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अन्तर्राष्ट्रीय

इंडोनेशिया में फटा बड़ा ज्वालामुखी, 11 पर्वतारोहियों की मौत

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जकार्ता। इंडोनेशिया के पश्चिमी भाग में रविवार को एक ज्वालामुखी फट गया। विस्फोट इतना जोरदार था कि आसमान में तीन किलोमीटर तक राख का गुबार फैल गया। स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:54 बजे विस्फोट हुआ। इस ज्वालामुखी की चपेट में आने से 11 पर्वातारोहियों की मौत हो गई है। कई पर्वतारोही अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर जारी है। जानकारी के अनुसार राहत और बचाव दल के लोगों ने बताया कि तीन पर्वतारोहियों के शव ज्वालामुखी के पास मिले हैं। वहीं कई पर्वतारोही अभी भी लापता हैं।

पेदांग सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी के प्रमुख अब्दुल मलिक ने बताया कि उन्हें तीन लोग जिंदा मिले हैं और 11 शव बरामद हुए हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को घटना वाले दिन कुल 75 पर्वतारोही माउंट मेरापी पर थे। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद सफेद और स्लेटी रंग की राख फैल गई है। इसके चलते पर्वतारोही लापता है और आसपास के गांव ज्वालामुखी की राख से ढक गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पर्वत पर चढ़ाई के दो रास्ते ज्वालामुखी विस्फोट वाली जगह के नजदीक हैं, जिन्हें अब बंद कर दिया गया है। साथ ही ज्वालामुखी के मुहाने से 3 किलोमीटर दूर तक ढलान पर मौजूद गांवों को एहतियातन खाली करा लिया गया है। विस्फोट के बाद ज्वालामुखी से लावा निकलने की आशंका है।

अभी भी कई पर्वतारोही माउंट मेरापी पर लापता है, जिनकी तलाश की जा रही है। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 3000 मीटर दूर तक ज्वालामुखी की राख फैल गई है। प्रशासन ने लोगों से एहतियातन चश्में पहनने की सलाह दी है ताकि ज्वालामुखी की राख से उनकी आंखों की सुरक्षा हो सके। बता दें कि माउंट मेरापी ज्वालामुखी जनवरी से ही सक्रिय है। हालांकि अभी तक इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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