उत्तर प्रदेश
परिषदीय बच्चों में भारतीय इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति गर्व का बीजारोपण कर रही योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के समग्र शैक्षिक विकास के लिए एक अभिनव पहल की है। सरकार का उद्देश्य न केवल बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उनमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूकता और गर्व की भावना विकसित करना भी है। इसके लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों से 15,000 बच्चों का चयन कर उन्हें राज्य के ऐतिहासिक स्थलों का एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण कराया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक जिले से 200 बच्चों को इसमें सम्मिलित किया गया है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और शहरी परिषदीय विद्यालयों के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के हैं।
भ्रमण का पूरा खर्च उठा रही योगी सरकार
योगी सरकार इस योजना के अंतर्गत 75 लाख रुपये का व्यय कर रही है, जिसमें बच्चों की यात्रा के लिए भाड़े का खर्च, नाश्ता और भोजन की व्यवस्था तथा आपातकालीन परिस्थितियों के लिए बजटीय प्रावधान शामिल हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को उनके सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम से इतर व्यावहारिक और ऐतिहासिक जानकारी देना है, ताकि वे भारतीय धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों को न केवल देखें बल्कि उनके महत्व को समझें और उनसे प्रेरणा लें।
शुरू है यात्रा, बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा का है पूरा ध्यान
यह शैक्षिक भ्रमण 24 सितंबर से शुरू हुआ है और इसे बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आयोजित किया जा रहा है। हर 20 बच्चों के समूह के साथ एक शिक्षक अथवा शिक्षिका की जिम्मेदारी तय की गई है, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रमण के दौरान उन्हें ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करेंगे। प्रत्येक जनपद से 10 शिक्षकों को इस भ्रमण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इन शिक्षकों को यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वे बच्चों को भ्रमण के दौरान भारत के इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक करें। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को इस योजना की निगरानी और सुचारू संचालन का दायित्व सौंपा गया है ताकि भ्रमण के दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यात्रा के दौरान बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा के अलावा आवश्यक जानकारी और सहयोग प्रदान करने के लिए सभी प्रशासनिक और सुरक्षा संबंधित उपाय किए गए हैं।
व्यक्तित्व विकास के साथ राष्ट्रप्रेम का संदेश
योगी सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके पाठ्यक्रम से बाहर वास्तविक दुनिया में शैक्षिक अनुभव प्रदान करना है। साथ ही, इस योजना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि बच्चों को भारत की समृद्ध धरोहरों और गौरवशाली इतिहास से परिचित कराया जाए। भ्रमण के दौरान बच्चों को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों और संग्रहालयों की यात्रा कराई जाएगी, जहां उन्हें उन स्थलों के महत्व, उनके निर्माण के समय की परिस्थितियों और उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इससे बच्चों में न केवल इतिहास के प्रति रुचि जाग्रत होगी बल्कि उनमें राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना भी मजबूत होगी।
व्यक्तित्व विकास और समाज के स्तंभों का निर्माण है उद्देश्य: संदीप सिंह
इस सम्बन्ध में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार का यह मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में न केवल शैक्षिक समझ बढ़ती है बल्कि उनके व्यक्तित्व का भी सर्वांगीण विकास होता है। इस प्रकार के शैक्षिक भ्रमण से बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता का विस्तार होता है। वे अपने परिवेश से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जो उनके मानसिक विकास और सृजनात्मकता को बढ़ावा देने में सहायक होता है। बच्चों के लिए इस प्रकार के अनुभव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह उनके भविष्य के निर्णय लेने की क्षमता और उनके सोचने के दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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