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शारदा घोटाला : मुकुल रॉय को सम्मन, भाजपा पर बिफरी तृणमूल

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कोलकाता| पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव तथा पूर्व रेल मंत्री मुकुल रॉय को पूछताछ के लिए सम्मन जारी किया। विपक्ष ने जहां इसे तृणमूल के लिए झटका बताया, वहीं पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार पर सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने की पुष्टि करते हुए रॉय ने कहा कि कोलकाता लौटने के बाद वह सीबीआई के समक्ष उपस्थित होंगे। रॉय फिलहाल दिल्ली में हैं। दिल्ली में संवाददाताओं से रॉय ने कहा, “पूछताछ के लिए सीबीआई ने मुझे सूचित किया है। मैं यहां (दिल्ली) एक-दो दिनों के लिए हूं। जब मैं कोलकाता पहुंचूंगा, निश्चित तौर पर सीबीआई के अधिकारियों से मिलूंगा।” रॉय ने कहा, “मैंने कभी कोई गैरकानूनी या अनैतिक काम नहीं किया है। उन्होंने मुझे बुलाया है, लेकिन मैं यहां हूं। जब मैं कोलकाता पहुंचूंगा, उनसे मिलूंगा।”

 

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता डेरेक-ओ-ब्रायन ने कहा, “भाजपा द्वारा सीबीआई का इस्तेमाल एक राजनीतिक औजार के रूप में करने का गंदा खेल जारी है। बंगाल में लोकसभा चुनाव में वह राजनीति तौर पर हमसे मुकाबला नहीं कर सके। इसलिए निगम चुनाव के महीने भर पहले वह गंदी चालें चल रहे हैं। हम उनसे मजबूती से और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे।” उन्होंने कहा, “यह जबरदस्त राजनीतिक प्रतिशोध की भावना दिखाती है। क्या सीबीआई का संचालन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से हो रहा है या अमित शाह द्वारा भाजपा मुख्यालय से?” तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा, “सीबीआई भाजपा का ही एक कार्यालय बन गई है। भाजपा की राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के खिलाफ लोग सड़क पर उतरेंगे।” उन्होंने कहा, “भाजपा द्वारा सीबीआई के दुरुपयोग के खिलाफ राज्य के हर प्रखंड में पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक तथा जनता प्रदर्शन करेगी।” राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष व सृंजय बोस तथा प्रदेश के परिवहन एवं खेल मंत्री मदन मित्रा सहित तृणमूल के चार नेताओं को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। भाजपा महासचिव एस.एन.सिंह ने कहा कि रॉय को सीबीआई का सम्मन राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक झटका है।

बंगाल में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, “अब यह साबित हो चुका है कि घोटाले में किस प्रकार तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व सीधे तौर पर शामिल है। लाखों गरीबों का पैसा गबन करने में उनकी संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।” मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा, “इस मामले की अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए। जांच के दौरान हर संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की जानी चाहिए, चाहे वह किसी भी पद पर हो। और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “सबसे जरूरी तो यह है कि गबन किए गए गरीबों की मेहनत की कमाई उन्हें लौटाने के लिए घोटालेबाजों की संपत्ति जब्त कर उनकी बिक्री की जाए।” माकपा इस मामले में प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी पूछताछ की मांग कर चुकी है।

नेशनल

सुप्रीम कोर्ट ने मजदूर के बेटे को दिलाया IIT में एडमिशन, कहा- प्रतिभाशाली छात्र को मझधार में नहीं छोड़ सकते

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक गरीब मजदूर के बेटे को आईआईटी में एडमिशन मिल गया है। दरअसल, मजदूर किसान का बेटा अतुल कुमार अपनी आगे की पढ़ाई के लिए IIT धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वो डेडलाइन पर फीस नहीं जमा कर सका। जिस कारण उसका आईआईटी में एडमिशन लेने का सपना, सपना ही रह गया।

दरअसल 18 वर्षीय अतुल कुमार के माता-पिता 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये जमा करने में विफल रहे, जो आवश्यक शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि थी। कुमार के माता-पिता ने आईआईटी की सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश

इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जज जेबी पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में एडमिशन दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जैसे स्टूडेंट कमजोर वर्ग से आते हैं। उनको एडमिशन लेने से रोका नहीं जा सकता है।

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