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उत्तर प्रदेश

प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ के लिए नगर निगम ने तेज किया अभियान

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प्रयागराज। प्रयागराज का महाकुम्भ विश्व के सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक है। सीएम योगी महाकुम्भ को दिव्य भव्य के साथ ग्रीन महाकुम्भ के तौर पर विकसित करने के निर्देश दिये हैं। सीएम योगी महाकुम्भ के वैश्विक सम्मेलन से प्लास्टिक मुक्त, ग्रीन महाकुम्भ का संदेश पूरे विश्व में फैलाना चाहते हैं। उन्होंने महाकुम्भ को पूरी तरह पर्यावरण की शत्रु प्लास्टिक से मुक्त रखने का संकल्प लिया है। इस दिशा में नगर निगम प्रयागराज भी नगर आयुक्त सीएम गर्ग के निर्देशन में पूरे शहर में प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज का अभियान चला रहा है। नगर निगम की टीमें इंफोर्समेंट व्हीकल के साथ शहर में प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं साथ ही नियमों का उल्लघंन करने वालों पर इंफोर्समेंट की कार्यवाही भी की जा रही है।

स्वच्छ प्रयागराज, प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज का अभियान

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की मंशा के मुताबिक महाकुम्भ 2025 को स्वच्छ महाकुम्भ, ग्रीन महाकुम्भ बनाने का प्रयास किया जा रहा। इस दिशा में जहां एक ओर मेला प्राधिकरण मेला क्षेत्र को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त रखने की कवायद कर रहा है तो वहीं नगर निगम प्रयागराज भी पूरे शहर को प्लास्टिक फ्री रखने का अभियान चला रहा है। नगर आयुक्त सीएम गर्ग के मार्गदर्शन और निर्देशन में पूरे शहर में 12-12 सदस्यों की 2 टीमें और 6 इन्फोर्समेंट व्हीकल के साथ स्वच्छ प्रयागराज, प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज का अभियान चला रही है। उनके निर्देशों के मुताबिक पूरे शहर को 3 नोड और 8 जोन में बांटा गया है। दोनों टीमें पूरे शहर में प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज का जागरूकता अभियान चला रही हैं। साथ ही सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का उपयोग करने वालों, गंदगी फैलने वालों और नगर निगम के निर्देशों का उल्लघंन करने वाले दुकानदारों के साथ इन्फॉर्मेंट की कार्रवाही भी की जा रही है। चेतावनी के बाद भी नियमों का उल्लघंन करने वालों से जब्ती और चलान वसूली भी की जा रही है।

जागरूकता के साथ इन्फोर्समेंट की भी की जा रही है कार्यवाही

प्रयागराज नगर निगम विशेष तौर पर महाकुम्भ के दौरान पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त रखना चाहता है। ताकि महाकुम्भ से स्वच्छ, हरित पर्यावरण का संदेश विश्व पटल तक पहुंचे। नगर निगम प्रयागराज के नागरिकों और दुकानदारों से पर्यावरण की शत्रु प्लास्टिक के प्रयोग को हतोत्साहित कर रहा है। प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर कुल्हड़, दोनें, पत्तल व कपड़े और जूट के थैलों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रहा है। साथ ही नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्त कार्यवाही भी की जा रही है। इसके लिये नगर निगम की जागरूकता और इंफोर्समेंट टीम में 2 ट्रक, 1 जेसीबी के साथ 4 गार्ड, 10 गैंगमैन, 1 नोडल आरई के साथ अभियान चला रही हैं। जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद भी ली जा रही है। प्रयागराज नगर निगम सीएम योगी के स्वच्छ महाकुम्भ और ग्रीन महाकुम्भ के संकल्प को सिदधी तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है।

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उत्तर प्रदेश

क्रॉप कटिंग के माध्यम खरीफ की फसलों की उत्पादकता पर योगी सरकार की पैनी नजर

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लखनऊ। किसानों के जीवन में आर्थिक स्थिरता लाने और उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार खरीफ फसलों की उत्पादकता का वैज्ञानिक और तकनीकी तरीके से आकलन कर रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत क्रॉप कटिंग प्रयोग (सीसीई) के माध्यम से उत्पादकता मापने और किसानों की क्षति का आकलन कर उन्हें समय पर बीमा लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है।

सीसीई एग्री ऐप से अब तक हुए 2.45 लाख क्रॉप कटिंग प्रयोग, जीसीईएस ऐप से 11,374 प्रयोग पूरे

इस साल खरीफ के मौसम में सीसीई एग्री ऐप के माध्यम से 3 लाख से अधिक क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं जिसमें अब तक 2.45 लाख प्रयोग पूरे किए जा चुके हैं। यह कृषि उत्पादन में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अतिरिक्त, जीसीईएस ऐप के जरिए 13,654 क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 11,374 प्रयोग पूरे हो चुके हैं। यह प्रक्रिया न केवल फसलों की उत्पादकता का आकलन करती है बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को क्षतिपूर्ति जल्द और सटीक तरीके से प्राप्त हो।

आधुनिक तकनीकों के उपयोग से किसानों को हो रहा लाभ

सीसीई एग्री ऐप और जीसीईएस ऐप जैसे अत्याधुनिक उपकरण फसल कटाई प्रक्रिया को न केवल तेज बल्कि प्रभावी भी बनाते हैं। यह ऐप्स फसल की स्थिति, उत्पादन क्षमता और संभावित क्षति का सटीक डेटा उपलब्ध कराते हैं, जिससे बीमा कंपनियों को सही जानकारी मिलती है और किसानों को समय पर मुआवजा मिलना सुनिश्चित होता है।
खरीफ मौसम में 10 फसलों को इस योजना में शामिल किया गया है। जिसमें, धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उर्द, मींग, तिल, मूंगफली,सोयबीन व अरहर शामिल हैं। क्रॉप कटिंग प्रयोगों के माध्यम से इन फसलों की उत्पादकता का सटीक आकलन किया जा रहा है। यह पहल न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है बल्कि कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में प्रदेश को अग्रणी बना रही है।

किसानों को खराब फसल की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने में मददगार है यह प्रयोग

क्रॉप कटिंग या फसल कटाई के प्रयोग द्वारा फसल की औसत पैदावार निकाली जाती है। क्रॉप कटिंग आधार पर ही जनपदों के कृषि उत्पादन के आंकड़े तैयार करके शासन को भेजे जाते हैं। क्रॉप कटिंग के प्राप्त आंकड़ों के आधार पर फसल बीमा धारक किसान को नुकसान का मुआवजा दिया जाता है। कृषि विभाग सभी जनपदों के समस्त क्षेत्रों के क्रॉप कटिंग आंकड़ों का औसत निकालकर शासन को भेजता है। इसके आधार पर ही जनपद में विभिन्न फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता का निर्धारण किया जाता है। योगी सरकार आंकड़ों की शुद्धता के लिए 15% अनिवार्य निरीक्षण के लिए जनपद में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को नामित किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत प्रदेश में इम्पैनल्ड बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों द्वारा भी 30% क्राप-कटिंग प्रयोगों का सह अवलोकन कराया जा रहा है।

क्रॉप कटिंग के जरिए प्राप्त आंकड़ों का उपयोग पीएमएफबीवाई के तहत सरकार प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति देती है। इस योजना के तहत, फसल क्षति होने पर किसानों को संबंधित बीमा कंपनियों से मुआवजा मिलता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया है।

किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा क्रॉप कटिंग प्रयोग

प्रदेश में कृषि क्षेत्र पर बड़ी संख्या में लोगों की निर्भरता है। योगी सरकार यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि फसलों की क्षति की स्थिति में किसान किसी भी आर्थिक संकट से बच सकें। इसके लिए संबंधित विभाग के कर्मचारियों द्वारा रैंडमली ऑनलाइन चयनित गांव के एक खेत में समबाहु त्रिभुज के प्रति 10 मीटर भुजा वाले क्षेत्र के अंतर्गत फसल की कटाई एवं उससे प्राप्त अनाज का वजन किया जाता है। उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदारों से क्रॉप कटिंग प्रयोगों के सम्पादन की समीक्षा की जाती है। क्रॉप कटिंग प्रयोगों का यह विस्तृत नेटवर्क न केवल किसानों को राहत प्रदान कर रहा है बल्कि कृषि उत्पादकता के उन्नयन और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी सहायक साबित हो रहा है।

योजनाओं में किसानों की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित कर रही योगी सरकार

जन हितैषी और किसान केंद्रित योजनाओं में केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही योगी सरकार की इस पहल के तहत किसानों, कृषि विभाग और बीमा कंपनियों के बीच तालमेल को बेहतर बनाया गया है। फसलों के उत्पादन और नुकसान के आंकड़े अब केवल कागजी प्रक्रिया तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका डिजिटलीकरण किया गया है। यह प्रक्रिया योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करने में सहायक है। सीसीई की पारंपरिक पद्धति उपज घटक पद्धति पर आधारित है जहां अध्ययन के तहत कुल क्षेत्र के यादृच्छिक नमूने के आधार पर विशिष्ट स्थानों का चयन किया जाता है। एक बार भूखंडों का चयन हो जाने के बाद, इन भूखंडों के एक भाग से उत्पादन काटा जाता है और बायोमास वजन, अनाज वजन, नमी और अन्य सांकेतिक कारकों जैसे कई मापदंडों के लिए विश्लेषण किया जाता है। इस अध्ययन से एकत्र किए गए डेटा को पूरे क्षेत्र में एक्सट्रपलेशन किया गया है और अध्ययन के तहत राज्य या क्षेत्र की औसत उपज का अनुमानित मूल्यांकन प्रदान करता है।

कृषि उत्पादकता के आकलन की यह प्रणाली किसानों और बीमा कंपनियों के बीच विश्वास को बढ़ावा दे रही है। आने वाले समय में, उत्तर प्रदेश की सरकार इस मॉडल को और भी मजबूत बनाने और कृषि क्षेत्र में तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश में किसान हितैषी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से न केवल कृषि क्षेत्र का विकास हो रहा है, बल्कि इससे राज्य के आर्थिक विकास को भी गति मिल रही है।

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