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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका का साथ मिला तो खालिस्‍तानी हमदर्द जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ फिर उगला जहर

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ओटावा। अमेरिका के एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्‍ता पर खालिस्‍तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्‍नू की हत्‍या की साजिश रचने के आरोप के बाद अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सुर फिर से निकलने लगे हैं। जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि अमेरिका से आ रही खबरें उसी चीज को रेखांकित कर रही है जिसके बारे में हम शुरू से ही बात कर रहे थे। ट्रूडो ने कहा कि भारत को इसे गंभीरता से लेना होगा। भारत सरकार को हमारे साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि हम इस मामले की तह तक पहुंच सकें।

कनाडा के पीएम ने आरोप लगाया है कि खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की कनाडा में हुई हत्‍या में भारतीय एजेंटों का हाथ है लेकिन अभी तक वह कोई ठोस सबूत नहीं दे सके हैं। ट्रूडो ने कहा कि भारत सरकार को इस मामले की जांच करने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

इससे पहले कनाडा की विदेश मंत्री ने भी भारत से कहा था कि वह जांच में सहयोग करे। हालांकि कनाडा के अधिकारियों ने अभी तक किसी के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। इससे पहले अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने बुधवार को एक भारतीय नागरिक पर एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया।

दक्षिणी न्यूयॉर्क जिले के अमेरिकी अटॉर्नी मैथ्यू जी. ऑलसेन ने कहा कि निखिल गुप्ता (52) के खिलाफ हत्या के लिए सुपारी देने का आरोप लगाया गया है, जिसमें अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है।

अमेरिका ने निखिल गुप्‍ता पर क्‍या लगाए हैं आरोप?

ऑलसेन ने कहा कि गुप्ता पर सुपारी देकर हत्या की साजिश रचने का भी आरोप है जिसमें भी अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि गुप्ता ने न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले सिख अलगाववादी नेता की हत्या के लिए हत्यारे को एक लाख अमेरिकी डॉलर देने की बात स्वीकार कर ली थी।

आरोपों के अनुसार नौ जून 2023 या उसके आसपास गुप्ता ने हत्या के लिए सुपारी दी थी, जिसके अग्रिम भुगतान के रूप में उन्होंने न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में हत्यारे को 15 हजार अमेरिकी डॉलर नकद देने के लिए एक सहयोगी की भी व्यवस्था की थी।

अभ्यारोपण में अमेरिकी नागरिक का नाम नहीं दिया गया है लेकिन ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए पिछले हफ्ते एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) के गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को विफल करने की बात कही गई थी।

साथ ही खबर में हत्या की साजिश में संदिग्ध रूप से शामिल होने को लेकर अमेरिकी प्राधिकारियों द्वारा भारत सरकार को चेतावनी भी जारी करने की बात कही गई थी।

न्यूयॉर्क दक्षिणी जिले के लिए अमेरिकी अटॉर्नी डेमियन विलियम्स ने एक बयान में कहा, ‘जैसा कि आरोप लगाया गया है, प्रतिवादी ने भारत से यहां न्यूयॉर्क शहर में भारतीय मूल के एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रची, जिसने भारत में एक अल्पसंख्यक समूह, सिखों के लिए एक संप्रभु देश बनाने की सार्वजनिक रूप से वकालत की है।

अन्तर्राष्ट्रीय

14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे जो बाइडेन

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अमेरिका। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन आगामी 14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे। यही उनका विदाई भाषण भी होगा। इसके लिए ह्वाइट हाउस ने तैयारी शुरू कर दी है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पांच दिन पहले यानि बुधवार को ओवल ऑफिस से बाइडेन का यह विदाई भाषण होगा। बीस जनवरी को पद छोड़ने से पहले यह राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिकियों और दुनियाभर के लोगों के लिए बाइडेन का यह अंतिम भाषण होगा, जो रात आठ बजे आरंभ होगा।

इससे पहले बाइडेन सोमवार को विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल की विदेश नीति पर केंद्रित एक भाषण देंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन जीन-पियरे ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि बाइडेन सोमवार को अपने भाषण में ‘‘50 से अधिक वर्षों के अपने सार्वजनिक जीवन’’ पर बात करेंगे। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में बाइडन (82) का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था, जिसके बाद से उनकी ही पार्टी के सदस्य बाइडेन के इस पद की दौड़ से हटने की बात करने लगे थे और अंतत: बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला किया था।

बाइडेन की जगह कमला हैरिस से हुआ ट्रंप का मुकाबला

बाइडेन की पीछे हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद अमेरिकियों को देश की पहली महिला राष्ट्रपति मिलने की उम्मीद भी जगी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें चुनाव में हरा दिया। इस प्रकार ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए गए। हालांकि बाइडेन का दावा है कि यदि वह नैतिक दबाव में पीछे नहीं हटे होते तो ट्रंप को हरा सकते थे।

 

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