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उत्तर प्रदेश

यूपी के पांच मंडलों में नए रिंग रोड बनाने का प्रस्ताव

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लखनऊ। प्रदेश में बेहतर कनेक्टिविटी के जरिए विकास का मार्ग प्रशस्त करने में जुटी योगी सरकार जल्द ही यूपी के पांच मंडलों को नये रिंग रोड और बायपास देने की तैयारी में जुट गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव दिया है। बता दें कि अभी प्रदेश के 18 मंडलों में से 12 में नये रिंग रोड बनाने का कार्य चल रहा है, जबकि लखनऊ मंडल में यह बनकर तैयार भी हो चुका है। इसके अलावा 5 बचे हुए मंडलों में रिंग रोड बनाने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। केंद्र से हरी झंडी मिलते ही प्रदेश के सभी मंडलों में रिंग रोड का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

इन मंडलों में तेजी से पूरा हो रहा रिंग रोड का सपना

वर्तमान में गोरखपुर और कानपुर मंडल में रिंग रोड का कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा आगरा, चित्रकूट, मेरठ, प्रयागराज, वाराणसी में रिंग रोड के कुछ हिस्सों का कार्य पूरा हो चुका है और नये फेज़ पर कार्य चल रहा है। इसी प्रकार बस्ती मंडल में रिंग रोड के कार्य को मंजूरी मिल चुकी है। वहीं अयोध्या मंडल के रिंग रोड को कैबिनेट से हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अलावा बरेली मंडल में रिंग रोड के लिए डीपीआर का कार्य हो चुका है, जबकि आजमगढ़ और मुरादाबाद मंडल में रिंग रोड के उत्तरी पार्ट का कार्य चल रहा है। इस प्रकार प्रदेश के 12 मंडलों में रिंग रोड को लेकर कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है, जबकि लखनऊ मंडल को रिंग रोड की सुविधा पहले ही मिल चुकी है।

इन पांच मंडलों में रिंग रोड की सौगात देने की तैयारी में सरकार

वहीं योगी सरकार अब प्रदेश के बचे हुए पांच मंडल, अलीगढ़, देवीपाटन, झांसी, मीरजापुर और सहारनपुर मंडलों में भी रिंग रोड बनाने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके अलावा प्रदेश के 14 जिलों में नये बाईपास का भी अनुरोध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय मंत्री से किया है। बता दें कि प्रदेश में पहले से ही 53 जिलों में बाईपास की सुविधा है। इसके अलावा 8 जनपदों में बाईपास का निर्माण कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वहीं 14 जिले फर्रुखाबाद, औरैया, बुलंदशहर, मैनपुरी, बहराइच, गोंडा, बागपत, चित्रकूट, मीरजापुर, भदोही, संभल, कौशाम्बी, चंदौली और श्रावस्ती में बाईपास बनाने की कवायद तेज हो गई है।

दोगुनी हुई प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या

गौरतलब है कि 2017 में यूपी में 48 राष्ट्रीय राजमार्ग थे, जो 2024 तक बढ़कर 93 हो चुके हैं। वहीं 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 8 हजार किलोमीटर के करीब थी, जोकि 2024 में बढ़कर करीब 13 हजार किलोमीटर हो चुकी है। इसी प्रकार 2017 में प्रदेश में केवल एक एक्सप्रेसवे था, जिसकी संख्या 2024 तक 6 हो चुकी है। प्रदेश में 2017 में 165 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे 2024 में 1225 किलोमीटर का हो चुका है। वहीं गंगा एक्सप्रेसवे सहित कई लिंक एक्सप्रेसवे का कार्य भी तेजी से पूरा किया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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