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योगी सरकार 10 सेक्टर के जरिए साधेगी देश की सबसे बड़े अर्थव्यवस्था वाले राज्य का लक्ष्य

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लखनऊ। वित्तीय वर्ष 2023-24 शुरू हो चुका है। प्रदेश को इस साल ऐतिहासिक 6.90 लाख करोड़ के बजट की सौगात देने के बाद अब योगी सरकार का अगले चार साल के भीतर सूबे को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में स्थापित करने का इरादा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए ‘दस का दम’ लगाने पर जोर देते हुए विस्तार से कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये हैं। प्रदेश को 2027 तक 82 लाख करोड़ से भी बड़ी (वन ट्रिलियन डॉलर) अर्थव्यवस्था बनाने के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए योगी सरकार ने 10 सेक्टर तय किये हैं, जिनपर विशेष जोर देने के निर्देश मुख्यमंत्री की ओर से सभी अधिकारियों को पहले ही दिये जा चुके हैं। बीते फरवरी माह में आयोजित हुए यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए प्रदेश को मिले 35 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों ने योगी सरकार के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है।

दस का दम लगाएंगे ये सेक्टर

प्रदेश को 82 लाख करोड़ से भी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए योगी सरकार ने पूरी ताकत झोंकते हुए 10 सेक्टरों को चिह्नित किया है। इसमें प्रदेश के आर्थिक विकास से जुड़े सभी महत्वपूर्ण विभागों के बीच समन्वय कायम करते हुए कार्य करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं। जिन 10 सेक्टर पर मुख्यमंत्री ने सबसे अधिक फोकस करने के निर्देश दिये हैं उनमें कानून व्यवस्था, कृषि उत्पादन, सामाजिक सुरक्षा, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, नगरीय विकास, ग्राम्य विकास, 7- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन एवं संस्कृति और राजस्व संग्रह को लेकर अगले चार साल तक मिशन मोड में कार्ययोजना बनाते हुए कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को दिये हैं। इन प्रत्येक सेक्टर की जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव स्तर के अनुभवी अधिकारी को दी गयी है। मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश दिये गये हैं कि प्रत्येक सेक्टर के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाए। साथ ही कार्ययोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सतत मॉनीटरिंग होनी चाहिए।

बड़े लक्ष्य के लिए सरकार के पास है बड़ा आधार

हाल ही में योगी सरकार ने अपने 6 साल का कार्यकाल पूरा किया है। बीते 6 वर्षों में प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, कानून व्यवस्था, यातायात कनेक्टिविटी और रोजगार के मोर्चे पर उल्लेखनीय सफलता हासिल करने वाली योगी सरकार ने अब आगामी चार साल के लिए बड़े लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। प्रदेश को 82 लाख करोड़ से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के विशाल लक्ष्य के लिए योगी सरकार के पास बड़ा आधार भी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला, जब बीते तीन साल से कोविड महामारी के कारण जहां पूरे विश्व में आर्थिक मंदी की चपेट में रहा, वहीं अपने वित्तीय अनुशासन एवं सधे हुए प्रयासों के चलते यूपी की जीएसडीपी में 2021-22 में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। इसके अलावा देश में सबसे उर्वर भूमि, प्रचुर जल संसाधन, युवा आबादी, देश का सबसे बड़ा उपभोक्ता और श्रम बाजार होने के साथ ही उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है। यही नहीं देश की कुल 12 प्रतिशत कृषि भूमि और खाद्यान उत्पादन में यूपी 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में भारत अगर आज दुनिया के लिए ब्राइट स्पॉट है तो यूपी भारत के ग्रोथ को ड्राइव करने में एक अहम रोल निभाने जा रहा है।

इन 10 सेक्टर पर है फोकस
1- कानून व्यवस्था सेक्टर
2- कृषि उत्पादन सेक्टर
3- सामाजिक सुरक्षा सेक्टर
4- अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर
5- नगरीय विकास सेक्टर
6- ग्राम्य विकास सेक्टर
7- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेक्टर
8- शिक्षा सेक्टर
9- पर्यटन एवं संस्कृति सेक्टर
10- राजस्व संग्रह

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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