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नेशनल

ईसाई प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई की माकपा ने की निंदा

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नई दिल्ली | मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राष्ट्रीय राजधानी में गिरजाघरों पर हुए हमलों के विरोध में गुरुवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे ईसाइयों के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई की निंदा की है। पार्टी की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है, “सैक्रेड हार्ट चर्च के करीब गुरुवार को हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल ननों और पादरियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया।”
बयान में कहा गया है, माकपा दिल्ली पुलिस के इस रुख की निंदा करती है, जो यह मानने से इंकार करती है कि दिल्ली में पांच गिरजाघरों पर हमले साम्प्रदायिक रूप से प्रेरित हैं और ये अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ घृणास्पद अपराध है। बयान के अनुसार, यह केंद्र में शासित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के रुख को स्पष्ट करता है, जिसके अधीन दिल्ली में पुलिस काम करती है। पार्टी ने गिरजाघरों पर इन हमलों की जांच विशेष टीम से कराने की मांग की है, ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

उत्तर प्रदेश

वाराणसी में साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद, सभी मंदिरों से हटाई जाएंगी मूर्तियां

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वाराणसी। वाराणसी में इस समय साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद छिड़ गया है। ब्राह्मण सभा नाम का संगठन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा हटाए जाने के लिए मंदिरों से अपील का रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक 14 मंदिरों से सांई बाबा की मूर्ती हटा ली गई है।

बता दें कि, ब्राह्मण सभा नाम के संगठन का कहना है कि, साईं बाबा की प्रतिमा की पूजा प्रेत पूजा है। इसलिए इसे मंदिर से हटाया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोग ब्राह्मण सभा का विरोध भी कर रहे हैं।

दल के सदस्य अजय शर्मा के अनुसार काशी में सिर्फ काशीपुराधि बाबा विश्वनाथ ही पूजनीय हैं। शहर के कई शिव और गणेश जी के मंदिरों में अज्ञानतावश लोगों ने साईंबाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी। इससे शिवभक्तों में नाराजगी है। दल ने नगर के ऐसे मंदिरों के महंतों से अपील किया है कि साईं की मूर्ति को ससम्मान मंदिर परिसर से हटवा दें। जल्द ही अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिर से साईं प्रतिमा हटेगी।

स्मृतिशेष द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने जीवन काल में महादेव और हिन्दू धर्म के मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करना देवी-देवताओं का अपमान करने जैसा है। साईं फकीर और अमंगलकारी थे और उनकी पूजा से आपदाएं आती हैं। साईं बाबा हिंदू नहीं थे और उनकी पूजा को बढ़ावा देना हिन्दू धर्म को बांटने की साजिश है। श्री अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी कहा कि शास्त्रों में कहीं भी साईं की पूजा का वर्णन नहीं है, इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है।

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