प्रादेशिक
गाजियाबाद: स्कूटी सीख रही युवती से किया था गैंगरेप, एनकाउंटर के बाद पुलिस ने किया गिरफ्तार
गाजियाबाद। गाजियाबाद में गैंगरेप मामले में फरार चल रहे आरोपियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई है। मुठभेड़ में आरोपी के पैर में गोली लगी है। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने आरोपियों के के पास से तमंचा और कारतूस बरामद करने की बात कही है। पुलिस उपायुक्त ग्रामीण विवेक चंद यादव ने बताया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि खानपुर के जंगल में कुछ संदिग्ध बैठे हैं। ट्रॉनिका सिटी थाना पुलिस और स्वाट टीम मौके पर पहुंची। जहां पुलिस पर बदमाशों ने फायरिंग कर दी।
पुलिस ने जवाबी फायरिंग की तो गोली एक बदमाश के दोनों पैरे में लगी। अन्य मौके से फरार हो गए। पुलिस ने घायल को गिरफ्तार कर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी पहचान खानपुर गांव के जुनैद के रूप में हुई। पूछताछ में आरोपित जुनैद ने बताया कि बृहस्पतिवार शाम को खानपुर के जंगलों में दो युवतियां और एक युवक खड़े थे। लड़की वहां स्कूटी सीखने आई थी। जिन्हें देखकर उसने अपने अन्य साथी को मौके पर बुला लिया। उसने और उसके दोनों साथियों ने युवती को झाड़ियों में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। फिर दो अन्य साथियों को भी मौके पर बुलाया। जो दूसरी युवती को झाड़ियों में ले जाने की कोशिश करने लगे। तभी वहां एक निजी कार आ गई।
तभी सभी मौके से भाग गए। पुलिस ने उसके साथियों के बारे में जानकारी हासिल की है। उनकी तलाश में टीमें लगी हैं।जल्द उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। पकड़े गए आरोपित मजूदरी करते हैं। पुलिस उपायुक्त ग्रामीण ने बताया कि युवती से सामूहिक दुष्कर्म करने और दूसरी युवती से कोशिश करने के दौरान उनके साथ खड़े मित्र ने कोई विरोध नहीं किया। न ही उनको बचाने के लिए पुलिस को या ग्रामीणों को सूचना दी। हालांकि पुलिस को अब तक की जांच में उसकी भूमिका नहीं मिली है।
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बिहार लोक सेवा आयोग : मां आंगनबाड़ी सेविका, बेटा बना डीएसपी
पटना। बिहार लोक सेवा आयोग की 69वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का फाइनल रिजल्ट 26 नवंबर को जारी हुआ. इसमें सीतामढ़ी जिले के उज्जवल कुमार उपकार ने टॉप किया है. वह जिले के रायपुर गांव के रहने वाले हैं. सुबोध कुमार की कामयाबी की यह कहानी, एक आम मध्यमवर्गीय परिवार के युवक की कहानी है. उनके पिता सुबोध कुमार गांव में ही बच्चों को कोचिंग पढ़ाते हैं और मां आंगनबाड़ी सेविका हैं.
डीएसपी बनने के बाद उज्जवल कुमार ने कहा कि मुझे चयनित होने पर यकीन था, लेकिन नंबर-1 रैंक पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा. वह फिलहाल प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के पद पर तैनात हैं.
रिश्तेदार करते थे तंज
बीपीएससी टॉपर बने उज्जवल कुमार ने अपने पुराने दिन भी याद किए. उज्जवल बताते हैं कि जब मैं 10वीं में पढ़ता था तो कुछ रिश्तेदार अक्सर ही कहते थे कि यह लड़का पढ़ने वाला नहीं था. जबकि मैं पढ़ने में कमजोर भी नहीं था. मैनें इंजीनियरिंग के बाद जॉब छोड़ दी, तो भी रिश्तेदारों ने हमारे माता-पिता को काफी सुनाया. लेकिन माता-पिता और भाई-बहनों ने मुझ पर विश्वास बनाए रखा.
उज्वजल कुमार हिंदी मीडियम से पढ़ाई करके बीपीएससी टॉपर बने हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में हिंदी मीडियम का कोई भी स्टूडेंट बीपीएससी टॉपर नहीं बना है. इस तरह उज्जवल कुमार ने वह कर दिखाया है, जो पिछले 10 साल में नहीं हुआ.
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