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अन्तर्राष्ट्रीय

78 वर्षों में काफी घट जाएगी चीन व भारत की आबादी, रिसर्च में किया गया दावा

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नई दिल्ली। चीन और भारत क्रमशः दुनिया के पहले व दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं लेकिन अगले 78 वर्षों में इसकी आबादी काफी अधिक घटने का अनुमान है। स्टैनफोर्ड की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2100 तक भारत की आबादी 41 करोड़ कम हो जाएगी। इसके अलावा भारत के जनसंख्या घनत्व के भी गिरने की उम्मीद है। दूसरी ओर साल 2100 में चीन की आबादी में और ज्यादा गिरावट होने की उम्मीद है। चीन की आबादी अगले 78 सालों में महज 49 करोड़ में सिमट जाएगी।

रिसर्च में किए गए हैं क्या-क्या दावे

स्टैनफोर्ड के एक अध्ययन से पता चला है कि जब जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक होती है, तो उस आबादी के लिए ज्ञान और जीवन स्तर स्थिर हो जाता है लेकिन, यह धीरे-धीरे गायब भी हो जाता है। बेशक, यह एक हानिकारक परिणाम है। आने वाले वर्षों में भारत का जनसंख्या घनत्व काफी कम होने का अनुमान है। इस वक्त भारत और चीन की आबादी एक जैसी दिखती है लेकिन उनके घनत्व में बहुत बड़ा अंतर है।

भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर में औसतन 476 लोग रहते हैं, जबकि चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर केवल 148 लोग हैं। वर्ष 2100 तक, भारत का जनसंख्या घनत्व 335 व्यक्ति प्रति किमी वर्ग तक गिरने की उम्मीद है। भारत के जनसंख्या घनत्व में गिरावट पूरी दुनिया के अनुमान से कहीं अधिक होने का अनुमान है।

100 करोड़ में सिमट जाएगी भारत की आबादी

भारत के जनसंख्या घनत्व अनुमान में गिरावट देश की जनसंख्या कम होने का कारण है। संयुक्त राष्ट्र परियोजनाओं के जनसंख्या प्रभाग की नवीनतम रिपोर्ट है कि भारत की जनसंख्या 2022 में 141.2 करोड़ से घटकर 2100 में 100.3 करोड़ होने की उम्मीद है।

49 करोड़ हो जाएगी चीन की आबादी

इस बीच, चीन और अमेरिका जैसे अन्य देशों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखने की उम्मीद है। चीन की जनसंख्या वर्ष 2100 में आश्चर्यजनक रूप से 93.2 करोड़ घटकर 49.4 करोड़ रह सकती है। ये अनुमान कम प्रजनन दर पर आधारित हैं।

प्रजनन दर में गिरावट

प्रजनन दर में गिरावट के कारण जनसंख्या में गिरावट की आशंका है। कम प्रजनन दर प्रक्षेपण परिदृश्य के आधार पर, भारत की प्रजनन दर 1.76 जन्म प्रति महिला से 2032 में 1.39, 2052 में 1.28, 2082 में 1.2 और 2100 में 1.19 होने की उम्मीद है। स्टैनफोर्ड अध्ययन में कहा गया है कि भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक तेज गिरावट की प्रवृत्ति स्पष्ट है। जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, प्रजनन दर लगातार घटती जाती है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे जो बाइडेन

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अमेरिका। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन आगामी 14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे। यही उनका विदाई भाषण भी होगा। इसके लिए ह्वाइट हाउस ने तैयारी शुरू कर दी है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पांच दिन पहले यानि बुधवार को ओवल ऑफिस से बाइडेन का यह विदाई भाषण होगा। बीस जनवरी को पद छोड़ने से पहले यह राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिकियों और दुनियाभर के लोगों के लिए बाइडेन का यह अंतिम भाषण होगा, जो रात आठ बजे आरंभ होगा।

इससे पहले बाइडेन सोमवार को विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल की विदेश नीति पर केंद्रित एक भाषण देंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन जीन-पियरे ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि बाइडेन सोमवार को अपने भाषण में ‘‘50 से अधिक वर्षों के अपने सार्वजनिक जीवन’’ पर बात करेंगे। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में बाइडन (82) का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था, जिसके बाद से उनकी ही पार्टी के सदस्य बाइडेन के इस पद की दौड़ से हटने की बात करने लगे थे और अंतत: बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला किया था।

बाइडेन की जगह कमला हैरिस से हुआ ट्रंप का मुकाबला

बाइडेन की पीछे हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद अमेरिकियों को देश की पहली महिला राष्ट्रपति मिलने की उम्मीद भी जगी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें चुनाव में हरा दिया। इस प्रकार ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए गए। हालांकि बाइडेन का दावा है कि यदि वह नैतिक दबाव में पीछे नहीं हटे होते तो ट्रंप को हरा सकते थे।

 

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