पंजाब
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। यह घटनाक्रम पार्टी के लिए बढ़ती चुनौतियों के बीच आया है। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सुखबीर के खिलाफ पार्टी में असंतोष बढ़ने लगा था। पार्टी का एक गुट खुलकर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में विरोधियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
अकाली दल वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि शिरोमणि अकाली दल वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष एस बलविंदर एस भूंदड़ ने 18 नवंबर को दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय कार्यालय में पार्टी की वर्किंग कमेटी की आपात बैठक बुलाई है। समिति सुखबीर सिंह बादल द्वारा दिए गए इस्तीफे पर विचार करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी।
AAP ने कसा तंज
सुखबीर सिंह बादल के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर पंजाब के मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि जब आपकी जेब में कुछ न हो और कपड़े फटे हों तो आपको उसे उतारना ही चाहिए। जो काम वे (SAD) करते हैं जब वे अस्तित्व में थे तो उन्होंने लोगों के लिए समस्याएं पैदा कीं, पंजाब के लोग अब आप के साथ रहकर खुश हैं।
पंजाब
किसानों ने शुरू किया रेल रोको आंदोलन, 30 दिसंबर तक पंजाब बंद का आह्वान
चंडीगढ़। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बुधवार को कहा कि किसानों ने 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’ का आह्वान किया है। इसके साथ ही पंधेर ने प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें नहीं मानने के लिए केंद्र की आलोचना की। पंधेर ने कहा कि ‘बंद’ का आह्वान करने का फैसला संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया है। किसान नेता ने कहा, ‘‘इस महीने की 30 तारीख को पूर्ण ‘बंद’ रहेगा।’’
अमृतसर में मीडिया को संबोधित करते हुए पंधेर ने कहा कि ‘बंद’ के दौरान आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी। उन्होंने व्यापारियों, कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों समेत अन्य लोगों से ‘बंद’ को सफल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, जिस तरह रेल रोको विरोध सफल रहा। उसी तरह पंजाब बंद को भी सफल बनाया जाना चाहिए।
अपनी मांगों पर अड़े किसान
पजाब में बुधवार को रेल सेवाएं प्रभावित हुईं, क्योंकि किसानों ने फसलों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित अपनी विभिन्न मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए तीन घंटे के ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन के तहत 50 से अधिक स्थानों पर रेल पटरियों पर धरना दिया। फिरोजपुर रेलवे मंडल के अधिकारियों के अनुसार, 52 स्थानों पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण 12 रेलगाड़ियां रद्द कर दी गईं। उन्होंने बताया कि 34 रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं।
किसानों की क्या हैं मांगें?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, फसलों का मूल्य तय करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर करने और कुछ अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों और खेतिहर मज़दूरों के लिए पेंशन की भी मांग है। साथ ही बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने की भी मांग की जा रही है।
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