले आओ पहले पाओ के आधार पर फ्लैट्स बुक किए जा सकेंगे। इस स्कीम की शुरुआत 19 सितंबर को हुई है और स्कीम बंद होने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 है। इसके तहत 21 लाख से 45 लाख रुपए तक में वन बीएचके से लेकर 2 बीएचके फ्लैट बुक किए जा सकेंगे।

तीन कैटेगरीज में उपलब्ध होंगे फ्लैट्स

स्कीम के तहत तीन कैटेगरी में कुल 1239 फ्लैट्स उपलब्ध कराए जाएंगे। पहली कैटेगरी अफोर्डेबल हाउसिंग की है। इसमें 29.76 स्क्वायर मीटर सुपर एरिया और 21.62 स्क्वायर मीटर कारपेट एरिया के कुल 276 वन बीएचके फ्लैट्स उपलब्ध होंगे। इसके ग्राउंड फ्लोर फ्लैट की कीमत 23.37 किमी., जबकि फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड फ्लोर पर फ्लैट की कीमत 20.72 लाख है। इसी तरह, दूसरी कैटेगरी में 713 वन बीएचके फ्लैट्स होंगे, जिनका सुपर एरिया 54.75 स्क्वायर मीटर और कारपेट एरिया 36.97 स्क्वायर मीटर होगा। यह सभी फ्लैट 33.05 लाख में उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं, तीसरी और अंतिम कैटेगरी में 2 बीएचके फ्लैट होंगे, जिनकी कुल संख्या 250 है। 99.85 स्क्वायर मीटर सुपर एरिया और 64.72 स्क्वायर मीटर कारपेट एरिया वाले इन फ्लैट की कीमत 45.09 लाख रुपए है।

चॉइस के आधार पर कर सकेंगे बुकिंग

खास बात ये है कि पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवेदकों को उनकी चॉइस के आधार पर डायरेक्ट अलॉटमेंट प्रदान किया जाएगा। इसमें 18 वर्ष से ऊपर का कोई भी भारतीय आवेदन कर सकता है। हालांकि, यीडा क्षेत्र में पहले किसी स्कीम में रेजीडेंशियल फ्लैट पा चुके लोग आवेदन नहीं कर सकेंगे। वहीं, यीडा क्षेत्र के ऐसे किसान जिनकी जमीन विकास कार्यों के लिए अधिग्रहीत की गई है, उन्हें इस स्कीम में 17.5 प्रतिशत का रिजर्वेशन प्रदान किया जाएगा।

इंटरनेशनल डेस्टिनेशंस के साथ होगी कनेक्टिविटी

इस रेजीडेंशियल स्कीम की सबसे खास बात इसकी लोकेशन है। यह स्कीम सेक्टर 22डी में लांच की गई है, जो कि जेवर में निर्माणाधीन नोएडा इंटरनेशनल से काफी करीब है। इसी तरह, इंटरनेशनल फिल्म सिटी भी इसके काफी करीब है। यही नहीं, डेडिकेटेड एमएसएमई, एमडीपी अपैरल, हैंडीक्राफ्ट और टॉय पार्क से भी इसकी कनेक्टिविटी होगी। यह लोकेशन यमुना एक्सप्रेसवे के बेहद क्लोज है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) भी इसके काफी करीबप है। ये स्कीम उन लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, जो एफ-1 और मोटो ग्रैंप्रि जैसे खेलों के मुरीद हैं, क्योंकि यहां से उन्हें एफ-1 और मोटो ग्रैंप्रि ट्रैक रेस (बुद्ध सर्किट) की दूरी भी काफी कम है। इन सभी इंटरनेशनल डेस्टिनेशंस को कनेक्ट करने के लिए योगी सरकार ने यहां जो सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, उसका लाभ यहां फ्लैट लेने वाले लोगों को भी मिल सकेगा। इच्छुक आवेदक यीडा की वेबसाइट पर जाकर ब्रोशर को निर्धारित फीस अदा करके डाउनलोड कर सकते हैं।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

Published

on

Loading

 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

Continue Reading

Trending