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आध्यात्म

महाशिवरात्रि पर ये 10 काम करने की है मनाही, वर्ना भगवान शिव हो जाएंगे क्रोधित

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नई दिल्ली। आज पूरा देश महाशिवरात्रि का पर्व मना रहा है। महाशिवरात्रि का ये दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का सबसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव की आराधना करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का निवारण होता है साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।

ऐसा कहा जाता है की आज ही के दिन शिव जी ने धरती को नष्ट होने से बचाया था। कई ग्रंथो और पुराणों के अनुसार शिव जी का माता पार्वती से विवाह भी इसी दिन हुआ था। इसलिए दुनियाभर में महाशिवरात्रि की पूरी रात चार पहर की पूजा की जाती है।

भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं उतनी ही जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं। ऐसे में शिव जी के प्रकोप से बचने के लिए महाशिवरात्रि वाले दिन लोगो को ये 10 काम नहीं करने चाहिए-

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन देर तक सोने वाले लोगों से शिव जी नाराज हो जाते हैं। साथ ही बिना नहाएं इस दिन कुछ भी ना खाए।

शिवरात्रि के दिन काले रंग के कपड़ों को पहनना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
भगवान शिव को भूलकर भी चंपा और केतकी के फूल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि ऐसा मानना है कि भगवान शिव ने इन फूलों को शापित किया था।
भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाए जाने चाहिए। अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है। इसल‌िए श‌िव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें क‌ि चावल टूटे हुए ना हों।
शिवलिंग पर अभिषेक हमेशा सोने,चांदी या कांसे के बने पात्र से करना चाहिए। अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें।
शिवरात्रि पर भोलेनाथ को बेर जरूर अर्पित करें क्योंकि बेर को चिरकाल का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता हैं कि शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण करने से जीवन में दुर्भाग्य आता है। इसलिए शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण ना करें।
शिवरात्रि के दिन भूलकर भी चावल, गेंहू आदि चीजों का सेवन ना करें। बल्कि इस दिन सभी लोगों को फल, दूध, चाय, कॉफी का ही सेवन करना चाहिए।
शिवलिंग पर कभी भी तुलसी का पत्ता और पैकेट वाला दूध नहीं चढ़ाना चाहिए।
महाशिवरात्रि की रात में जागरण का बहुत महत्व है इसलिए रात में किसी को भी सोना नहीं चाहिए।

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आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।

इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

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