नेशनल
मेघालय : उग्रवादियों ने अधिकारी को अगवा किया
शिलांग। मेघालय में मंगलवार को कुछ आतंकवादियों ने एक सरकारी अधिकारी का अपहरण कर लिया। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) के उग्रवादियों ने खंड विकास अधिकारी, जूड रांगकू टी. संगमा का दक्षिणी गारो हिल्स जिले से अपहरण कर लिया।
पुलिस महानिदेशक एफडी संगमा ने फोन पर बताया कि अधिकारी उस वक्त पश्चिमी गारो हिल्स में तुरा की ओर जा रहा था, जब उग्रवादियों ने बंदूक के दम पर करीब 5.30 बजे उसका अपहरण कर लिया। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मेघालय सिविल सेवा अधिकारी करीब दो साल से अधिक समय से चेकपोट ब्लॉक पर कार्यरत था। पिछले कुछ समय से संगमा को कई धमकियां मिल रही थीं और जबरन वसूली की मांग की जा रही थी, लेकिन उन्होंने इन धमकियों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
संगमा के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि परिवार को कोई धमकी भरा फोन नहीं आया है। जीएनएलए पहले भी कई पेट्रोल पंप मालिकों से पांच लाख से एक करोड़ रुपये तक की जबरन वसूली की मांग कर चुके हैं। जीएनएलए को उग्रवादी, मेघालय के पश्चिमी हिस्से में एक अलग गारोभूमि की मांग के लिए लड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
वाराणसी में साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद, सभी मंदिरों से हटाई जाएंगी मूर्तियां
वाराणसी। वाराणसी में इस समय साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर विवाद छिड़ गया है। ब्राह्मण सभा नाम का संगठन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा हटाए जाने के लिए मंदिरों से अपील का रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक 14 मंदिरों से सांई बाबा की मूर्ती हटा ली गई है।
बता दें कि, ब्राह्मण सभा नाम के संगठन का कहना है कि, साईं बाबा की प्रतिमा की पूजा प्रेत पूजा है। इसलिए इसे मंदिर से हटाया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोग ब्राह्मण सभा का विरोध भी कर रहे हैं।
दल के सदस्य अजय शर्मा के अनुसार काशी में सिर्फ काशीपुराधि बाबा विश्वनाथ ही पूजनीय हैं। शहर के कई शिव और गणेश जी के मंदिरों में अज्ञानतावश लोगों ने साईंबाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी। इससे शिवभक्तों में नाराजगी है। दल ने नगर के ऐसे मंदिरों के महंतों से अपील किया है कि साईं की मूर्ति को ससम्मान मंदिर परिसर से हटवा दें। जल्द ही अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिर से साईं प्रतिमा हटेगी।
स्मृतिशेष द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने जीवन काल में महादेव और हिन्दू धर्म के मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में साईं की मूर्ति स्थापित करना देवी-देवताओं का अपमान करने जैसा है। साईं फकीर और अमंगलकारी थे और उनकी पूजा से आपदाएं आती हैं। साईं बाबा हिंदू नहीं थे और उनकी पूजा को बढ़ावा देना हिन्दू धर्म को बांटने की साजिश है। श्री अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी कहा कि शास्त्रों में कहीं भी साईं की पूजा का वर्णन नहीं है, इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है।
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