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सेना ने लिया बदला, कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या करने वाले आतंकी को किया ढेर
श्रीनगर। बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की गोली मारकर हत्या करने वाले आतंकी को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है। मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी शहीद हो गया। मारे गए आतंकी की पहचान पुलवामा के अकीब मुस्ताक भट के रूप में हुई है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (एडीजीपी) कश्मीर जोन विजय कुमार के हवाले से ट्वीट किया, उसने शुरू में आतंकवादी संगठन एचएम के लिए काम किया था। आजकल वह टीआरएफ के साथ काम कर रहा था। दिवंगत संजय शर्मा का हत्यारा मारा गया।
पुलिस और सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम को उस क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में इनपुट मिलने के बाद लड़ाई शुरू हुई थी। सुरक्षा बलों द्वारा इलाके की घेराबंदी करने के बाद वहां छिपे आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। हाल के दिनों में पूरे कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच कई मुठभेड़ हुई हैं, इसमें कई आतंकवादियों का सफाया किया गया है।
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काम के घंटो को लेकर छिड़ी बहस महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने दिया अपना बयान
नई दिल्ली। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने शनिवार को काम की क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि काम की क्वालिटी पर ध्यान दें उसकी मात्रा पर नहीं, क्योंकि 10 घंटे में दुनिया बदल सकती है। उन्होंने यह बयान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के दौरान दिया, जब उन्हें लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के अध्यक्ष एस. एन. सुब्रह्मण्यन के सप्ताह में 90 घंटे काम करने पर किए गए बयान को लेकर सवाल किया गया। पिछले वर्ष, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी यह कहकर एक बहस छेड़ दी थी कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
दरअसल, एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने कुछ दिन पहले टिप्पणी की थी कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी छुट्टी नहीं लेनी चाहिए। इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई थी। उनका कहना था, “आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं?” इस टिप्पणी से कई लोग असहमत हो गए थे। हालांकि, आनंद महिंद्रा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बहस का ध्यान सिर्फ काम की मात्रा पर केंद्रित किया जा रहा है, जबकि असल मुद्दा काम की गुणवत्ता का है।
“काम की गुणवत्ता सबसे जरूरी”
उन्होंने ने कहा, “मेरा कहना है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, न कि काम की मात्रा पर। चाहे आप 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे काम करें, यदि आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं, तो वही महत्व रखता है। काम की गुणवत्ता सबसे जरूरी है।” महिंद्रा ने कहा कि उनक हमेशा से मानना रहा है कि आपकी कंपनी में ऐसे लोग होने चाहिए जो समझदारी से निर्णय लें। तो सवाल यह है कि किस तरह का मस्तिष्क सही निर्णय लेता है? उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक ऐसा मस्तिष्क होना चाहिए जो समग्र तरीके से सोचता हो, जो दुनिया भर से आने वाले सुझावों के लिए खुला हो।
परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने पर जोर
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इंजीनियरों और एमबीए जैसी पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को कला और संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें। महिंद्रा उन्होंने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “यदि आप घर पर समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप मित्रों के साथ समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप पढ़ नहीं रहे हैं, यदि आपके पास चिंतन-मनन करने का समय नहीं है, तो आप निर्णय लेने में सही इनपुट कैसे लाएंगे?”
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