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मुख्य समाचार

मानदेय को लेकर शिक्षकों ने यूपी विधानसभा के सामने किया प्रदर्शन

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार से मानदेय की मांग कर रहे वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने शुक्रवार को विधानभवन के सामने प्रदर्शन किया। माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में सभी जिलों के शिक्षक शामिल थे।

वित्तविहीन शिक्षक महासभा के कार्यवाहक अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने बताया कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2012 के चुनाव घोषणा-पत्र में इंटरमीडिएट तक बिना सरकारी अनुदान के पढ़ाने वाले शिक्षकों को जीविकोपार्जन के लिए मासिक मानदेय देने का वादा किया था। सरकार अब अपने वादे से मुकर रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मानदेय देने की घोषणा नहीं करती है, तो शिक्षक मांगें पूरी न होने तक धरने पर बैठेंगे।

वहीं, महासभा के प्रदेश महासचिव और मीडिया समन्वयक अजय सिंह ने कहा कि वित्तविहीन शिक्षकों ने इस साल उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार इसी आश्वासन पर खत्म किया था कि छह माह के भीतर उन्हें मानदेय देने का फैसला लिया जाएगा। समयसीमा बीतने के बाद भी सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है।

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नेशनल

सुप्रीम कोर्ट ने मजदूर के बेटे को दिलाया IIT में एडमिशन, कहा- प्रतिभाशाली छात्र को मझधार में नहीं छोड़ सकते

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक गरीब मजदूर के बेटे को आईआईटी में एडमिशन मिल गया है। दरअसल, मजदूर किसान का बेटा अतुल कुमार अपनी आगे की पढ़ाई के लिए IIT धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वो डेडलाइन पर फीस नहीं जमा कर सका। जिस कारण उसका आईआईटी में एडमिशन लेने का सपना, सपना ही रह गया।

दरअसल 18 वर्षीय अतुल कुमार के माता-पिता 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये जमा करने में विफल रहे, जो आवश्यक शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि थी। कुमार के माता-पिता ने आईआईटी की सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश

इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जज जेबी पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में एडमिशन दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जैसे स्टूडेंट कमजोर वर्ग से आते हैं। उनको एडमिशन लेने से रोका नहीं जा सकता है।

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