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विकास और राष्ट्रवाद जीतेगा, दंगाई तमंचावादी, माफियावादी हारेंगे: सीएम योगी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुंडागर्दी, दंगो और अपराध के जिस माहौल से प्रदेश की जनता को 2017 के बाद राहत मिली थी, वंशवादी और परिवारवादी दलों ने फिर उसकी याद दिला दी है।
इन दलों ने गुंडो, अपराधियों और दंगाइयों को टिकट व समर्थन देकर चुनावी लड़ाई को विकास और राष्ट्रवाद बनाम माफियावादी, दंगाई और तमंचावादी बना दिया है। इस मुक़ाबले में यूपी जीतेगा जबकि तमंचावादी, दंगाई और माफियावादी हारेंगे। उन्होंने कहा कि 10 मार्च को जैसे ही एक बार फिर भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार बनेगी, ये माफिया, दंगाई अपने अपने बिलों में घुस जाएंगे।
मंगलवार को एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के पहले जिन पेशेवर अपराधियों, दंगाइयों और माफियाओं से उत्तर प्रदेश तबाह था सपा, कांग्रेस और बसपा उन्हें ही ढूँढ ढूंढ कर टिकट दे रही हैं। सपा बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची से ये स्पष्ट हो गया है कि इस बार चुनाव यूपी की शांति, सुरक्षा, सौहार्द बनाम दंगाई, तमंचावादी और माफियावादी है। सपा, कांग्रेस और बसपा प्रदेश को 2017 से पहले वाली अराजकता की तरफ ले जाने के मिशन में जुटे हैं।
सीएम योगी ने खासकर सपा को निशान बनाते हुए उसे आतंकवादियों और दंगाइयों का रहनुमा करार दिया और कहा कि अपराधी तत्वों को टिकट देकर इसने प्रदेश में गुण्डाराज और दंगाराज की वापसी कराने का अपना मंसूबा जाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा यह चुनावी टिकट बानगी है इस बात की कि सपा प्रदेश में कैसा माहौल बनाना चाहती है और इसका जवाब भी प्रदेश की जनता ही देगी।
उन्होंने कहा कि आखिर सपा प्रदेश की भोली जनता से इतनी दुश्मनी क्यों निकाल रही है कि वह प्रदेश को फिर दंगों की आग में झोंकने को जुटी है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति या संस्था का मूल चरित्र नहीं बदलता। समाजवादी पार्टी के साथ भी यही है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव जनता के बीच चाहे जो दावा कर लें, मौका मिलते ही वह पहले की तरह माफिया एवं अपराधियों की रहनुमाई, दंगाइयों और आतंकियों की पैरोकारी करने से बाज नहीं आते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही सपा का तुष्टिकरण की राष्ट्रघाती राजनीति करने वाला चेहरा बेनकाब होने लगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए अभद्र टिप्पणी करने वाले इमरान मसूद को संरक्षण देना, नाहिद हसन जैसों को टिकट देना, गुरुद्वारा जलाने के आरोपी सहारनपुर के पूर्व पार्षद मोहर्रम अली को सपा में शामिल करना, जेल के भीतर और बेल पर छूटे लोगों को उम्मीदवार बनाना इसका सबूत है। इन्होंने धौलाना से असलम चौधरी, बुलंदशहर से हाजी यूनुस, मेरठ से रफीक अंसारी, लोनी से मदन भैया, साहिबाबाद से अमरपाल, स्याना से दिलनवाज जैसों को भी चुनाव में उतारा है।
आख़िर ये कौन लोग हैं, क्या ये हिस्ट्रीशीटर, गैंगेस्टर और शातिर अपराधियों की सूची में शामिल नहीं हैं। ये लोग विधानसभा में जाएंगे तो जनता के लिए क्या काम करेंगे, इसका जवाब अखिलेश यादव जी को देना चाहिए।
सीएम योगी ने कहा कि तुष्टिकरण की राष्ट्रघाती राजनीति के लिए सपा बेगुनाहों के कातिल आतंकियों तक की आका बन गई थी। उन्होंने याद दिलाया की किस तरह 2005 में वाराणसी में आतंकियों ने बम धमाके के किए थे। इनमें निर्दोष लोगों की जान गई थी। वलीउल्लाह और शमीम इसके आरोपी थे। सपा सरकार इनके मुकदमे वापस लेना चाहती थी। उस समय माननीय जजों ने याचिका खारिज करते हुए बेहद तल्ख टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि ,”आज आप उनके खिलाफ मुकदमें वापस ले रहे हैं। कल क्या उनको पद्मविभूषण से भी नवाजेंगे?’
उन्होंने कहा कि सपा ने अपने हर कार्यकाल में कानून-व्यवस्था की नई परिभाषा ही रची है। उनके लिए “अराजकता” ही कानून था। कानून-व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले, गरीबों की संपत्ति लूटकर अपनी हवेलियां खड़ी करने वाले अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे दुर्दांत माफिया ही उनके समय मे सबसे बड़े कानून रखवाले हुआ करते थे। अब जब अवैध तरीके से बनाई गई माफियाओं की हवेलियों को भाजपा सरकार ने बुलडोजर से जमींदोज करवाया गया, इनकी अरबों की चल-अचल संपत्तियां जब्त/कुर्क की गईं तब इनको खाद-पानी देने वाली सपा का कलेजा फटा जा रहा था।
मुख्यमंत्री ने सपा कार्यकाल की अराजकता का सबसे बड़ा उदाहरण मथुरा के जवाहर बाग कांड को बताया और कहा कि सरकार द्वारा प्रायोजित अराजकता का यह कांड खुद में नजीर है। इसमें दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगों की जान गई थी। इसका मुख्य आरोपी रामवृक्ष किसका करीबी था, ये सबको पता है।
सरकार की नाक के नीचे लखनऊ में व्यापारी श्रवण साहू हत्याकांड के जांच की आंच तो सरकार तक पहुँची थी। शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को सरकार की आलोचना के चलते जिंदा जलाने से शर्मनाक क्या हो सकता है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जेल, बेल और दंगों के खेल वालों को समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने स्टार प्रचारक बनाया है। प्रदेश की जागरूक जनता इनका माकूल इलाज करेगी।
नेशनल
कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।
कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?
वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।
वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।
14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ
ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।
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