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नेशनल

नवरात्रि में मां पचरुखा के दर पर उमड़ रहे श्रद्धालु

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बलिया। उत्तर प्रदेश में बलिया-रेवती मुख्य मार्ग पर स्थित गायघाट में स्थित मंदिर में स्थापित मां पचरुखा देवी की महिमा निराली है। वैसे तो यहां हमेशा भक्तों की भीड़ होती है, लेकिन नवरात्र में भक्तों का समुद्र उमड़ पड़ता है। मान्यता है कि मां के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मन्नत अवश्य पूरी होती है। मां पचरुखा की पिंडी पर चांदी के बने पांच मुख अंकित हैं।

जनश्रुति के अनुसार, आज जहां मां पचरुखा का भव्य मंदिर है, मुड़िकटवां में 107 अंग्रेज सैनिकों को प्राणहीन करते हुए युद्ध से थके वीर कुंवर सिंह ने यहीं आकर विश्राम किया था। शीतल हवा में कुंवर सिंह को नींद आ गई। इसी बीच स्वप्न में कुंवर सिंह ने एक दिव्य ज्योति देखी। उस ज्योतिपुंज ने कुंवर सिंह को आगाह किया कि अंग्रेज सैनिक तुम्हारे बेहद करीब है इसलिए कहीं और चले जाओ।

एक स्थानी बुजुर्ग रामधानी चौधरी ने बताया कि बाबू कुंवर उस पुंज को प्रणाम कर तुरंत सहतवार स्थित अपने मामा के यहां चले गए। कालांतर में गायघाट के ही एक वैश्य परिवार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। तब से इस इलाके में हर तरफ खुशहाली है और मां पचरुखा के प्रति लोगों की श्रद्धा लगातार बढ़ती चली गई।

 

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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