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अन्तर्राष्ट्रीय

9/11 आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं की मौत की सजा हो सकती है माफ, पीड़ित परिजनों में गुस्सा

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Conspirators of 9-11 terrorist attack can be pardoned for death

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वॉशिंगटन। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले में 3000 के करीब लोगों की मौत हुई थी और इस आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। अब खबर है कि इस आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं की मौत की सजा माफ हो सकती है। इसे लेकर हमले में मारे गए लोगों के परिजनों में भारी नाराजगी है और कई लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

अभियोजन और बचाव पक्ष में हुआ समझौता

दरअसल, इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत आतंकी हमले के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद और चार अन्य साजिशकर्ता अगर अपना अपराध स्वीकार कर लेते हैं तो उसके बदले में उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी। पेंटागन ने इस संबंध में हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को चिट्ठी भी लिखी है।

पीड़ित परिजनों में गुस्सा

इस चिट्ठी के बाद कई पीड़ितों के परिजन नाराज हैं। इन्हीं में से एक महिला क्रिस्टीन ब्रीटवाइजर ने इस समझौते पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि ब्रीटवाइजर के पति की 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले में मौत हो गई थी। ब्रीटवाइजर का कहना है कि ‘मैं इससे बहुत दुखी हूं। मुझे लगा कि मैं अमेरिका में रहती हूं, जहां कानून का शासन है लेकिन सच में ऐसा नहीं है।’

ऐसे ही अपने भतीजे टॉमी जर्गेन को आतंकी हमले में खोने वाले ब्रैड ब्लैकमेन भी इस डील से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें वादा किया गया था कि आतंकियों को कड़ी सजा मिलेगी और हम उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसा हो। पीड़ित परिजनों का कहना है कि इस समझौते के चलते यह मामला बिना ट्रायल खत्म हो जाएगा और 11 सितंबर के आतंकी हमले का सच कभी सामने नहीं आ पाएगा।

समझौते के समर्थन में उतरे लोग

वहीं कुछ लोग इस डील का समर्थन भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल मुकदमे में हो रही देरी के चलते कई पीड़ित परिजन दोषियों को सजा मिलते देखे बिना मर सकते हैं। साथ ही ये भी हो सकता है कि दोषी खुद बिना सजा पाए मर जाएं।

डील का समर्थन करने वाले एक संगठन के लोगों का कहना है कि कई पीड़ितों के परिजन बीते 20 सालों में दोषियों को सजा मिलती देखे बिना ही इस दुनिया से जा चुके हैं। इस डील से यह मामला खत्म हो सकता है।

क्यों अटका है ये मामला?

11 सितंबर के आतंकी हमले के पांच साजिशकर्ता ग्वांतेनामो बे जेल में बंद हैं और मिलिट्री ट्रिब्युनल उनके मामले की सुनवाई कर रहा है। हालांकि बीते कई सालों से सुनवाई में देरी हो रही है। इसकी वजह ये है कि सीआईए पर आरोप है कि उसने साजिशकर्ताओं को टॉर्चर कर सबूत जुटाए, ऐसे में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन सबूतों को कोर्ट में पेश किया जा सकता है या नहीं?

साजिशकर्ता अम्मार अल बलुची के वकील जेम्स कॉनेल का कहना है कि वह अपना दोष स्वीकार करने को तैयार है और जेल में लंबी सजा काटने के लिए तैयार है, इसके बदले में उसका जो टॉर्चर किया गया, उसके लिए अम्मार को मेडिकल केयर मिले और साथ ही उसे मौत की सजा ना दी जाए।

अन्तर्राष्ट्रीय

14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे जो बाइडेन

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अमेरिका। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन आगामी 14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे। यही उनका विदाई भाषण भी होगा। इसके लिए ह्वाइट हाउस ने तैयारी शुरू कर दी है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पांच दिन पहले यानि बुधवार को ओवल ऑफिस से बाइडेन का यह विदाई भाषण होगा। बीस जनवरी को पद छोड़ने से पहले यह राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिकियों और दुनियाभर के लोगों के लिए बाइडेन का यह अंतिम भाषण होगा, जो रात आठ बजे आरंभ होगा।

इससे पहले बाइडेन सोमवार को विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल की विदेश नीति पर केंद्रित एक भाषण देंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन जीन-पियरे ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि बाइडेन सोमवार को अपने भाषण में ‘‘50 से अधिक वर्षों के अपने सार्वजनिक जीवन’’ पर बात करेंगे। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में बाइडन (82) का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था, जिसके बाद से उनकी ही पार्टी के सदस्य बाइडेन के इस पद की दौड़ से हटने की बात करने लगे थे और अंतत: बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला किया था।

बाइडेन की जगह कमला हैरिस से हुआ ट्रंप का मुकाबला

बाइडेन की पीछे हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद अमेरिकियों को देश की पहली महिला राष्ट्रपति मिलने की उम्मीद भी जगी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें चुनाव में हरा दिया। इस प्रकार ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए गए। हालांकि बाइडेन का दावा है कि यदि वह नैतिक दबाव में पीछे नहीं हटे होते तो ट्रंप को हरा सकते थे।

 

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