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अन्तर्राष्ट्रीय

कैंब्रिज विवि छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में वारीश ने संभाली कमान, एमफिल के हैं छात्र

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Tribute to Subhash Babu

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फर्रुखाबाद। भारत देश को सबसे ज्यादा तीन प्रधानमंत्री और दो नोबल पुरस्कार दिलाने वाले कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में उप्र के फर्रुखाबाद जिले के गाँव जहानगंज निवासी वारीश प्रताप ने कमान संभाली। आठ सौ साल ज्यादा पुराना यह वैश्विक महत्व का शिक्षण संस्थान वर्तमान समय में दुनिया की क्यूएस रैंकिंग में दूसरे पायदान पर है।

वारीश छात्र संघ अध्यक्ष पद पर काबिज होने वाले संभवत: पहले भारतीय हैं। छात्र संघ अध्यक्ष होने के नाते वे विश्वविद्यालय की दिशा तय करने वाली यूनिवर्सिटी काउंसिल समेत तमाम प्रभावशाली समितियों के सदस्य एवं मताधिकारी भी रहेंगे।

अतीत में इस संस्थान से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी एवं मनमोहन सिंह के साथ-साथ भौतिक विज्ञानी चंद्रशेखर, अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, महान गणितज्ञ रामानुजन, कवि हरिवंश राय बच्चन एवं दिग्गज उद्योगपति सर दोराबजी टाटा भी पढ़े हैं।

पद ग्रहण के अवसर पर वारीश ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नौकरशाही, राजनीति एवं सैन्य विकल्पों के माध्यम से तत्कालीन विश्व में एक बेहतर व्यवस्था स्थापित करने के प्रयासों के लिए याद करते छात्रसंघ कार्यालय में श्रद्धा सुमन भी अर्पित किये।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय को हाशिये पर खड़े लोगों के लिए और अधिक समावेशी बनाना, वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ अंतर-सांस्कृतिक अनुभवों को बढ़ावा देना, बेतहाशा महंगाई से जूझते छात्र छात्राओं को यथासंभव- राहत दिलाना, शाकाहार का प्रोत्साहन करना, संस्थागत अक्रियाता एवं अधमता को सलीके से तोड़ने के साथ साथ औपनिवेशिक काल में लूटे गए सामान को संबंधित देश को वापस करने की मुहिम उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।

गाँव के ही सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़े वारीश ने जवाहर नवोदय विद्यालय फर्रुखाबाद में हुए चयन को जीवन को एक जबरदस्त दिशा देने वाला पड़ाव मानते हैं। गोरखपुर स्थित मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी संस्थान से मकैनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद उन्होंने भारत पेट्रोलियम में बतौर अधिकारी पाँच वर्ष अखिल भारतीय सेवा भी दी है।

वारीश कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी विभाग में ऊर्जा प्रौद्योगिकी में एमफिल के छात्र हैं। ग्रामीण परिवेश के सीमित संसाधनों के बीच से इस मुकाम तक पहुंचे वारीश ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर युवाओं से अपील करते हुए साझा किया कि “खेलो खुल्ला खेल फर्रुक्खाबादी, काहे कि हारा बस वही है, जिसने हारों का हार पहन फिर कभी उतारा नहीं है।”

अन्तर्राष्ट्रीय

14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे जो बाइडेन

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अमेरिका। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन आगामी 14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे। यही उनका विदाई भाषण भी होगा। इसके लिए ह्वाइट हाउस ने तैयारी शुरू कर दी है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पांच दिन पहले यानि बुधवार को ओवल ऑफिस से बाइडेन का यह विदाई भाषण होगा। बीस जनवरी को पद छोड़ने से पहले यह राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिकियों और दुनियाभर के लोगों के लिए बाइडेन का यह अंतिम भाषण होगा, जो रात आठ बजे आरंभ होगा।

इससे पहले बाइडेन सोमवार को विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल की विदेश नीति पर केंद्रित एक भाषण देंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन जीन-पियरे ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि बाइडेन सोमवार को अपने भाषण में ‘‘50 से अधिक वर्षों के अपने सार्वजनिक जीवन’’ पर बात करेंगे। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में बाइडन (82) का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था, जिसके बाद से उनकी ही पार्टी के सदस्य बाइडेन के इस पद की दौड़ से हटने की बात करने लगे थे और अंतत: बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला किया था।

बाइडेन की जगह कमला हैरिस से हुआ ट्रंप का मुकाबला

बाइडेन की पीछे हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद अमेरिकियों को देश की पहली महिला राष्ट्रपति मिलने की उम्मीद भी जगी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें चुनाव में हरा दिया। इस प्रकार ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए गए। हालांकि बाइडेन का दावा है कि यदि वह नैतिक दबाव में पीछे नहीं हटे होते तो ट्रंप को हरा सकते थे।

 

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