Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

लैंगिक समानता कानून के लिए रैलियां 20 जून को

Published

on

नई दिल्ली, परिवार कानूनों, लैंगिक समानता, गैर सरकारी संगठन,चाइल्ड राइट इनीशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग,फादर्स डे

Loading

नई दिल्ली | परिवार कानूनों में लैंगिक समानता के लिए लड़ाई लड़ रहे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 20 जून को पूरे देश में रैलियां निकालेंगे। रविवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह जानकारी दी। रैली आयोजित करने वाले गैर सरकारी संगठन वैवाहिक कलह या अलगाव के मामलों में बच्चों की साझा परवरिश का अधिकार देने के संबंध में विधि आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं।

बेंगलुरू स्थित चाइल्ड राइट इनीशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (क्रिस्प) के अध्यक्ष कुमार वी. जागीरदार ने पर कहा, “फादर्स डे के एक दिन पहले 20 जून को हम एक देशव्यापी रैली का आयोजन करेंगे। हमारी मांग है कि मई 2015 में विधि आयोग द्वारा तैयार किए गए मसौदे की सिफारिशों के आधार पर साझा परवरिश को आवश्यक बनाया जाए।” उन्होंने कहा, “भारत सरकार को विधि आयोग के मसौदे के आधार पर संसद के आने वाले सत्र में एक विधयेक पेश करने के लिए कदम उठाने चाहिए। इस विधेयक में अभिभावकत्व और साझा परवरिश कानून में किए गए आवश्यक बदलाव शामिल हों।” सेव फैमिली फाउंडेशन एनजीओ की दिल्ली इकाई के संस्थापक स्वरूप सरकार ने कहा कि वैवाहिक कलह के कारण भारत में आत्महत्या करने वाले विवाहित पुरुषों की संख्या बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, “हमारे सामने ऐसे मामले आते रहते हैं जिनमें पुरुषों को उनके जैविक बच्चों से मिलने नहीं दिया जाता। परामर्श के दौरान हमारे सामने ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पुरुषों में आत्महत्या की प्रवृत्ति हावी रहती है, क्योंकि उनकी समस्याएं सुनने के लिए ही कोई नहीं होता। महिलाओं के समान आयोग की तरह ही हम भारत में पुरुषों के लिए अलग से एक आयोग की मांग करते हैं।” जागीरदार ने कहा, “सरकार को समाज में हो रहे परिवर्तनों को देखते हुए विधि आयोग के निष्कर्षो पर विचार करना चाहिए। अगर महिला एक साथ कई काम कर सकती है, तो फिर शादीशुदा आदमी बच्चों की परवरिश समेत घरेलू कामकाज क्यों नहीं कर सकता।” वित्त आयोग द्वारा 22 मई को सरकार को दिए गए प्रस्ताव में अभिभावकत्व और साझा परवरिश कानूनों में संशोधन की बात कही थी और उसे कानून का मसौदा सौंपा था।

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

Published

on

By

Loading

नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

Continue Reading

Trending