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आध्यात्म

भगवान विष्णु के ये दो अवतार आज भी हैं धरती पर जीवित, जानकर दंग रह जाएंगे आप

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श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान विष्णु ने अब तक 23 अवतार लिए हैं इनमें जिन 10 अवतारों के बारे में हम जानते हैं वो भगवान विष्णु के मुख्य अवतार माने जाते हैं।

भगवान विष्णु के 23 अवतार तो अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं, जबकि उनका 24वां अवतार ‘कल्कि अवतार’ के रूप में होना बाकी है। पुराणों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे और देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और पुन: धर्म की स्थापना करेंगे।

संस्कृत का एक श्लोक है, “अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषिण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:।। सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेययाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपिसर्वव्याधि विवर्जित:।।” इसका अर्थ ये है कि अश्वत्थामा, बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और ऋषि मार्कण्डेय ये आठ लोग संसार में अमर हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के दो अवतार धरती पर आज भी जीवित हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार, महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के 19वें अवतार हैं। वे महाज्ञानी महर्षि पराशर के घर पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे। इन्होंने ही मनुष्यों की आयु और शक्ति को देखते हुए वेदों के विभाग किए थे, इसलिए इन्हें वेदव्यास कहा जाता है। पांडव महर्षि वेदव्यास की सलाह पर स्वर्ग की यात्रा की कोशिश की थी।

भगवान विष्णु का दूसरा अवतार जिसे आज भी धरती पर जीवित माना जाता है वो हैं परशुराम। परशुराम विष्णु जी के 18वें अवतार हैं।

इन्हें भगवान विष्णु का 18वां अवतार माना जाता है। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए परशुराम ने 21 बार धरती से क्षत्रिय को समाप्त कर दिया था।

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आध्यात्म

आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।

इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

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